महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग

By: Jul 22nd, 2023 12:20 am

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग देश का तीसरा ज्योतिर्लिंग है और 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का स्थान सोमनाथ और मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के बाद आता है। मान्यता है कि दक्षिणामुखी मृत्युंजय भगवान श्री महाकालेश्वर मंदिर के गर्भगृह में विराजमान होकर सृष्टि का संचार करते हैं। इस मंदिर से कई प्राचीन परंपराएं और रहस्य जुड़े हुए हैं। दुनियाभर से श्रद्धालु यहां भोले बाबा के दर्शन के लिए आते हैं, जिसमें बड़ी-बड़ी हस्तियां भी शामिल हैं। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की पूरे देश में विशेष मान्यता है।

पौराणिक कथा- महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर में स्थित है। इस नगर का प्राचीन ग्रंथों में भी उल्लेख मिलता है। यह नगर क्षिप्रा नदी के तट पर बसा हुआ है। पौराणिक कथा के अनुसार अवंती नाम से एक रमणीय नगरी थी, जो भगवान शिव को बहुत प्रिय थी। इसी नगर में वेद प्रिय नाम का एक ज्ञानी ब्राह्मण था, जो बहुत ही बुद्धिमान और शिव का बड़ा भक्त था। वह हर रोज पार्थिव शिवलिंग बनाकर शिव की आराधना करता था। वहीं रत्नमाल पर्वत पर रहने वाले दूषण नाम के राक्षस को भी ब्रह्मा जी से एक वरदान मिला था। इसी वरदान के मद में वह धार्मिक व्यक्तियों पर आक्रमण करने लगा था। उसने उज्जैन के ब्राह्मणों पर आक्रमण करने का विचार बना लिया। उसने अवंती नगर के ब्राह्मणों को अपनी हरकतों से परेशान करना शुरू कर दिया। वह ब्राह्मणों को कर्मकांड करने से मना करने लगा लेकिन ब्राह्मणों ने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया। वो राक्षस उन्हें आए दिन परेशान करने लगा। इससे परेशान होकर ब्राह्मणों ने शिव शंकर से अपनी रक्षा के लिए प्रार्थना करना शुरू कर दिया।

शिव की हुंकार मात्र से भस्म हुआ राक्षस-भोलेनाथ ने नगरवासियों को राक्षस के अत्याचार से बचाने के लिए पहले उसे चेतावनी दी पर दूषण राक्षस पर इसका कोई असर नहीं हुआ। उसने नगर पर हमला कर दिया। इसके बाद भोलेनाथ के क्रोध का ठिकाना नहीं रहा। वो धरती फाडक़र महाकाल के रूप में प्रकट हुए। शिव ने अपनी हुंकार से राक्षस को भस्म कर दिया। इसके बाद ब्राह्मणों ने महादेव से यहीं विराजमान होने के लिए प्रार्थना की। माना जाता है कि ब्राह्मणों के निवेदन पर शिव जी यहां महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में वास करने लगे।

इसलिए कहते हैं मृत्युंजय महादेव –श्री महाकालेश्वर को पृथ्वी लोक का राजा कहा जाता है। वह प्रलय, संहार और काल के देवता हैं। वे मृत्यु के मुंह में गए प्राणी को खींचकर वापस ला देते हैं, इसलिए उन्हें मृत्युंजय महादेव कहा जाता है।

बहुत पुराना है महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग- अगर आप जानना चाहते हैं कि महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग कितना पुराना है, तो शिवपुराण के अनुसार श्रीकृष्ण के पालक नंद से आठ पीढ़ी पहले महाकाल यहां विराजित हुए थे। इस ज्योतिर्लिंग का उल्लेख महाभारत में भी किया गया है। वहीं पौराणिक कथाओं की मानें, तो मंदिर द्वापर युग में स्थापित हुआ था, जिसे 800 से 1000 वर्ष प्राचीन माना जाता है। सावन में दर्शन का महत्त्व- सावन माह भगवान भोलेनाथ को समर्पित है। चातुर्मास आरंभ होने के बाद भगवान शिव सृष्टि को देखते हैं। इस समय भगवान पृथ्वी का भ्रमण करते हैं। मान्यता है कि सावन में महाकाल के दर्शन से कई प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं।


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