क्या हिमाचल सरकार बढिय़ा प्रशिक्षकों को यहां लगातार कई वर्षों के लिए अनुबंधित कर प्रदेश के खिलाडिय़ों को राज्य में ही प्रशिक्षण सुविधा दिला कर खेल प्रतिभा का पलायन रोक सकती है...
हिमाचल प्रदेश के उच्च व वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों की खेल प्रतियोगिताएं विद्यार्थियों से लिए गए खेल शुल्क से आयोजित करवाई जाती हैं। इन खेल प्रतियोगिताओं में धन की किल्लत आम तौर पर देखी जा सकती है। इसलिए खंड स्तर से लेकर राज्य स्तर की स्कूली खेल प्रतियोगिताओं के लिए धन का प्रावधान अनिवार्य रूप से होना चाहिए। हिमाचल प्रदेश में आधे-अधूरे पड़े खेल ढांचे को पूरा करने के लिए बजट में माकूल धन राशि का प्रावधान किया जाए। राज्य का जलवायु खेल प्रशिक्षण के लिए यूरोप व अमेरिका जैसा है। यहां अच्छा प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किया जा सकता है...
प्रदेश सरकार कब तक ऐसे उत्कृष्ट प्रदर्शन करवाने वाले खेल छात्रावास खोलेगी या जो खेल छात्रावास चल रहे हैं, वहां पर प्रशिक्षकों को अनुबंधित करेगी...
खेल सुविधाओं के लिए पलायन करने वालों को भी जब अपने ही राज्य में रह कर अपना प्रशिक्षण कार्यक्रम पूरा करने के लिए सुविधा मिलेगी तो वह फिर क्यों अपना प्रदेश छोड़ेंगे...
आज आधुनिकता की इस अंधी दौड़ में इनसान को अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देना जरूरी हो जाता है। आज जब मनुष्य के पास हर सुख सुविधा आसानी से उपलब्ध है, मगर समय का अभाव सबके सामने है, ऐसे में फिटनेस को बनाए रखने के लिए योग सबसे बढिय़ा है...
आज के विद्यार्थी को अगर कल का अच्छा नागरिक बनाना है, तो हमें स्कूली पाठ्यक्रम में पढ़ाई के साथ-साथ ही उसके लिए सही फिटनेस कार्यक्रम भी अवश्य देना होगा...
पढ़ाई के नाम पर ज्यादा समय खर्च करने के कारण फिटनेस के लिए कोई समय नहीं बचता है। अधिकांश स्कूलों के पास फिटनेस के लिए न तो आधारभूत ढांचा है और न ही कोई कार्यक्रम है। आज का विद्यार्थी फिटनेस व मनोरंजन के नाम पर दूरसंचार माध्यमों का कमरे में बैठ कर खूब दुरुपयोग कर रहा है। ऐसे में विद्यार्थी के सर्वांगीण विकास की बात मजाक लगती है। आज के विद्यार्थी के लिए विद्यालय या घर पर आधे घंटे के फिटनेस कार्यक्रम की सख्त जरूरत है। इसमें 15 से
शिक्षा संस्थान परिसर में जब मैदान ही नहीं होगा तो फिर पहाड़ की संतान को स्वास्थ्य व खेल क्षेत्र में पिछडऩे का दंश झेलना ही पड़ेगा...
प्रधानाचार्यों व शारीरिक शिक्षा के अध्यापकों को चाहिए कि वे अपने विद्यालयों में प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाएं...
हिमाचल प्रदेश में इस समय हर जिला स्तर सहित कई जगह उपमंडल स्तर पर भी इंडोर स्टेडियम बन कर तैयार हैं, मगर उन स्टेडियमों में बनी प्ले फील्ड का उपयोग प्रशिक्षण के लिए खिलाडिय़ों को ठीक से करना नहीं मिल रहा है...