सरकार… धर्मपुर को क्यों नहीं भेज रहे डाक्टर
एक तरफ सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने की बातें करती है, वहीं दूसरी तरफ विधानसभा क्षेत्र धर्मपुर के ज्यादातर हास्पिटल लोगों का इलाज करने के बजाय डाक्टरों की कमी के कारण खुद ही बीमार दिख रहे हैं। पूरे विधानसभा क्षेत्र में एक सिविल अस्पताल, एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और नौ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं। इनमें से ज्यादातर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तो बिना डाक्टरों के ही स्टाफ नर्स या फ ार्मासिस्ट के सहारे चल रहे हैं, वहीं पर दूसरी तरफ सिविल अस्पताल संधोल और सीएचसी धर्मपुर में भी एक यही हालत है। संधोल व धर्मपुर हास्पिटलों को चलाने के लिए अन्य पीएचसी से डाक्टरों का डेपुटेशन किया जाता है, जिस कारण वहां भी स्टाफ नर्स या फार्मासिस्ट से ही काम चलाया जाता है। सरकार ने स्वास्थ्य संस्थानों में भवन निर्माण तो कर दिया है, परंतु शायद यह भूल गई है कि इलाज भवन नहीं डाक्टर करते हैं। इसलिए डाक्टरों की नियुक्ति भी करनी पड़ती है, जब ‘दिव्य हिमाचल’ ने इस बारे में लोगों की राय जानी तो उन्होंने कुछ यूं रखी अपनी राय
स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर लोगों से धोखा
सुरेश राठौर का कहना है कि स्वास्थ्य सुविधाएं मानव जीवन का एक अहम हिस्सा है पूरे क्षेत्र में ही स्वास्थ्य सुविधाओं की हालत खस्ता है। ज्यादातर डाक्टरों व अन्य स्टाफ के पद खाली हैं। कोई भी इन्हें भरने के लिए गंभीर नहीं है। वर्तमान सरकार व पिछली सरकार दोनों ने ही क्षेत्र में बेहत्तर स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए कोई भी कार्य नहीं किया है।
लोग सरकाघाट जाते हैं इंजेक्शन लगवाने
व्यापार मंडल मढ़ी के प्रधान बलदेव सिंह का कहना है कि मढ़ी क्षेत्र की करीब नौ पंचायतों की 20 हजार की आबादी के लिए पीएचसी मढ़ी ही सहारा है, परंतु यहां कोई भी डाक्टर नहीं है। बड़ी बीमारी तो छोड़ो छोटी सी बीमारी होने पर भी लोगों को रात को एक इंजेक्शन लगाने के लिए कई बार एक हजार से 1200 रुपए में टैक्सी करके धर्मपुर या फिर सरकाघाट जाना पड़ता है।
नाम का ही सीएचसी सुविधा एक भी नहीं
विजय सकलानी का कहना है कि धर्मपुर अस्पताल पूरे क्षेत्र के लिए आपातकालीन सुविधाएं और रात्रि सेवा प्रदान करने वाला एकमात्र सहारा है, परंतु यहां पर केवल एक डाक्टर की नियुक्ति की गई है। विजय का कहना है कि अस्पताल का दर्जा 1999 में बढ़ा कर सीएचसी तो कर दिया, परंतु सुविधाएं अभी भी पीएचसी स्तर की भी नहीं हैं।
डेपुटेशन से चलाया जा रहा काम
सुनील कुमार का कहना है कि छोटी-छोटी बीमारियों पर भी लोगों को सरकाघाट मंडी या हमीरपुर का रुख करना पड़ता है, क्योंकि ज्यादातर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में डाक्टर हैं ही नहीं हैं, जहां हैं भी उनको डेपुटेशन से इधर-उधर काम चलाया जा रहा है।
Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also, Download our Android App