वालीनाथ महादेव मंदिर

By: Mar 2nd, 2024 12:20 am

अयोध्या राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा और कल्कि धाम मंदिर के शिलान्यास के बाद अब गुजरात के मेहसाणा में वालीनाथ धाम मंदिर का उद्घाटन किया गया है। वालीनाथ महादेव के भव्य मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा गुरुपुष्प अमृत सिद्धि योग में हुई है। कहा जा रहा है कि वालीनाथ धाम में जिस शिवलिंग को स्थापित किया गया है, उस शिवलिंग के दर्शन मात्र से महादेव के भक्तों को 12 ज्योतिर्लिंग का आशीर्वाद मिलेगा। वालीनाथ महादेव मंदिर का निर्माण पुराने मंदिर के स्थान पर किया गया है, इस मंदिर की खास विशेषता है कि पूरे देश के शिव मंदिरों में भगवान शिव के दर्शन शिवलिंग में होते हैं, लेकिन यहां पर उनका स्वंयमुखा मूर्ति भी है। पौराणिक मान्यता है कि इस स्थान पर महाभारत काल से भगवान शिव की पूजा हो रही है और खुद भगवान कृष्ण ने यहां शिवलिंग की स्थापना की थी। 900 साल पुराना इतिहास- तरभ गांव में स्थित वालीनाथ महादेव मंदिर रबारी समुदाय सहित अन्य समुदायों के लिए भी आस्था का केंद्र है। वालीनाथ महादेव मंदिर का इतिहास 900 साल पुराना है। बताया जाता है कि इस शिव भूमि पर रबारी जाति के विरमगिरि बापू का आगमन हुआ था। भक्त तरभोवन रबारी के आग्रह के बाद विरमगिरि बापू वालीनाथ धाम पहुंचे थे। विरमगिरि बापू को जमीन में दबी भगवान वालीनाथ की मूर्ति व धूणी के दर्शन हुए थे। उसके बाद जमीन में दबी भगवान वालीनाथ की मूर्ति को बाहर निकालकर प्रतिष्ठा की गई और एक वृक्ष के नीचे अखंड धूप जलाई गई। एक और दूसरी मान्यता यह भी है कि वीरमगिरिजी को स्वप्न आने के बाद खुदाई की थी और उसमें वालीनाथ महादेव की मूर्ति निकली थी। इस मूर्ति की आज भी यहां पर पूजा की जाती है।

अब तक हुए 14 महंत- रबारी समुदाय समेत छत्तीस जातियां परंपरा से इस स्थान को गुरुगादी मानती हैं। श्री वालीनाथ महादेव मंदिर रबारी समुदाय सहित अन्य समुदायों के लिए अगाध आस्था का केंद्र है। धार्मिक मान्यता है कि 900 वर्ष पूर्व वालीनाथ अखाड़े में प्रथम गुरुगादी वीरमगिरि बापू द्वारा मंदिर के निर्माण के बाद श्री वालीनाथजी के स्थान पर महंत आचार्य परंपरा शुरू हुई। अब तक 14 महंतों ने वालीनाथ महादेव धाम की गद्दी संभाली है, वर्तमान में वालीनाथ मंदिर की सेवा पूजा सहित परंपरा श्री जयरामगिरि बापू रबारी गद्दी पर विराजमान हैं।
जानें क्या है मंदिर की खासियत- वालीनाथ महादेव मंदिर उंझ-विसनगर रोड पर आने वाले तरभ गांव में स्थित है। वालीनाथ महादेव मंदिर का निर्माण 1.45 लाख घन फीट क्षेत्र में किया गया है। इस मंदिर का निर्माण प्राचीन नागर शैली में किया गया है। वालीनाथ महादेव मंदिर का निर्माण बंसी पहाड़पुर के पत्थरों से किया गया है। इस मंदिर की ऊंचाई करीब 101 फुट, लंबाई 265 फुट और चौड़ाई 165 फुट है। वालीनाथ महादेव मंदिर 68 स्तंभों से सुसज्जित है। सोमनाथ मंदिर के बाद गुजरात में दूसरा सबसे बड़ा शिवधाम है। वालीनाथ महादेव मंदिर का निर्माण 14 साल में हुआ है।

इसलिए नाम पड़ा वालीनाथ- दंतकथा के अनुसार एक बार भगवान श्रीकृष्ण गोपियों के साथ रासलीला कर रहे थे, इस रासलीला में कोई बाहरी व्यक्ति नहीं आ सकता था। लेकिन शिवजी को रासलीला के दिव्य दर्शन की इच्छा हुई, तब उन्होंने श्री कृष्ण की गोपी बनकर रासलीला में भाग लिया। भगवान श्रीकृष्ण ने उनके कानों में पहनी वाली (कान का आभूषण) के स्वरूप के कारण पहचान लिया था, इसलिए भगवान शिव को वालीनाथ के नाम से जाना जाता है।


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