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1 मिनट में 1 मौत, ब्लड प्रेशर बढऩा है मुख्य कारण, इन बातों का रखें ध्यान, बच जाएगी जान

By: Dec 16th, 2023 4:43 pm

पंकज राणा—टीएमसी

अधरंग रोग आज के समय में एक घातक व जानलेवा रोग बनता जा रहा है। विश्व में 6 लोगों में से 1 व्यक्ति अधरंग की बिमारी का शिकार बन रहा है। भारत में हर एक मिनट में एक अधरंग के मरीज की मौत हो रही है। पूरी जानकारी के अभाव व लापरवाही के कारण अधिकतर लोग इस बिमारी की चपेट में आ रहे हैं। टांडा अस्पताल के न्यूरोलॉजी के एचओडी विशेषज्ञ डीएम व एमडी डॉक्टर अमित भारद्वाज का कहना है कि लकवा यानी अधरंग के अटैक से ग्रस्त मरीज को समय रहते अगर 4 घंटे के अंदर अस्पताल पहुंचा दिया जाए, तो उसकी पूरी तरह से रिकवरी हो सकती है और मरीज पूर्णतया स्वस्थ हो सकता है।

ज्यादातर गांव से आने वाले मरीज उपचार के लिए अस्पताल पहुंचने में बहुत देरी कर देते हैं और देसी इलाज के चक्कर में पड़ जाते हैं और समय को बर्बाद कर देते हैं। कुछ गांव लोगों का मिथ तो ऐसा है कि अधरंग के मरीज को धरती के संपर्क में नहीं आना चाहिए, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं होता है। समय पर अस्पताल न पहुंचने के कारण मरीज की हालत और बिगड़ जाती है, जिसके कारण ईलाज के बाद वे पूर्णतया स्वस्थ नहीं हो पाते हैं। अगर लकवे के मरीज व उनके परिवार वाले थोड़ी सतर्कता बरतें और मरीज को तुरंत अस्पताल पहुंचा दें, तो उसकी रिकवरी के चांस बहुत अधिक बढ़ जाते हैं और भविष्य में भी लकवे के अटैक का खतरा बहुत कम हो जाता है।

उन्होंने बताया कि अगर अधरंग या लकवे के अटैक के 4 घंटे के अंदर मरीज को अस्पताल पहुंचा दिया जाए, तो उसे थार्मोलेटिक थेरेपी के अंतर्गत एक इंजेक्शन लगा दिया जाता है, जो इस अटैक को जल्दी नियंत्रित कर लेता है और अटैक के असर को तुरंत खत्म कर देता है। यह इंजेक्शन लकवे से ग्रस्त मरीज को अस्पताल में मुफ्त में लगाया जाता है, जिसकी ऐसे 40 से 50 हजार कीमत होती है, लेकिन अगर मरीज को लापरवाही के चलते अस्पताल पहुंचाने में देरी कर दी जाए, तो इस इंजेक्शन की रिकवरी की क्षमता कम हो जाती है, इसलिए लकवे के अटैक में समय का बहुत महत्व है। जब लकवे का अटैक पड़ता है, तो ब्रेन की आर्टरीज में क्लोटिंग हो जाती है, जिसके कारण लकवे के अटैक की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। इसका एक मुख्य कारण बीपी के अनियंत्रित होना है। इसलिए बीपी को नियंत्रित रखें तथा रूटीन में चेक करवाते रहें और दवाई रेगुलर लेते रहें। ब्रेन की रिकवरी में जल्द मदद मिलने से दोबारा अधरंग के अटैक की संभावनाएं कम हो जाती हैं और मरीज पूर्णतया स्वस्थ हो जाता है।

अधरंग के अटैक के लक्षण
लकवे के अटैक को व्यक्ति इस तरह से पहचान सकता है कि अटैक के समय व्यक्ति की एक साइड कमजोर हो जाती है। मुंह टेढ़ा हो जाता है। हाथ व पांव का काम न करना, आवाज का बंद हो जाना या थर-थर्रा जाना लकवे के लक्षण हैं।

अधरंग से कैसे करें बचाव
शुगर और बीपी की नियमित जांच करवाते रहें। बीपी की दवाई रेगुलर लेते रहें। फैट व जंक फूड से परहेज करें। भारत के सभी सरकारी अस्पतालों में जहां सीटी स्कैन की सुविधा है, वहां पर अधरंग के मरीजों का मुफ्त में इलाज की सुविधा है।


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