हिमाचल से गायब होने लगा जापान के सौभाग्य का प्रतीक

By: May 23rd, 2024 5:55 pm

विशेष संवाददाता—शिमला

हिमालयी क्षेत्रों में फैले देवदार के जंगलों की शान संकट में आ गई है। तपते सूरज के आगे इसकी चमक इतनी फीकी पड़ गई है कि आने वाले समय में यह शायद ही यह शान जंगलों में शाइनिंग करे। हिमाचल, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर के जंगलों में पाया जाना वाला लिलियम पोलीफाइलम (लिल्ली) ओरकिड बढ़ती गर्मी के चलते लुप्त होने की कगार पर है।

यह फूल शिमला में देवदार के जंगलों में भारी मात्रा में पाए जाते हैं, लेकिन अब इस क्षेत्र से यह लुप्त हो रहे हैं। ग्लोबल वार्मिंग के कारण जैव विविधता का ह्रास हो रहा है। कोरल रीफ जो जैव विविधता का एक महत्वपूर्ण अंग है, की 90 फीसदी से अधिक प्रजातियां मात्र दो डिग्री तापमान बढऩे पर लुप्त हो जाएंगी। ऐसे में वैज्ञानिक भी चिंतित हो उठे हैं। जापान में जहां सफेद लिली को सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है, वहीं नारंगी लिली को वृद्धि और उत्साह का प्रतीक। हैरानी की बात है कि इतनी महत्त्वपूर्ण प्रजाति हिमाचल में मुरझा रही है।

30 हजार से ज्यादा वन्य प्राणी
वन अनुसंधान केंद्र शिमला में अंतरराष्ट्रीय जैवविविधता कार्यक्रम के समन्वयक डा. जोगिंदर सिंह चौहान ने जैवविविधता दिवस पर इस बारे में भारी चिंता व्यक्त की। निदेशक डा. संदीप शर्मा ने बताया कि इंडियन हिमालयन क्षेत्र की जैव विविधता का हाट स्पाट है, जो 5.3 लाख वर्ग मीटर क्षेत्र में फैला है तथा यहां 21 तरह के वन पाए जाते हैं। हिमालयन क्षेत्र में 18 हजार 940 वनस्पति प्रजातियां 30 हजार से ज्यादा वन्य प्राणी प्रजातियां हैं। वैश्विक तापमान वृद्धि से बहुत सारी प्रजातियां विलुप्त हो गई हैं, जिनकी विज्ञान ने अभी खोज भी नहीं की है। उन्होंने कहा कि सभी को अपने स्तर पर जैव विविधता संंक्षण में योगदान देना चाहिए।

ऐसे खत्म हो रही प्रजातियां
संस्थान के वैज्ञानिक डा. वनीत जिष्टू ने हिमालयन क्षेत्र में जैव विविधता पारिस्थिकी और इसके संरक्षण पर व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि जनसंख्या वृद्धि, ग्लोबल वार्मिंग, अत्यधिक चरान और अनियंत्रित पर्यटन हिमालयन क्षेत्र की जैव विविधता पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहे हैं। जैव विविधता ह्रास से भविष्य में वातावरण पर होने वाले प्रभावों के विषय पर चर्चा की। डा. जिष्टू,ने अतीत व वर्तमान में उत्तर पश्चिमी हिमालय की जैव विविधता की तुलना की। उन्होंने ेछात्रों को विशेष रूप से एकल प्रयोग प्लास्टिक का उपयोग न करने और अपने आसपास पेड़ पौधे लगाने की सलाह दी।


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