शिमला पर 10 बार सोलन का कब्जा

By: Apr 16th, 2024 12:05 am

अब तक 12 चुनावों में एक बार शिमला एक बार सिरमौर के नेता ने मारी बाजी

मुकेश कुमार — सोलन

13 विधायकों, पांच मंत्रियों, तीन मुख्य संसदीय सचिवों व एक विधानसभा उपाध्यक्ष के आधिपत्य वाले शिमला संसदीय क्षेत्र में कांगे्रस अब युवा तुर्क पर दांव खेलकर किला फतह करने में जुट गई है। शिमला संसदीय सीट पर आज तक 12 बार चुनाव हुए हैं तथा इसमें 10 बार कांग्रेस व भाजपा के सोलन जिले से ताल्लुक रखने वाले प्रत्याशी ही चुनाव जीते हैं। यह सीट एक बार शिमला व एक बार सिरमौर जिले के प्रत्याशी के खाते में गई है। कांग्रेस ने इस संसदीय सीट पर अब उस नेता को टिकट दी है, जिसके पिता के नाम छह बार अपराजेय सांसद निर्वाचित होने का रिकॉर्ड है। कसौली के विधायक विनोद सुल्तानपुरी को कांग्रेस ने भाजपा के मुकाबले उतारा है। कांग्रेस ने वर्तमान राजनीतिक संकट को देखते हुए एक विधायक को टिकट दे दिया है। विनोद सुल्तानपुरी छह बार सांसद रहे केडी सुल्तानपुरी के पुत्र हैं। हालांकि कयास लगाए जा रहे थे कि उनके छोटे भाई कमल सुल्तानपुरी के नाम पर भी कांग्रेस में चर्चा चल रही थी, परंतु अंत में कांग्रेस ने अपने चिर परिचित चेहरे पर ही विश्वास जताया तथा विनोद सुल्तानपुरी की विधायकी को भी साइड लाइन करके उन्हें सांसद का टिकट दे दिया।

विनोद सुल्तानपुरी को टिकट देने के पीछे एक प्रमुख कारण यह भी है कि वह सोलन के कसौली निर्वाचन से संबंध रखते हैं। पहली बार सन 1977 में इस संसदीय सीट पर चुनाव हुआ तथा उसमें भारतीय लोकदल के बालक राम ने विजयी झंडा फहराया। वह शिमला के रहने वाले थे। उसके बाद 1980 से लेकर 1998 तक हुए छह बार लोकसभा चुनावों में स्व. कृष्ण दत्त सुल्तानपुरी लगातार विजयी हुए। वह कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ते थे तथा कसौली निर्वाचन क्षेत्र के सुल्तानपुर क्षेत्र के स्थायी निवासी थे। 1999 में पहले हिविकां व वर्ष 2004 में कांग्रेस की टिकट पर धनीराम शांडिल जीते तथा उनका संबंध भी सोलन के ममलीगसे ही था। 2009 व 2014 में भाजपा की टिकट पर प्रो. वीरेंद्र कश्यप दो बार विजयी रहे तथा वह भी सोलन के ही रहने वाले थे। बीते चुनाव में सिरमौर के भाजपा सांसद सुरेश कश्यप विजयी रहे।

कसौली-शिमला में हो सकते हैं उपचुनाव

कांग्रेस के लिए अब यह ऊहापोह की स्थिति भी बन गई है कि यदि विनोद सुल्तानपुरी सांसद के रूप में निर्वाचित हो जाते हैं, तो विधायक की सीट उन्हें छोडऩी पड़ सकती है। ऐसे में प्रदेश विधानसभा में पहले चल रहे राजनीतिक संकट में कांग्रेस का एक विधायक कम हो सकता है। कमोवेश यह स्थिति मंडी संसदीय क्षेत्र में भी है, जहां से कांग्रेस ने विधायक विक्रमादित्य सिंह को चुनाव में उतारा गया है।

एक्टिव हुए भाजपा नेता और कार्यकर्ता

कसौली विधानसभा के विधायक विनोद सुल्तानपुरी को टिकट मिलने के बाद भाजपा के पूर्व मंत्री डा. राजीव सेजल व उनकी टीम और एक्टिव मोड में आ गई है। भाजपा के कई कार्यकर्ताओं का कहना है कि मोदी लहर के चलते वैसे तो भाजपा प्रत्याशी सुखद स्थिति में हैं, परंतु यदि कोई उल्टफेर होता है, तो इस विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव होंगे तथा पुन: भाजपा का परचम लहराया जाएगा।

किसके लिए प्रचार करेंगे वीरेंद्र कश्यप

शिमला संसदीय सीट से भाजपा के दो बार सांसद रह चुके प्रो. वीरेंद्र कश्यप क्या पुन: भाजपा प्रत्याशी सुरेश कश्यप के प्रचार में उतरेंगे या गुमनामी में रहकर कोई नई रणनीति पर काम करेंगे। प्रो. वीरेंद्र कश्यप ने इस बार कांग्रेस की टिकट लेने के लिए दिल्ली में कांग्रेस आलाकमान से भी संपर्क साधा था। बहरहाल, भाजपा के बेगाने तो वह हो ही गए थे तथा कांग्रेस ने भी उन्हें अपने खेमे में शामिल करने में कोई रुचि नहीं जताई।


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