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HP Election : कांगड़ा और मंंडी बनाएंगे शिमला में सरकार

By: Dec 1st, 2022 11:50 pm

सबसे बड़े जिले करेंगे सरकार का फैसला, तीनों जिलों में हैं 33 सीटें

कांगड़ा से दस सीटें जीतने वाली पार्टी हासिल करती आई है सत्ता

विशेष संवाददाता — शिमला

मतगणना में अब एक हफ्ते से भी कम वक्त है और राजनीतिक दल सियासी जोड़-जमा उन जिलों में कर रहे हैं, जहां सीटें ज्यादा हैं। यानी बड़े जिले जिसका साथ देंगे, सरकार भी उसी की बनेगी। इस बार सरकार कांगड़ा और मंडी के रास्ते शिमला में जाकर बनेगी यह तय है। इन तीनों जिलों में 33 सीटें हैं। उलटफेर की संभावना छोटे जिलों में जरूर रहती है, लेकिन सरकार का असल फैसला 1998 से अब तक कांगड़ा, मंडी और शिमला जिलों में ही होता रहा है। इस बार भी राजनीतिक दल इन तीनों जिलों से आने वाली सीटों को ही जीत या हार के तराजू में रख रहे हैं। कांगड़ा में सबसे ज्यादा 15 सीटें हैं। यहां मतदान से पहले राजनीतिक तौर पर कई बार समीकरण बनते बिगड़ते नजर आए थे। कभी ओबीसी चेहरे तो कभी धर्मशाला से गद्दी नेता की रुख्सती, नूरपुर, देहरा और ज्वालामुखी में टिकटों का फेरबदल, फतेहपुर में प्रधानमंत्री का फोन और जयसिंहपुर में टिकट आबंटन में देरी के साथ ही कई सीटों पर बगावत ने कांगड़ा को खास बना दिया था।

इस जिले में सियासी माहिर अब यही आकलन कर रहे हैं कि जो भी पार्टी कांगड़ा में 10 का आंकड़ा छू लेगी, सरकार उसी की बनेगी। कांगड़ा का पुराना इतिहास देखें तो 1998 में भाजपा ने यहां से 10 सीटें जीतकर सरकार बनाई थी, जबकि 2003 में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी और इसमें कांगड़ा का योगदान 11 सीटों का था। यानी पांच साल बाद कांगड़ा में कांग्रेस ने अपना बदला चुका लिया था। 2007 में भाजपा ने कांगड़ा से नौ सीटें जीती थीं। हालांकि उस समय नूरपुर से राकेश पठानिया निर्दलीय चुनाव जीत गए थे और उन्होंने भाजपा को समर्थन दे दिया था। 2012 में कांग्रेस ने एक बार फिर वापसी करते हुए कांगड़ा किले में सेंधमारी कर 10 सीटें हासिल की थी। 2017 में जब भाजपा की सरकार बनी तो उस समय पार्टी के खाते में 11 सीटें आई थीं।

मंडी में जयराम बड़े या प्रतिभा सिंह का कद ऊंचा

प्रदेश का दूसरा सबसे ज्यादा सीटों वाला जिला मंडी है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर मंडी से हैं। प्रतिभा सिंह कांग्रेस की प्रदेशाध्यक्ष हैं और इसी जिले से सांसद भी हैं। इसके साथ ही भाजपा ने इस बार पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. सुखराम के परिवार को साधकर बड़ी गेम बनाई है। यहीं से कौल सिंह ठाकुर भी हैं, जो कांग्रेस में मुख्यमंत्री की दौड़ में शामिल हैं। हालांकि बगावत यहां भी जबरदस्त है और छह दिन बाद यह साफ हो पाएगा कि मंडी को साधने में इस बार किसे जीत मिल रही है। मंडी में दस विधानसभा क्षेत्र हैं और यहां जिस पार्टी ने आधी से ज्यादा सीटें जीतीं हैं, उसे सत्ता सुख मिलता रहा है। 1998 में कांग्रेस और हिविकां ने चार-चार सीटें जीती थीं। हालांकि हिविकां ने भाजपा का साथ दिया और सरकार भाजपा की बन गई। 2003 में कांग्रेस ने दस में से पांच, 2007 में भाजपा ने छह, 2012 में कांग्रेस और भाजपा दोनों ने पांच-पांच, जबकि 2017 में तमाम रिकॉर्ड तोड़ते हुए भाजपा ने नौ सीटें जीत ली थीं। यही वजह रही कि जो यहां से जयराम ठाकुर को मुख्यमंत्री बनने का मौका भी मिल गया।

रामपुर, चौपाल और ठियोग में कांटे की टक्कर

सत्ता के सिंहासन तय करने में अहम भूमिका निभाने वाले जिलों में शिमला तीसरा बड़ा नाम है। यहां कांग्रेस की सीटें जब भी कम हुई हैं, तो इसका नुकसान सरकार गंवाने के रूप में भुगतना पड़ा है। प्रदेश में कांग्रेस का सबसे बड़ा गढ़ शिमला ही है। शिमला में आठ विधानसभा क्षेत्र हैं और 1998 से ही कांग्रेस यहां आधी से ज्यादा सीटों पर जीत दर्ज करती आई है। 1998 में कांग्रेस ने शिमला से छह सीटें जीती थीं। भाजपा ने यहां दो सीटें जीतकर प्रदेश में सरकार बदल डाली। 2003 में कांग्रेस ने पांच सीटों पर जीत दर्ज की, लेकिन इस दौरान तीन सीटों पर निर्दलीय चुनाव जीत गए और इन सभी विधायकों ने बाद में कांग्रेस को समर्थन दे दिया था। 2007 में कांग्रेस ने पांच सीटों पर जीत दर्ज की। 2012 में कांग्रेस शिमला की छह सीटें जीतने में सफल रही। वहीं, 2017 में कांग्रेस पांच ही सीटें शिमला से जीत पाई थी। इस बार रामपुर, चौपाल और ठियोग में भाजपा कड़ी टक्कर देने वाली है। तो कुसुम्पटी में शहरी विकास मंत्री जबकि शिमला ग्रामीण में भाजपा ने जिलाध्यक्ष को चुनाव में उतार बाजी पलटने का प्रयास किया है।


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