जो नौकरी में हैं, वो तो बहुत कठिनाई से अपने वेतन से कुछ न कुछ जुगाड़ कर लेते हैं, मगर जो विद्यार्थी व बेरोजगार हैं, वे कैसे अपना अभ्यास जारी रखें, यह हिमाचल सरकार को सोचना होगा। क्या प्रदेश
आज के विद्यार्थी के लिए विद्यालय या घर पर आधे घंटे के फिटनेस कार्यक्रम की सख्त जरूरत है। इसमें 15 से 20 मिनट धीरे-धीरे दौडऩा तथा विभिन्न कोणों पर शरीर के जोड़ों की विभिन्न क्रियाओं को पूरा करने के बाद शरीर को कूलडाउन करना होगा। कई मिनटों तक शारीरिक क्रियाओं के करने से रक्त वाहिकाओं में रक्त संचार तेज हो जाता है। हर मसल व अंग को उपयुक्त मात्रा में प्राणवायु मिलने से उसका समुचित विकास होता है। आज के विद्यार्थी को अगर कल का अच्छा नागरिक बनाना है तो हमें विद्यालय व घर पर उसके लिए सही फिटनेस कार्यक्रम देना होगा, जो नशे से भी दूरी बनाता हो...
आज का अभिभावक खेलों में भी अपने बच्चों का कैरियर देख रहा है, क्योंकि खेल आज अपने आप में एक प्रोफैशन है। मानव द्वारा विज्ञान में बहुत प्रगति कर प्रौद्योगिकी व चिकित्सा के क्षेत्र में नए-नए सफल शोध कर जीवनशैली को काफी आसान व सुविधाजनक बना लिया है, मगर शिक्षण व प्रशिक्षण में शिक्षक व प्रशिक्षक की भूमिका का महत्व आज भी वही है, जैसा हजारों साल पहले था। महाभारत में कृष्ण सारथी नहीं होते तो क्या अर्जुन भीष्म, कर्ण व अन्य अजेय महारथियों को हरा पाता। विश्व स्तर पर किसी खेल विशेष में सर्वश्रेष्ठ सिद्ध करने के लिए क्षमतावान प्रशिक्षक का होना बेहद जरूरी होता है। आशा करते हैं
इसके लिए प्राधिकरण के माध्यम से हिमाचल प्रदेश के खिलाडिय़ों को वैज्ञानिक आधार पर लंबी अवधि के प्रशिक्षण शिविर लगने चाहिएं तथा प्रदेश के शारीरिक शिक्षकों व पूर्व राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय खिलाडिय़ों के लिए सेमिनार व कम अवधि के प्रशिक्षक बनने के कोर्सेज हों। साथ ही साथ यहां पर राष्ट्रीय प्रतियोगिता के पूर्व लगने वाले कोचिंग कैम्प भी अनिवार्य रूप से लगाए जाएं, ताकि पहा
2019 की राष्ट्रीय स्कूली एथलेटिक्स में रोहित ने 400 मीटर के फाइनल में पहुंच कर भविष्य के पदक विजेता होने का परिचय दे दिया। हिमाचल में कुछ और एथलीट भी हैं...
इस तरह हर जिले में किसी न किसी खेल के लिए प्ले सुविधा उपलब्ध है। क्या ऐसा नहीं हो सकता है कि अच्छे प्रशिक्षकों व पूर्व खिलाडिय़ों को बुलाकर शिक्षा व खेल विभाग मिलकर खेल अकादमियां खोल दें। प्रदेश के दूरदराज शिक्षा संस्थानों में भी उपलब्ध खेल
इस स्तर पर अगर हिमाचल प्रदेश में घटिया खेल सामान न खरीद कर उच्च क्वालिटी का खेल सामान खरीदा होगा तो स्तरीय खेल सुविधा होगी व जो खिलाड़ी प्रशिक्षण सुविधाओं के अभाव में खेल छोड़ देते हैं, वे अपने घर में रह कर खेल जारी रख सकते हैं। घटिया खेल सामान की खरीद बंद हो...
खेल विभाग व जहां प्रशिक्षक प्रशिक्षण करवा रहा है, वहां उसे सही प्रबंधन देकर प्रशिक्षण कार्यक्रम से जोडऩा होगा। तभी पहाड़ की संतानों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन का मौका मिलेगा...
इन खेल छात्रावासों में दाखिल होने के अवसर न के बराबर होते हैं। इसलिए स्कूल के बाद महाविद्यालय स्तर पर खेल विंग मिलना जरूरी हो जाता है...
अभी भी समय है कि सरकार को चाहिए कि इन खेल मैदानों का रखरखाव ठीक ढंग से करवाए, ताकि हिमाचल प्रदेश के खिलाड़ी इन सुविधाओं का लंबे समय तक लाभ उठा सकें...