जयराम कैबिनेट के नौ मंत्री हारे; आठ ने खुद चुनाव लड़ा था, एक ने बेटे को उतारा था विधानसभा चुनाव में
राज्य ब्यूरो प्रमुख — शिमला
हिमाचल विधानसभा के चुनाव जयराम सरकार की कैबिनेट के लिए बिलकुल अच्छे नहीं रहे। हिमाचल में विधानसभा सीटों की संख्या सीमित होने के कारण मुख्यमंत्री समेत कुल 12 कैबिनेट मिनिस्टर ही होते हैं। इनमें से सिर्फ तीन चुनाव जीते हैं, जबकि नौ चुनाव हार गए हैं। हिमाचल में कैबिनेट मंत्री पहले भी चुनाव हारते रहे हैं, लेकिन इस बार सबसे ज्यादा संख्या चुनावी हार की है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने अपने चुनाव क्षेत्र सिराज से सर्वाधिक 38183 वोट के अंतर से जीत का रिकॉर्ड बनाया है, लेकिन उनके अलावा जसवां प्रागपुर से उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह ठाकुर और पांवटा साहिब से ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी ही अपनी सीट बचा पाए। बाकी आठ कैबिनेट मंत्री चुनाव हार गए और एक कैबिनेट मंत्री ने अपने बेटे को चुनाव मैदान में उतारा था, वह भी नहीं जीत पाए। हारने वाले मंत्रियों में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री सरवीन चौधरी, स्वास्थ्य मंत्री डा. राजीव सहजल, शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री राजेंद्र गर्ग, तकनीकी शिक्षा मंत्री डा. रामलाल मार्कंडेय, शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर, पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर और वन मंत्री राकेश पठानिया शामिल हैं। पार्टी ने सुरेश भारद्वाज और राकेश पठानिया का चुनाव क्षेत्र बदला था और आखिरी वक्त में इन्हें नए चुनाव क्षेत्र में भेजा था। धर्मपुर से जलशक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर चुनाव से हट गए थे और अपने बेटे रजत ठाकुर को चुनाव मैदान में उतारा था। वह भी चुनाव हार गए। हिमाचल में हर बार 45 से 75 प्रतिशत मंत्री चुनाव हारते रहे हैं। हिमाचल में मंत्रियों के चुनाव हारने का ये ट्रेंड 1990 से चला आ रहा है। वर्ष 2012 से 2017 तक हिमाचल में कांग्रेस की सरकार रही। तब वीरभद्र कैबिनेट के पांच मंत्री कौल सिंह ठाकुर, जीएस बाली, प्रकाश चौधरी, सुधीर शर्मा और ठाकुर सिंह भरमौरी चुनाव हार गए थे।
पहले भी हारे हैं मंत्री
वर्ष 2007 से 2012 तक प्रेम कुमार धूमल कैबिनेट के चार मंत्री चुनाव हारे थे। तब नरेंद्र बरागटा, किशन कपूर, खीमीराम और रमेश धवाला चुनाव हार गए। वर्ष 2003 से 2007 वीरभद्र कैबिनेट में छह मंत्री कुलदीप, रामलाल ठाकुर, चंद्र कुमार, सिंघी राम, प्रकाश चौधरी और सत महाजन अपनी विधानसभा सीट बचा नहीं पाए थे। वर्ष 1998 से 2003 तक प्रेम कुमार धूमल मंत्रिमंडल के सात मंत्री रामलाल मार्कंडेय, नरेंद्र बरागटा, रूप सिंह, मनसा राम, प्रवीण शर्मा, विद्या सागर चौधरी जीत नहीं पाए थे।
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