भूपिंदर सिंह

खिलाड़ी को तैयार करने में प्रशिक्षक की भूमिका जब बेहद जरूरी है तो फिर हम उसे सामाजिक व आर्थिक रूप से निश्चिंत कर शारीरिक व मानसिक पूरी तरह अपने प्रशिक्षण पर केन्द्रित क्यों नहीं होने देते। इसलिए राज्य के युवा सेवाएं एवं खेल विभाग में प्रशिक्षकों के साथ न्याय करने के लिए इनके भर्ती व

हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के पास अपना नियमित शारीरिक शिक्षा व अन्य गतिविधियों का निर्देशक व प्रशिक्षक कैडर भी नहीं था। अभी कुछ महीने पहले ही नियुक्तियां की हैं… सर्न 2022-2023 में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय का शारीरिक शिक्षा व अन्य गतिविधियों के निदेशालय ने अंतिम बार पूरे हिमाचल प्रदेश के महाविद्यालयों की खेलों का आयोजन विभिन्न

राष्ट्रीय खेलों में धाविका सीमा ने भी लंबी दूरी की दौड़ दस हजार मीटर में स्वर्ण पदक जीता है। सेना की ओर से प्रतिनिधित्व करते हुए सावन ने भी इस दौड़ में रजत पदक जीता है व अंकेश चौधरी ने आठ सौ मीटर में पदक जीता है। वरिष्ठ राष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रतियोगिता में भी सीमा व

राज्य के युवा सेवाएं एवं खेल विभाग में प्रशिक्षकों के साथ न्याय करने के लिए इनके भर्ती व पदोन्नति नियमों में संख्या अनुपात में संशोधन करना बहुत जरूरी है… पिछली सरकार के पूरे कार्यकाल में सुनते रहे कि सरकार नयी खेल नीति बना कर हिमाचल प्रदेश की खेलों को बहुत ऊंचाई देगी, मगर पांच साल

हजारों साल पहले भारतीय शोधकर्ताओं ने यौगिक क्रियाओं से होने वाले लाभों को समझ लिया था जो आज की चिकित्सा व खेल विज्ञान की कसौटी पर खरा सोना सिद्ध हो रहा है। इन नियमों का पालन करने के बाद अगर यौगिक क्रियाओं को किया जाता है तो मानव में शारीरिक व मानसिक स्तर पर आश्चर्यजनक

इससे प्रदेश में खेल वातावरण बनेगा तो हर खेल प्रशिक्षक प्रेरित होकर चाहेगा कि उसके शिष्य भी उत्कृष्ट प्रदर्शन करें। इस सबके लिए हर प्रशिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम से जुड़ेगा। हिमाचल प्रदेश में अच्छे क्षमतावान प्रशिक्षकों का लगातार प्रशिक्षण खिलाडिय़ों को किसी भी स्तर पर नहीं मिल पा रहा है। खेल विभाग को चाहिए कि वह

क्या सरकार ऐसे जुनूनी शौकिया प्रशिक्षकों को खेल विभाग में कम से कम पांच वर्षों के लिए प्रतिनियुक्ति पर लाकर या उन्हीं के विभाग में उन्हें खेल प्रबंधन व प्रशिक्षण देने का अधिकार देकर प्रदेश की इन करोड़ों रुपए से बनी खेल सुविधाओं का सदुपयोग कर राज्य में खेलों को गति नहीं दे सकती है…

राज्य के युवा सेवाएं एवं खेल विभाग में प्रशिक्षकों के साथ न्याय करने के लिए इनके भर्ती व पदोन्नति नियमों में संख्या अनुपात में संशोधन करना बहुत जरूरी है… पिछली सरकार के पूरे कार्यकाल में सुनते रहे कि सरकार नयी खेल नीति बना कर हिमाचल प्रदेश की खेलों को बहुत ऊंचाई देगी, मगर पांच साल

खेल सुविधाओं के लिए पलायन करने वालों को भी जब अपने ही राज्य में रह कर अपना प्रशिक्षण कार्यक्रम पूरा करने के लिए सुविधा मिलेगी तो वे फिर क्यों अपना प्रदेश छोड़ेंगे। बात चाहे शिक्षा निदेशालय की हो या किसी भी संस्थान की, अब हिमाचल प्रदेश में उचित मूल्य चुका कर घटिया किस्म का खेल

स्कूल से निकल कर जब खिलाड़ी महाविद्यालय में प्रवेश लेता है, तो उस समय उसकी उम्र अठारह वर्ष हो चुकी होती है। इसलिए इन खेल छात्रावासों में दाखिल होने के अवसर न के बराबर होते हैं… हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनावों के लिए प्रचार जोरों पर है मगर पिछले चुनावों की तरह इस बार भी