बोर्ड की परीक्षा में अभी कुछ ही दिन बचे हैं। इससे देशभर के बच्चों में घबराहट होने लगी है। खुद को बेहतर साबित करने के लिए इन परीक्षाओं में अव्वल नंबर लाने का भ्रम इस तरह बच्चों व उससे ज्यादा उनके अभिभावकों पर देखा जा रहा है कि अब ये परीक्षा नहीं, एक युद्ध सा हो गया है। बच्चों के बचपन, शारीरिक,मानसिक स्वास्थ्य की कीमत पर एक बढिय़ा नंबरों का सपना देश के ज्ञान संसार पर भारी पड़ रहा है। विडंबना है कि डाक्टर, इंजीनियर बनने जैसे सपने साकार करने के लिए लालायित बच्चे 10-12 साल से स्कूल जा रहे हैं, लेकिन उनकी पढ़ाई उनको असफलता का सामना करने का साहस नहीं सिखा पाती।
परीक्षा देने जा रहे बच्चे खुद याद करने से ज्यादा इस बात से चिंतित दिखते हैं कि उनसे बेहतर करने की संभावना वाले बच्चों ने ऐसा क्या रट लिया है, जो उन्हें नहीं आता। असल में प्रतिस्पर्धा के असली मायने सिखाने में पूरी शिक्षा प्रणाली असफल ही रही है। अपनी क्षमता के अनुरूप सबसे बेहतर करूं यही स्वस्थ प्रतिस्पर्धा है, लेकिन आज की प्रणाली दूसरों से तुलना में अपनी क्षमता आंकने का पाठ पढ़ाती है। ऐसे में बतौर अभिभावक आपकी यह जिम्मेदारी बनती है कि आप अपने बच्चे को तनाव से दूर रखने में उसकी मदद करें। अगर आपका बच्चा भी परीक्षा के तनाव से जूझ रहा है, तो आप कुछ टिप्स की मदद से उसकी सहायता कर सकते हैं। तो चलिए जानते हैं बच्चों में एग्जाम स्ट्रेस को दूर करने के टिप्स के बारे में।
बच्चे पर दबाव न बनाएं
कई माता-पिता अपने बच्चे पर पढ़ाई के लिए बहुत अधिक दबाव बनाने लगते हैं। लेकिन इस दबाव की वजह से भी बच्चे तनाव का शिकार हो सकते हैं। ऐसे में यह बेहद जरूरी है कि आप बच्चे पर पढ़ाई या रिजल्ट को लेकर अत्यधिक दबाव न बनाएं। आपको अपने बच्चे के प्रति विश्वास जाहिर करना चाहिए ताकि उसे प्रोत्साहन मिल सके।
केवल नंबरों की दौड़
बारहवीं बोर्ड के परीक्षार्थी बेहतर स्थानों पर प्रवेश के लिए चिंतित हैं, तो दसवीं के बच्चे अपने पसंदीदा विषय पाने के दबाव में। दूसरी ओर हैं मां-बाप के सपने। बचपन, शिक्षा, सीखना सब कुछ इम्तिहान के सामने गौण है। नंबरों की दौड़ में सब कुछ दांव पर लग गया है। क्या किसी बच्चे की योग्यता का पैमाना महज अंकों का प्रतिशत है? वह भी उस परीक्षा प्रणाली में, जिसकी मूल्यांकन प्रणाली संदेहों से घिरी है। मूल्यांकन का आधार बच्चों की योग्यता न हो कर उसकी कमजोरी है। बच्चों के लिए स्कूली बस्ते के बोझ से अधिक बुरा है न समझ पाने का बोझ। अव्वल आने की दौड़ में न जाने कितने बच्चे कुंठा का शिकार होकर अतिवादी कदम उठा चुके हैं।
बच्चे से बात करें
अगर आपका बच्चा परीक्षा के कारण तनाव में है, तो उससे बात करें। पेरेंट्स को बच्चे के लिए सपोर्ट सिस्टम की तरह होना चाहिए। अगर आपका बच्चा स्ट्रेस या डरा हुआ है, तो उसे समझाएं कि यह एक बेहद सामान्य बात है। आपको बच्चे से बात करके परीक्षा के तनाव को मैनेज करने में मदद करनी चाहिए।