एकांत में जीने का महत्त्व

By: Dec 16th, 2023 12:20 am

ओशो

धीरे-धीरे मनुष्य भीड़ या समूह में खोता गया है। अकेले होने की भी कोई स्थिति है, यह उसे भूल गई है। सुबह से हम उठते हैं और जो दुनिया शुरू होती है, जो काम शुरू होता है, वह हमें भीड़ में ले जाता है। दिन भर की मेहनत के बाद अगर कभी थोड़ी देर बैठने का समय मिलता है तो कुछ पढ़ते हैं, कुछ सुनते हैं। वक्त मिलता है तो मित्रों से मिलते हैं। होटल, सिनेमा या क्लब वहां भी हम अकेले नहीं होते। जब थक जाते हैं तो रात को सो जाते हैं, फिर सुबह से वही दुनिया शुरू हो जाती है। अकेला होना करीब-करीब हम भूल चुके हैं। ध्यान रहे, दुनिया में जिन भी श्रेष्ठतम वस्तुओं का जन्म हुआ है, वे सब एकांत में पैदा हुई हैं, भीड़ में नहीं। यह भी स्मरण रहे कि दुनिया में मनुष्य जाति के इतिहास में जिन लोगों ने भी सत्य, सौंदर्य और शिवत्व को जाना है, उन सबने एकांत में जाना है, भीड़ में नहीं। यह भी ख्याल में रहे कि भीड़ ने अब तक कोई महान कार्य नहीं किया है। जो भी महान कार्य हैं वे व्यक्तियों ने किए हैं। और वे सारे महान कार्य एकांत में पैदा हुए हैं।

यह जान कर तुम्हें आश्चर्य होगा कि भीड़ ने दुष्कर्म तो किए हैं, बुरे काम तो किए हैं, हत्याएं की हैं, युद्ध किए हैं, खून किए हैं, आग लगाई है। लेकिन भीड़ ने किसी सुंदर कृति को, किसी बहुमूल्य चित्र को, किसी मूर्ति को, किसी विज्ञान के आविष्कार को, किसी कविता को, किसी महाकाव्य को, किसी जीवन के सिद्धांत को जन्म नहीं दिया है। जो भी महत्त्वपूर्ण पैदा हुआ है वह व्यक्ति से पैदा हुआ है, भीड़ से नहीं। और व्यक्ति से भी तभी पैदा हुआ है जब वह एकांत में गया है, अकेले में गया है, भीड़ से थोड़ा अपने को उसने मुक्त किया है और दूर हुआ है। लेकिन हम सब तो भीड़ की तरफ भागते रहते हैं। अगर घड़ी भर अकेले बैठने को मिल जाए, तो हम घबरा जाएंगे, बेचैन हो जाएंगे। यह खतरनाक बात है। अगर तुम्हारे जीवन में एकांत की घडिय़ां नहीं हैं, तुम्हारे जीवन में कोई महत्त्वपूर्ण बात कभी भी पैदा नहीं हो सकेगी। अकेले होना सीखना चाहिए। ऐसा नहीं कि चौबीस घंटे अकेले रहो।

जीवन का काम है, उसमें भीड़ है। लेकिन कुछ घडिय़ां तो खोज लेनी चाहिए जब तुम बिलकुल अकेले हो, कोई साथ न हो। उस अकेलेपन में तुम्हें कुछ चीजों का साक्षात होगा। उस अकेलेपन में तुम क्या हो, उसकी अनुभूति होनी शुरू होगी। उस एकांत में ही उस चिंतन को जन्म मिलेगा, जो तुम्हारे जीवन को ऊंचा ले जा सकता है। उस एकांत में ही तुम्हारे भीतर उस आत्मा का जागरण होगा, जो तुम्हें प्रेरणा दे सकती है, गति और शक्ति दे सकती है। अकेले होने में ही तुम्हें विचार होगा कि मैं अपने जीवन को व्यर्थ तो नहीं खो रहा हूं? मैं जो कर रहा हूं, वह व्यर्थ तो नहीं है? जो मेरे जीवन में हो रहा है उसका कोई अर्थ है या नहीं? मेरा जीवन जिस गति से जा रहा है वह उचित है क्या? इस सबका चिंतन पैदा होगा। अपने भीतर की बुराइयां देखने की भी संभावना पैदा होगी। और अगर बुराइयां दिखाई पडऩे लगें तो उनसे छूटना कठिन नहीं होता है। अगर तुम्हारे जीवन में कुछ श्रेष्ठ है, तो उसे कैसे और बड़ा करें, इसकी भी प्रेरणा मिलेगी। वह तुम्हारा आत्म निरीक्षण का क्षण हो जाएगा। इसलिए थोड़ी देर एकांत अत्यंत अनिवार्य है। क्योंकि एकांत में रहकर ही आप किसी वस्तु पर अपना ध्यान केंद्रित कर सकते हो।
किसी विषय पर गहन अध्ययन करना हो तो एकांत आपके लिए अत्यधिक महत्त्वपूर्ण होगा। ज्ञान की सीमा जानने का एकमात्र उपाय है कि थोड़ी देर एकांत में रह कर ध्यान लगाया जाए। शांत वातावरण में रहकर ही आप कुछ नया सोच विचार कर सकते हो। ध्यान के लिए एकांत बहुत जरूरी है। मन की गहराइयों से किसी विषय पर अध्ययन करने के लिए एकांत परम आवश्यक है।


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