त्रियुगीनारायण मंदिर

By: Mar 2nd, 2024 12:22 am

महाशिवरात्रि का महापर्व आने वाला है। हिंदू ग्रंथों के अनुसार महाशिवरात्रि शिवजी का महापर्व विवाह के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि भगवान शिव और पार्वती का विवाह कहां हुआ था। आइए जानते हैं वह पवित्र स्थान कहां है और वह मंदिर, जहां भगवान शिव का विवाह हुआ था। यह पवित्र मंदिर है उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में और इसका नाम है त्रियुगीनारायण मंदिर। त्रियुगीनारायण मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के त्रियुगीनारायण गांव में स्थित एक हिंदू मंदिर है। प्राचीन मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। भगवान नारायण भूदेवी तथा लक्ष्मी देवी के साथ विराजमान हैं। इस प्रसिद्धि को इस स्थान पर विष्णु द्वारा देवी पार्वती के शिव से विवाह के स्थल के रूप में श्रेय दिया जाता है और इस प्रकार यह एक लोकप्रिय तीर्थ स्थल है। विष्णु ने इस दिव्य विवाह में पार्वती के भ्राता का कर्तव्य निभाया था, जबकि ब्रह्मा इस विवाह यज्ञ के आचार्य बने थे।

इस मंदिर में विशेष एक अखंड ज्योति है, जो मंदिर के सामने जलती है। माना जाता है कि लौ दिव्य विवाह के समय से जलती आ रही है, जो आज भी त्रियुगीनारायण मंदिर में विद्यमान है। इस प्रकार मंदिर को अखंड धूनी मंदिर भी कहा जाता है। आने वाले यात्री इस हवन कुंड की राख को अपने साथ ले जाते हैं और मानते हैं कि यह उनके वैवाहिक जीवन को सुखी बनाएगी। त्रियुगीनारायण मंदिर के पुजारी रविग्राम नामक गांव के जमलोकी ब्राह्मण हैं, जो इस हवन कुंड की अग्नि को लगातार जलाए रख रहे हैं और वहां भगवान की पूजा, भोग, स्नान सब कुछ जमलोकी ब्राह्मण ही कर रहे हैं। यह मंदिर भगवान विष्णु के पांचवे अवतार भगवान वामन अवतार को समर्पित है। मंदिर के सामने ब्रह्मशिला को दिव्य विवाह का वास्तविक स्थल माना जाता है। मंदिर के अहाते में सरस्वती गंगा नाम की एक धारा का उद्गम हुआ है। यहीं से पास के सारे पवित्र सरोवर भरते हैं। सरोवरों के नाम रुद्रकुंड, विष्णुकुंड, ब्रह्मकुंड व सरस्वती कुंड हैं। रुद्रकुंड में स्नान, विष्णुकुंड में मार्जन, ब्रह्मकुंड में आचमन और सरस्वती कुंड में तर्पण किया जाता है। रुद्रप्रयाग से 159 किमी. की दूरी पर है मंदिर- माना जाता है कि वर्तमान मंदिर की स्थापना आदि शंकराचार्य ने की थी। उन्होंने पूरे उत्तराखंड में कई मंदिरों की स्थापना की थी, जिनमें केदारनाथ और बद्रीनाथ भी शामिल हैं। मंदिर में चांदी की एक दो फुट की भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित है। यह मंदिर रुद्रप्रयाग से 159 किमी. की दूरी पर है, जो ऋषिकेश से लगभग 152 किमी. की दूरी पर है। आज भी कई श्रद्धालु यहां दर्शन करने आते हैं।


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