स्टूडेंट अब कर पाएंगे यह कोर्स; क्रेडिट स्कोर भी मिलेंगे, यूनिवर्सिटी-कालेज में पढऩे वाले छात्रों को राहत

By: Jan 7th, 2024 9:50 pm

स्टाफ रिपोर्टर-शिमला

यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन ने इंडस्ट्री की जरूरतों के हिसाब से उच्च शिक्षण संस्थानों में शॉर्ट टर्म सर्टिफिकेट कोर्स शुरू करने को लेकर एक गाइडलाइन जारी की है। ये सर्टिफिकेट कोर्स 12 के्रडिट से 30 क्रेडिट तक के होंगे। नई गाइडलाइन के अनुसार ये शॉर्ट टर्म कोर्स यूनिवर्सिटी और कालेज में पढऩे वाले हर एक स्ट्रीम के स्टूडेंट कर सकेंगे। नए सत्र में छात्रों को ये सुविधा मिल सकती हैै। ये कोर्स तीन से छह महीने के होंगे। गाइडलाइन के अनुसार शॉर्ट टर्म कोर्स करने के लिए हर वह स्टूडेंट एलिजिबल होगा जिसने यूनिवर्सिटी या कालेज में डिग्री, डिप्लोमा कोर्स में दाखिला लिया होगा। नई गाइडलाइन राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार तैयार की गई है।

ऐसे स्टूडेंट्स जिन्हें किसी वजह से स्कूल या कालेज की पढ़ाई बीच में छोडऩी पड़ी है, वे भी इस कोर्स की मदद से अपनी स्किल पर काम कर सकते हैं। यूजीसी की नई गाइडलाइन में 27 टॉपिक पर शॉर्ट टर्म कोर्स शुरू करने की मंजूरी दी गई है। इसमें रोबोटिक्स, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम डिजाइंस, डिजिटल मार्केटिंग, योगिक साइंस एंड इफेक्टिव कम्युनिकेशन, क्रिटिकल थिंकिंग एंड प्रॉब्लम सॉल्विंग जैसे टॉपिक शामिल हैं।

इंस्टीच्यूट वेबसाइट पर देंगे कोर्स की जानकारी

यूजीसी की नई गाइडलाइन के अनुसार शॉर्ट टर्म कोर्स शुरू करने के लिए उच्च शिक्षण संस्थान खुद सेंटर बना सकते हैं या फिर इंडस्ट्री की मदद से इस पर काम कर सकते हैं। यह भी कहा गया है कि इंस्टीच्यूट्स को अपनी वेबसाइट पर कोर्स के डिजाइन, करिकुलम, सीटों की संख्या और एडमिशन, कोर्स और फीस की जानकारी, हर एक कोर्स के लिए जारी किए जाने वाले सर्टिफिकेट की जानकारी अपनी वेबसाइट पर देनी होगी।

कोर्स में होंगे 60 स्टूडेंट्स

यूजीसी की गाइडलाइन के अनुसार प्रत्येक कोर्स में 60 से अधिक स्टूडेंट नहीं होंगे। किसी भी कोर्स के लिए बैच बढ़ाए जा सकते हैं। हर कोर्स के स्किल कंपोनेंट में कुल क्रेडिट का 60 फीसदी दिया जाएगा। क्रेडिट परसेंटेज अधिकतम 70 फीसदी तक जा सकता है। स्किल कंपोनेंट में प्रैक्टिकल लैब, वर्कशॉप और इंडस्ट्री में काम करने वाली हैंड्स ऑन ट्रेनिंग जैसी चीजें शामिल हैं। साथ ही यह भी कि हर तीन साल में वाइस चांसलर या प्रिंसीपल की तरफ से बनाई गई एक एक्सटर्नल कमेटी इन सेंटरों की जांच करेगी।


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