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18 सीटों पर निर्दलीय तय करेंगे किसकी बनेगी सरकार

By: Dec 5th, 2022 12:06 am

72 घंटे बाद शुरू होगी मतगणना, साढ़े आठ बजे तक आएंगे रूझान, भाजपा और कांग्रेस दोनों को नुकसान का डर

राकेश शर्मा — शिमला

अब दिनों से बारी घडिय़ों पर है और महज 72 घंटे बाद चुनाव परिणाम सामने होंगे। हिमाचल में किसकी सरकार यह खुलासा ईवीएम के माध्यम से होने वाला है। सभी 68 विधानसभा सीटों पर मतगणना आठ दिसंबर को आठ बजे होगी और पहला रुझान ठीक साढ़े आठ बजे सामने आ जाएगा। जिन 68 सीटों में 40 पर दोनों ही बड़ी पार्टियां दावा कर रही हैं, उनमें से बगावत से भरी या निर्दलीय उम्मीदवारों की पैठ वाली करीब 18 सीटें ऐसी हैं, जो सरकार का फैसला करेंगी। इन सीटों पर निर्दलीय कड़ी टक्कर देने की स्थिति में हैं और इनकी मौजूदगी से फैसला किसी भी करवट बदल सकता है। चौपाल से चंंबा तक बागी हुए नेताओं ने मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है। जिन सीटों पर निर्दलीय मैदान में हैं, उनमें इस बार मतदान भी ज्यादा हुआ है। यही वजह है जो भाजपा की बैठकों में बागी अपनों से ज्यादा चर्चा बटोर रहे हैं। दरअसल, पार्टी भी इस उम्मीद में है कि बगावत के बाद निर्दलीय मैदान में उतरे नेता सीटें जीतकर आते हैं, तो समझौते के कायदे क्या रहेंगे। जिन सीटों पर निर्दलीय टक्कर में हैं उनकी बात करें तो शिमला जिला से चौपाल और ठियोग में निर्दलीय उम्मीदवारों ने मुकाबले कांटे का बना दिया है। यहां भाजपा और कांग्रेस दोनों बगावत झेल रही हैं। चौपाल में कांग्रेस के पूर्व विधायक सुभाष मंगलेट निर्दलीय मैदान में हैं।

यहां क्षेत्रवाद की हवा भारी रही है। यहां 75 फीसदी से ज्यादा मतदान हुआ है। ठियोग विधानसभा दो हिस्सों में विभाजित है, यहां भी राष्ट्रीय या प्रदेश क मुद्दों से ज्यादा क्षेत्रवाद ही हावी है। ठियोग में भी 75 फीसदी ही मतदान इस बार हुआ है। पिछले विधानसभा चुनाव में यह सीट माकपा के कब्जे में थी और इस बार लोग बड़े पैमाने पर यहां बदलाव चाह रहे हैं। ठियोग में कांग्रेस के बागी विजयपाल खाची के साथ ही भाजपा की इंदु वर्मा ने भी चुनाव लड़ा है। प्रदेश में अन्य तीन सीटें जहां निर्दलीय मुकाबले में हैं, उनमें आनी, बिलासपुर व किन्नौर शामिल हैं। किन्नौर में तेजवंत नेगी निर्दलीय मैदान में हैं और यहां मुकाबला त्रिकोणीय बना हुआ है।

पच्छाद-अर्की में कांग्रेस, नालागढ़ में भाजपा के लिए खतरे की घंटी

सिरमौर के पच्छाद में गंगू राम मुसाफिर भाजपा और कांग्रेस की दोनों महिला नेत्रियों को टक्कर दे रहे हैं। पच्छाद में गंगूराम मुसाफिर का अपना बड़ा वोट बैंक है। उपचुनाव में कांग्रेस की टिकट पर गंगूराम मुसाफिर ने 19 हजार से ज्यादा मत हासिल किए थे। उस समय भी मुकाबला त्रिकोणीय रहा था और दयाल प्यारी अकेले 11 हजार मत ले गई थीं। पच्छाद में 78 फीसदी से ज्यादा मतदान हुआ है। अर्की विधानसभा क्षेत्र में पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह के खास रहे राजेंद्र ठाकुर कांग्रेस और भाजपा दोनों से ज्यादा चर्चा में रहे हैं। राजेंद्र ठाकुर को महिलाओं की धार्मिक यात्रा ने इस चुनाव में हीरो बना दिया था। हालांकि मुकाबला इस सीट पर भी त्रिकोणीय ही है। राजेंद्र ठाकुर भाजपा के गोविंद राम शर्मा और कांग्रेस के संजय अवस्थी के लक्ष्य के बीच आकर खड़े हो गए हैं। अर्की में 75 फीसदी से ज्यादा मतदान हुआ है। कांग्रेस इन दोनों सीटों पर संकट में घिरी है। नालागढ़ विधानसभा में केएल ठाकुर निर्दलीय चुनाव में थे। उन्होंने इस मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है। नालागढ़ में रिकॉर्ड 81.40 प्रतिशत मतदान हुआ है। केएल ठाकुर भाजपा को चोट पहुंचाने की स्थिति में हैं।

कांगड़ा की पांच सीटों पर भाजपा, दो पर कांग्रेस को नुकसान

कांगड़ा में सात सीटों पर निर्दलीय सीधे मुकाबले में हैं। छह में भाजपा को नुकसान पहुंच रहा है जबकि एक सीट पर कांग्रेस इस स्थिति का सामना कर रही है। कांगड़ा में कुलभाष चौधरी ने मुकाबला दिलचस्प बना दिया है। यहां कांग्रेस छोड़ भाजपा में गए पवन काजल की राहें मुश्किल हुई हैं। कांगड़ा विधानसभा में 75 फीसदी से ज्यादा मतदान हुआ है। फतेहपुर में चारों नेता दमदार हैं। नूरपुर छोडक़र आए राकेश पठानिया के लिए यह चुनाव यादगार रहेगा। यहां भाजपा के कृपाल सिंह परमार को मनाने की कोशिशें सिरे नहीं चढ़ी। फतेहपुर में राजन सुशांत भी हैं। धर्मशाला में पहली बार भाजपा ने गद्दी समुदाय के बाहर ओबीसी वोट बैंक पर भरोसा जताया था, लेकिन यहां गद्दी समुदाय से ताल्लुक रखने वाले विपिन नैहरिया ने निर्दलीय चुनाव लडक़र मुकाबले को त्रिकोणीय बनाया है। देहरा में पूर्व विधायक होशियार सिंह निर्दलीय चुनाव लड़े हैं। उन्हें भाजपा ने टिकट नहीं दिया, तो निर्दलीय ही मैदान में कूद गए। देहरा में करीब 71 फीसदी मतदान हुआ है। इंदौरा में मनोहर धीमान टक्कर दे रहे हैं। जयसिंहपुर में सुशील कौल ने कांग्रेस के खेल में खलल डालने का काम किया है। जबकि सुलाह में जगजीवन पाल कांग्रेस के खाते के वोट निकालने में कामयाब होते नजर आए हैं।

चंबा-बंजार में भाजपा हमीरपुर में कांग्रेस फंसी

चंबा सदर सीट पर आखिरी वक्त में टिकट काटे जाने से नाराज इंदिरा कपूर निर्दलीय मैदान में उतरी हैं। यहां ग्रामीण और शहरी इलाके के बीच मुकाबला हुआ है। भाजपा और कांग्रेस दोनों के ही प्रत्याशी शहरी क्षेत्र से थे। जबकि इंदिरा कपूर ग्रामीण इलाके से संबंधित थी। इंदिरा कपूर ने जो कार्ड खेला है, उसमें कामयाबी हासिल हुई और वोटों का ध्रुवीकरण हो पाया, तो यहां परिणाम बेहद दिलचस्प रहेगा। हमीरपुर में अशीष शर्मा आखिरी घड़ी में निर्दलीय हुए थे। उन्होंने दोनों ही दलों के वोट बैंक में बड़ी सेंध मारी है। हमीरपुर में 71 फीसदी से ज्यादा मतदान हुआ है। अशीष शर्मा की मौजूदगी कांग्रेस की जीत में खलल डाल सकती है, तो कुल्लू के बंजार में महेश्वर सिंह खिमी राम का मुकाबला करते नजर आ रहे हैं। बहरहाल अब तीन दिन बाद विधानसभा चुनावों की मतगणना के बाद सारी सियासी तस्वीर साफ हो जाएगी।


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