छात्र हित में डिजिटल पुस्तकालय

आधुनिक जीवन में हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में बहुत सारे बदलाव हुए हैं। हम तकनीक के उन्नत दौर में रहते हुए बहुत सुखी हैं, लेकिन अभी भी बहुत से लोग शिक्षा और सूचना से वंचित हैं। इस समस्या का समाधान है डिजिटल लाइब्रेरी। इसे ठीक से चलाया जाए तो यह एक सामाजिक क्रांति का काम कर सकता है। नि:संदेह डिजिटल पुस्तकालय छात्र हित में भी है और यह भी कहना होगा कि डिजिटल लाइब्रेरी तक पहुंच की सुविधा के बिना कोई भी शिक्षा संस्थान, चाहे वह कोई स्कूल हो या फिर कॉलेज, ज्ञान अर्थव्यवस्था में प्रासंगिक नहीं रह सकता है। हिमाचल प्रदेश की तरह अन्य राज्यों में भी डिजिटल पुस्तकालय की पहल की दरकार है…

खबरें कह रही हैं कि देश के अग्रणी राज्य हिमाचल प्रदेश में 31 मार्च 2024 से पहले आधुनिक सुविधाओं वाले डिजिटल पुस्तकालय तैयार किए जाएंगे। राज्य के माननीय मुख्यमंत्री जी ने राज्य पुस्तकालय सहित और जिला पुस्तकालयों में टच स्क्रीन, सर्वर व सोशल साइट्स पर निशुल्क पढ़ाई की सुविधा मुहैया करवाने के निर्देश जारी कर दिए हैं। आइए, डिजिटल पुस्तकालय के विचार के महत्व और प्रासंगिकता को समझें। डिजिटल पुस्तकालय एक ऐसा पुस्तकालय है जिसमें पुस्तकों का संग्रह डिजिटल या इलेक्ट्रॉनिक प्रारूप में होता है। इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों एवं कंप्यूटर के माध्यम से इसका उपयोग किया जा सकता है। डिजिटल लाइब्रेरी को ऑनलाइन लाइब्रेरी, इंटरनेट लाइब्रेरी, डिजिटल रिपॉजिटरी या डिजिटल संग्रह के रूप में भी जाना जाता है। यह डिजिटल वस्तुओं का एक ऑनलाइन डेटाबेस है, जिसमें टेक्स्ट, इमेज, ऑडियो, वीडियो, डिजिटल दस्तावेज के रूप में पुस्तकें शामिल हो सकती हैं। इस प्रकार की लाइब्रेरी को इंटरनेट के माध्यम से एक्सेस किया जा सकता है। दूसरे शब्दों में, डिजिटल पुस्तकालयों में दस्तावेजों को एक व्यवस्थित इलेक्ट्रॉनिक प्रारूप में और इंटरनेट या स्टोरेज के माध्यम से संग्रहीत किया जाता है। 1994 में, डिजिटल लाइब्रेरी शब्द को पहली बार विश्व में नासा डिजिटल लाइब्रेरी द्वारा इस्तेमाल किया गया था।

अमेरिकी लेखक माइकल स्टर्न हार्ट डिजिटल लाइब्रेरी की पहली परियोजना के संस्थापक हैं। हार्ट ने इंटरनेट के माध्यम से स्वतंत्र रूप से उपलब्ध इलेक्ट्रॉनिक पुस्तकों को एक्सेस करने योग्य बनाया था। डिजिटल लाइब्रेरी से दुनिया में हमें बहुत सारे संसाधन मिलेंगे और हमें व्यक्तिगत सेवाएं भी प्राप्त होंगी। हम नए उत्साहजनक अवसरों को प्राप्त कर सकते हैं, जैसे सहयोग, डेटा साझा करना और इनोवेट करना। इस नए आयाम को अपनाने वाली डिजिटल लाइब्रेरियां अपने उपयोगकर्ताओं की आवश्यकताओं को पूरा करने में और उन्नति करने में सक्षम होंगी। डिजिटल लाइब्रेरी के होते किताब उपलब्ध नहीं रहने पर भी अब विद्यार्थियों की पढ़ाई नहीं रुकेगी। डिजिटल लाइब्रेरी रहने से बच्चों को किताब नहीं रहने पर भी पढ़ाई निर्बाध हो सकेगी। भौतिक स्थान से संबंधित बाधाओं के कारण पारंपरिक पुस्तकालयों में विभिन्न प्रकार की सामग्री को शामिल करने के लचीलेपन का अभाव है। लेकिन डिजिटल लाइब्रेरी एक आभासी वातावरण में सामग्री की एक विस्तृत श्रृंखला- ई-पुस्तकें, पत्रिकाएं, लेख, ब्लॉग, पेपर, वीडियो, पॉडकास्ट और ऑडियोबुक संग्रहीत करती है। आजकल परिष्कृत डिजिटल लाइब्रेरी अपने उपयोगकर्ताओं के लिए किसी भी समय और कहीं भी सामग्री उपलब्ध कराने के लिए संसाधनों को क्लाउड में संग्रहीत करती है। बड़े विश्वविद्यालयों और पुस्तकालयों के विपरीत छोटे पुस्तकालयों में अक्सर नई किताबें, पत्रिकाएं और अन्य सामग्री-संसाधन खरीदने के लिए पर्याप्त संसाधनों की कमी होती है। लेकिन शिक्षा संस्थान डिजिटल लाइब्रेरी को नियमित रूप से अपडेट कर सकता है। आजकल कई प्रकाशक डिजिटल पुस्तकालयों को नवीनतम संस्करणों और पत्रिकाओं को पढऩे के अनुसार भुगतान करें मॉडल के आधार पर पाठकों के लिए सुलभ बनाने की अनुमति देते हैं। इसलिए डिजिटल लाइब्रेरी नवीनतम प्रकाशनों तक पहुंच प्रदान करके पाठकों को जोड़ती है। प्रिंटेड पुस्तकें अभी भी ई-पुस्तकों की तुलना में अधिक लोकप्रिय हैं। लेकिन डिजिटल फॉर्मेट में किताबें पढऩे वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। पारंपरिक पुस्तकालयों के विपरीत डिजिटल पुस्तकालय पाठकों को कंप्यूटर, मोबाइल डिवाइस या टैबलेट जैसे किसी भी उपकरण का उपयोग करके इंटरनेट पर डिजिटल संसाधनों तक पहुंचने में सक्षम बनाते हैं। पारंपरिक पुस्तकालय का दौरा करते समय पाठकों को सही पुस्तक खोजने के लिए समय और प्रयास दोनों लगाना पड़ता है। साथ ही, मुद्रित पुस्तक से प्रासंगिक जानकारी प्राप्त करने में समय लगता है।

लेकिन डिजिटल लाइब्रेरी को अंतर्निहित खोज विकल्पों के साथ डिजाइन किया गया है। कई डिजिटल लाइब्रेरी लोकप्रिय खोज इंजनों का लाभ उठाकर सामग्री खोज को भी तेज कर देती हैं। इसीलिए पाठक आवश्यक जानकारी तुरंत पा सकते हैं। इसके अलावा, वे केवल प्रासंगिक शब्दों और वाक्यांशों को दर्ज करके डिजिटल संसाधनों को खोजने और क्रमबद्ध करने के लिए खोज विकल्प का उपयोग कर सकते हैं। एक पारंपरिक पुस्तकालय का दौरा करने के लिए, पाठकों को खुलने और बंद होने के समय की जांच करनी होगी और फिर उसके अनुसार योजना बनानी होगी। उनके पास अपनी सुविधानुसार पुस्तकालय संसाधनों तक पहुंचने के विकल्प का अभाव है। लेकिन डिजिटल लाइब्रेरी पाठकों को 24 घंटे ई-पुस्तकें पढऩे, ऑडियोबुक सुनने और वीडियो देखने में सक्षम बनाती है। पाठक अपने पसंदीदा उपकरणों का उपयोग करके कभी भी और कहीं भी पुस्तकालय सामग्री को डिजिटल प्रारूप में एक्सेस और पढ़ सकते हैं। इन दिनों कई पाठक अपनी गति और सुविधा से सामग्री तक पहुंचने के लिए पारंपरिक पुस्तकालयों की तुलना में डिजिटल पुस्तकालयों को प्राथमिकता देते हैं।

किसी पारंपरिक पुस्तकालय में जाते समय, कई पाठक एक ही पुस्तक को एक साथ नहीं पढ़ सकते हैं। उन्हें दूसरे पाठक द्वारा पुस्तक वापस करने का इंतजार करना पड़ता है। लेकिन कई पाठक डिजिटल वातावरण में एक ही समय में एक ही किताब, वीडियो और ऑडियोबुक तक पहुंच सकते हैं। देश के अनेक पुस्तकालयों में डिजिटल प्लेटफॉर्म की सुविधा न होने की वजह से पाठकों को टैब व इंटरनेट जैसी सुविधाओं का खुद ही खर्चा उठाना पड़ता है। ऐसे में डिजिटल पुस्तकालय बनाकर पाठकों को सुविधाएं देने का फायदा देने वाला है। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे पाठकों को आधुनिक सुविधाओं वाले डिजिटल पुस्तकालय बनने से बड़ी राहत मिलती है। क्यों न देश के सभी राज्यों मे नवमी क्लास से ऊपर सभी शिक्षा संस्थानों में डिजिटल पुस्तकालय शुरू किए जाएं। आधुनिक जीवन में हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में बहुत सारे बदलाव हुए हैं। हम तकनीक के उन्नत दौर में रहते हुए बहुत सुखी हैं, लेकिन अभी भी बहुत से लोग शिक्षा और सूचना से वंचित हैं। इस समस्या का समाधान है डिजिटल लाइब्रेरी। इसे ठीक से चलाया जाए तो यह एक सामाजिक क्रांति का काम कर सकता है। नि:संदेह डिजिटल पुस्तकालय छात्र हित में भी है और यह भी कहना होगा कि डिजिटल लाइब्रेरी तक पहुंच की सुविधा के बिना कोई भी शिक्षा संस्थान, चाहे वह कोई स्कूल हो या फिर कॉलेज, ज्ञान अर्थव्यवस्था में प्रासंगिक नहीं रह सकता है। हिमाचल प्रदेश की तरह अन्य राज्यों में भी डिजिटल पुस्तकालय की पहल की दरकार है। देश के सभी राज्यों में इसी तरह की पहल होनी चाहिए। आधुनिक युग में ज्ञान एवं सूचना तक आसान पहुंच बनाना जरूरी है।

डा. वरिंद्र भाटिया

कालेज प्रिंसीपल

ईमेल : hellobhatiaji@gmail.com


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