बातें बड़ी-बड़ी…न फुट ब्रिज, न ही दीवार बनी

By: Apr 16th, 2024 12:14 am

सैंज के सतेश-एक और दो के लोगों को नौ महीने बाद भी नहीं मिली जख्मों से राहत; घर-जमीन छोड़ महफूज जगह में कमरे ढूंढ रहे ग्रामीण

नगर संवाददाता- सैंज
बीते नौ माह में जब प्रशासन ने सतेश के ग्रामीणों की सुंध नही ली तो ग्रामीणों ने अब घर जमीन छोडक़र सुरक्षित जगह की ओर पलायन करना शुरू कर दिया है। ग्रामीणों का आरोप है कि शासन और प्रशासन ने सतेश वन व सतेश टू के ग्रामीणों की सुरक्षा राम भरोसे छोड़ रखी है । बीते 9 माह से ग्रामीण लगातार प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि उन्हें नदी को पार करने के लिए फुट ब्रिज और गांव व जमीन को बचाने के लिए सुरक्षा दीवार का निर्माण कार्य किया जाए ताकि आने वाली बरसात में गांव व जमीन को कोई नुकसान ना हो। ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासन ने सतेश गाँव को छोडक़र अन्य गांव में जहां नदी को अपनी जगह मोडऩे के लिए ड्रेजिंग का कार्य शुरू किया है, वहीं कई जगह गांव को बचाने के लिए कंक्रीट की बड़ी-बड़ी दीवारें लगाई जा रही है, लेकिन सतेश गांव में नौ माह बीत जाने के बावजूद न तो फुट ब्रिज का निर्माण कार्य हुआ है और न ही नदी को अपनी जगह मोडऩे के लिए ड्रेजिंग की जा रही है। स्थानीय वार्ड पंच, भगत राम, ज्ञानचंद, कादशी राम, प्रेमचंद तथा राजकुमार आदि ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि गत वर्ष जुलाई माह में आई प्राकृतिक आपदा ने सतेश गांव की करीब 15 बीघा जमीन का नामोनिशान मिटा दिया है और नौ माह से स्थानीय लोगों की जमीन पर नदी बह रही है। गत वर्ष जुलाई माह में आई प्राकृतिक आपदा में सतेश गांव में करीब दो सौ फलदार पेड़ बाढ़ की भेंट चढ़े हैं, जिस कारण अब ग्रामीणों को भविष्य की चिंता सताने लगी है कि दो तीन माह बाद फिर बरसात आने वाली है जो सतेश के ग्रामीणों के लिए घातक सिद्ध हो सकती है। ग्रामीणों ने कहा कि जो थोड़े बहुत बाग वगीचे और घर सुरक्षित वचे हैं वे भविष्य में नहीं बच पाएंगे। खतरे को देखते हुए ग्रामीणों ने अब गांव से पलायन करना शुरू कर दिया है और सुरक्षित जगह में अपने परिवार को रखने के लिए ठिकाना ढूंढ रहे हैं। पिन पार्वती नदी में गत वर्ष जुलाई माह में आई बाढ़ के कारण नदी का रुख गांव की ओर मुडऩे से जहां करीब 15 बीघा जमीन सतेश गांव में बाढ़ की भेंट चढ़ी है, वहीं गांव भी खतरे की जद में आ गया है। नौ माह बीत जाने के बाबजूद जब शासन और प्रशासन ने सतेश के ग्रामीणों की सुंध नही ली है तो अब थकहारे ग्रामीणों ने मजबूरन घर जमीन छोडक़र सुरक्षित जगह की ओर पलायन करना शुरू कर दिया है। अब लोकसभा के चुनावों के वक्त जनता राजनेताओं से सवाल करेगी कि आखिर नौ महीने का वक्त बीत जाने के बाद भी घोषणाओं पर अमल क्यों नहीं हो पाया।

सुविधाओं को तरसा गांव
सतेश गांव बीते 9 माह से मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहा है। यहां सुविधा के नाम पर सिर्फ बिजली है और अन्य सभी मूलभूत सुविधाओं के लिए ग्रामीण तरस रहे हैं। सबसे बड़ी चिंता गांन की क्नेक्टिविटी है। यहां पर रास्ते तबाह हो गए हैं और कोई भी उनकी सुध नहीं ले रहा है।

खतरनाक बरसात…
कुल्लू जिला के यह 2023 की बरसात किसी दुस्वप्न से कम नहीं रही। आठ और नौ जुलाई को आसमान से बरसी तबाही ने समूचे जिला को हिला कर रख दिया। भारी बारिश और बादल फटने से उफनी ब्यास के आगे जो भी आया ताश के पत्तों की तरह उड़ गया। इस दौरान पिन-पार्वती ने सैंज में जो तबाही मचाई, वह आज भी डरा रही है।

चार परिवारों ने समेट लिया सारा तामझाम

सतेश गांव के चार परिवारों ने घर और जमीन छोडक़र गांव से पलायन किया है और इन दिनों सुरक्षित जगह किराए के कमरे में अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं और अन्य परिवार भी जल्द गांव से पलायन कर सकते हैं। घर जमीन छोडक़र किराए के कमरे में रह रहे शेर सिंह, विधवा सीता देवी, लालकृष्ण तथा प्रकाश चंद आदि ने बताया कि गांव जाने के लिए ना तो सुरक्षित रास्ता है और ना ही प्रशासन की ओर से गांव को बचाने के लिए ठोस कदम उठाए जा रहे हैं । उन्होंने कहा कि जिस कारण उन्होंने घर जमीन छोडक़र किराए के कमरे में सुरक्षित जगह रहने का फैसला लिया है।

सुरक्षित जगह पलायन करने लगे लोग
जुलाई माह में आई प्राकृतिक आपदा के बाद न तो पिन-पर्वती नदी को पार करने वाला फुट ब्रिज का निर्माण कार्य शुरू हुआ है और न ही पैदल रास्ते ठीक किए गए हैं । साथ ही यहां पर गांव को बचाने के लिए सुरक्षा दीवार के अलावा नदी को अपनी जगह पर मोडऩे के लिए ड्रेजिंग की गई । शासन और प्रशासन की लापरवाही के कारण अब लोग अपने घर जमीन छोडऩे को मजबूर हो गए हैं। बहरहाल सुरक्षा को तरसे सतेश के ग्रामीणों ने घर और जमीन छोड़ सुरक्षित जगह की ओर पलायन करना शुरू किया है।


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