घुमारवीं में अब पढ़ाई के साथ-साथ अंतरिक्ष का ज्ञान भी लेंगे स्कूली छात्र

By: Jun 30th, 2023 12:55 am

घुमारवीं ब्वायज स्कूल में विकसित की जाएगी इसरो की अंतरिक्षशाला, प्रशासन ने शिक्षा विभाग को सौंपी जिम्मेदारी, दस लाख बजट का प्रावधान

अश्वनी पंडित-बिलासपुर
हिमाचल प्रदेश के गांव-देहात के विद्यार्थी भी अब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) के प्रोजेक्ट्स का ज्ञान अर्जित कर सकेंगे। यूपी मॉडल को स्टडी कर जिला प्रशासन ने यह नया इनिशिएटिव विद्यार्थियों की साइंटिफिक थिंकिंग को प्रोमोट करने के मकसद से लिया है। इसके तहत जिले में सीनियर सकेंडरी ब्वॉयज स्कूल घुमारवीं का चयन किया गया है, जहां स्पेस लैब (अंतरिक्षशाला) विकसित की जाएगी। यह हिमाचल प्रदेश की ऐसी पहली स्पेस लैब होगी। प्रशासन ने लैब विकसित करने का जिम्मा शिक्षा विभाग को सौंपा है। बिलासपुर की अतिरिक्त उपायुक्त (डीसी) डा. निधि पटेल ने बताया कि शहरी के साथ साथ ग्रामीण बच्चों में साइंस टेक्रोलॉजी के प्रति रूचि बढ़ाने के मकसद से इस प्रोजेक्ट को शुरू करने के लिए खाका तैयार किया गया है। इसके लिए यूपी के सिद्धार्थनगर की एक पंचायत के मॉडल को स्टडी किया गया है। स्पेस लैब निर्माण को लेकर डिस्ट्रिक्ट माइनिंग फंड से 10 लाख रुपए के बजट का प्रावधान किया गया है। उन्होंने बताया कि घुमारवीं सीनियर सकेंडरी ब्वॉयज स्कूल में स्पेस लैब विकसित करने के लिए शिक्षा विभाग को जिम्मेदारी सौंपी गई है। उपायुक्त के माध्यम से शिक्षा विभाग को बजट जारी किया जाएगा, जिसके बाद विभाग टेंडर कॉल करेगा। स्पेस लैब विकसित कर ग्रामीण विद्यार्थियों को साइंस एंड टेक्रोलॉजी के प्रति विस्तृत जानकारी उपलब्ध होगी, जिससे बच्चों में इसके प्रति रूचि बढ़ेगी और इसमें वे अपना करियर भी बना सकेंगे। बच्चों के ज्ञानवर्धन के लिए स्पेशल ट्यूटर प्रोग्राम भी चलाया जाएगा, जिसमें बाहरी राज्यों के एक्सपर्ट नवीनतम जानकारियां प्रदान करेंगे।

इसके अलावा विज्ञान की महत्वपूर्ण जानकारियों से लैस अंतरिक्ष से संबंधित नए-नए मॉडल विद्यार्थियों के ज्ञान में वृद्धि करने में सहायक बनेंगे। एडीसी के अनुसार घुमारवीं में विकसित की जाने वाली यह पहली स्पेस लैब होगी, जहां विद्यार्थियों की वैज्ञानिक सोच को विकसित करने के लिए विशेष कार्यक्रम चलाए जाएंगे। घुमारवीं ब्वॉयज स्कूल में विकसित की जाने वाली स्पेस लैब में आसपास स्कूलों के विद्यार्थी भी आकर विज्ञान के प्रति जानकारी हासिल कर सकेंगे। विद्यार्थी सेटेलाइट लांचर प्रणाली के साथ-साथ ड्रोन कैसे तैयार किए जाते हैं। सहित इसरो के अन्य महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकेंगे। उधर, घुमारवीं स्कूल के प्रिंसीपल अश्वनी शर्मा ने बताया कि जनवरी महीने में एक टीम विजिट के लिए आई थी और उन्होंने साइट्स देखी हैं। वहीं, प्रारंभिक शिक्षा विभाग बिलासपुर के उपनिदेशक बीडी शर्मा के अनुसार यह स्कूल पूरे हिमाचल प्रदेश के लिए एक मॉडल होगा। बजट मिलते ही टेंडर लगाए जाएंगे। बंगलुरू में इसरो का सेटेलाइट सेंटर कार्यरत है, जहां वैज्ञानिक, प्रौद्योगिकी व अन्य उद्देश्यों के लिए तैयार होने वाले सेटेलाइट से संबंधित डिजाइन, परीक्षण व अन्य कार्यों को अंजाम दिया जाता है। आर्यभट्ट, भास्कर, एप्पल और आईआरएसआई और सेटेलाइट इसी केंद्र में तैयार किए गए हैं। ताकि आसानी हो सके। (एचडीएम)

हिमाचल का पहला अंतरिक्ष मॉडल होगा घुमारवीं स्कूल
एडीसी डा. निधि पटेल के अनुसार घुमारवीं ब्वॉयज स्कूल हिमाचल प्रदेश में साइंस एंड टेक्रोलॉजी का एक नया अंतरिक्ष मॉडल बनेगा। भविष्य में आईआईटी मंडी के माध्यम से भी इस स्कूल को अडॉप्ट करवाए जाने का विचार है। भविष्य में इस स्कूल की तर्ज पर जिला में उपमंडल स्तर पर भी एक-एक स्पेस लैब विकसित करने के लिए खाका तैयार किया जाएगा।


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