भूपिंदर सिंह

आज आधुनिकता की इस अंधी दौड़ में इनसान को अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देना जरूरी हो जाता है। आज जब मनुष्य के पास हर सुख सुविधा आसानी से उपलब्ध है, मगर समय का अभाव सबके सामने है, ऐसे में फिटनेस को बनाए रखने के लिए योग सबसे बढिय़ा है...

आज के विद्यार्थी को अगर कल का अच्छा नागरिक बनाना है, तो हमें स्कूली पाठ्यक्रम में पढ़ाई के साथ-साथ ही उसके लिए सही फिटनेस कार्यक्रम भी अवश्य देना होगा...

पढ़ाई के नाम पर ज्यादा समय खर्च करने के कारण फिटनेस के लिए कोई समय नहीं बचता है। अधिकांश स्कूलों के पास फिटनेस के लिए न तो आधारभूत ढांचा है और न ही कोई कार्यक्रम है। आज का विद्यार्थी फिटनेस व मनोरंजन के नाम पर दूरसंचार माध्यमों का कमरे में बैठ कर खूब दुरुपयोग कर रहा है। ऐसे में विद्यार्थी के सर्वांगीण विकास की बात मजाक लगती है। आज के विद्यार्थी के लिए विद्यालय या घर पर आधे घंटे के फिटनेस कार्यक्रम की सख्त जरूरत है। इसमें 15 से

शिक्षा संस्थान परिसर में जब मैदान ही नहीं होगा तो फिर पहाड़ की संतान को स्वास्थ्य व खेल क्षेत्र में पिछडऩे का दंश झेलना ही पड़ेगा...

प्रधानाचार्यों व शारीरिक शिक्षा के अध्यापकों को चाहिए कि वे अपने विद्यालयों में प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाएं...

हिमाचल प्रदेश में इस समय हर जिला स्तर सहित कई जगह उपमंडल स्तर पर भी इंडोर स्टेडियम बन कर तैयार हैं, मगर उन स्टेडियमों में बनी प्ले फील्ड का उपयोग प्रशिक्षण के लिए खिलाडिय़ों को ठीक से करना नहीं मिल रहा है...

अधिकांश स्कूलों के पास फिटनेस के लिए न तो आधारभूत ढांचा है और न ही कोई कार्यक्रम है। आज का विद्यार्थी फिटनेस व मनोरंजन के नाम पर दूरसंचार माध्यमों का कमरे में बैठ कर खूब दुरुपयोग कर रहा है। ऐसे में विद्यार्थी के सर्वांगीण विकास की बात मजाक लगती है...

हिमाचल प्रदेश के स्कूलों में ड्रिल व खेलों के लिए एक पीरियड, जो वर्षों पहले पढ़ाई के नाम पर खत्म कर दिया था, अब फिर से शुरू करने का क्रांतिकारी कदम उठाकर सरकार ने स्कूली विद्यार्थियों की फिटनेस को ध्यान में रखने को तो जरूर कहा है, मगर वह धरातल पर कहीं भी दिख नहीं रहा है। सरकार ने स्कूली स्तर पर खिलाडिय़ों के प्रशिक्षण व प्रतियोगिताओं के लिए समय सीमित कर दिया है...

तीसरा नियम है तप। इस नियम में अपने वर्ण, आश्रम, परिस्थिति और योग्यता के अनुसार स्वधर्म का पालन करना। व्रत, उपवास आदि भी इसी में शामिल किया जाता है। यानी कि स्व

जो नौकरी में हैं, वो तो बहुत कठिनाई से अपने वेतन से कुछ न कुछ जुगाड़ कर लेते हैं, मगर जो विद्यार्थी व बेरोजगार हैं, वे कैसे अपना अभ्यास जारी रखें, यह हिमाचल सरकार को सोचना होगा। क्या प्रदेश