दुर्योधन अर्थात मोह को अंत में भीम अर्थात भाव ही खत्म करता है। यही गीता समझाना चाहती है, इसीलिए तो गीता हम सबको मिली। वरना अर्जुन तक ही रह जाती। याद रहे कि भगवद गीता का अर्थ मन के स्तर पर है।
आत्मविश्वास की कमी और असुरक्षा की भावना भी ऑब्सेसिव लव डिसऑर्डर की बड़ी वजहें हैं। ऐसा भी देखने में आया है कि जिन लोगों को बचपन और किशोरावस्था में परिवार या करीबियों का प्यार नहीं मिलता, बाद में वो कभी न कभी ऑब्सेसिव लव डिसऑर्डर से गुजरते हैं। हमारा सामाजिक ढांचा ऐसा है कि यहां पुरुष अपनी भावनाएं ज्यादा आसानी से जाहिर कर लेते हैं, जबकि महिलाओं के लिए ये आसान नहीं होता। शायद यही वजह है कि पुरुषों का ऑब्सेसिव लव डिसऑर्डर अक्सर गंभीर स्तर पर पहुंच जाता है। वो लड़कियों का पीछा करने, उन्हें नुकसान पहुंचाने
सिनेमा वालों को ज्यादा कमाना होता है, वो तो वही परोसते हैं जिस पर ज्यादा आम आदमी भरोसा करता है व जिसे बहादुरी की संज्ञा देता है। इसलिए बॉलीवुड हिंसा के नए सिनेमाई विचार लेकर आता है और उससे उसे ज्यादा कमाई होती है। लेकिन समाज में एक असुंतलन पैदा होता है जो कहीं न कहीं हिंसा की ही प्रवृत्ति है। हिंसा युक्त सिनेमा का हिट हो जाना यह दिखाता है कि हम मानसिक रूप से अस्वस्थ हो गए हंै और कल्प
दुनिया में वायु प्रदूषण की समस्या कितनी गंभीर है, इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि हवा में घुला यह जहर हर साल 70 लाख से ज्यादा लोगों की जान ले रहा है। धान की कटाई में मशीन का उपयोग भी खेतों में पराली छोड़ देता है। धान निकालने के बाद पराली दोबारा से हटाना किसान के लिए किसी भी दृष्टि से लाभकारी नहीं। क्यों न ऐसी कंबाइन हार्वेस्टर मशीनें विकसित की जाएं जो धान निकालते वक्त पराली भी खेत से हटा लें तो पराली किसानों के लिए अतिरिक्त आय का साधन हो सकता है। पराली को खेत से धान निकालते वक्त न हटा पाना ही इ
यदि आप अकेलापन महसूस कर रहे हैं तो ऐसे में सेल्फकेयर आपका सबसे अच्छा दोस्त बन सकता है। खुद को अपनी देखभाल में व्यस्त रखें, हेल्दी डाइट लें, नियमित एक्सरसाइज करें, स्किन केयर, हेयर केयर और अपनी अन्य पसंदीदा गतिविधियों में भाग लें। ये सभी गतिविधियां आपको व्यस्त रखते हुए बेहतर महसूस करने में मदद करेंगी। इसके साथ ही ये सभी गतिविधियां मानसिक स्वास्थ्य से लेकर शारीरिक एवं त्वचा स्वास्थ्य के लिए भी कमाल की हो
नैतिक मूल्यों में गिरावट को देखते हुए आज वैदिक शिक्षा को औपचारिक रूप से शिक्षा प्रणाली का अभिन्न अंग बनाए जाने की जरूरत है। यह शाश्वत सत्य है कि वैदिक शिक्षा के व्यावहारिक उद्देश्य रहे हैं, जिनकी आज बहुत जरूरत है। इनमें चरित्र निर्माण, व्यक्तित्व का विकास, कार्यक्षमता और नागरिक जिम्मेदारी का विकास और विरासत व संस्कृति का संरक्षण शामिल हैं। नई शिक्षा नीति-2020 में इन बिन्दुओं पर व्यापक ध्यान दिया गया है। हमारे छात्रों को शानदार शिक्षा परंपराओं को आत्मसात करने में और अधिक सक्षम बनाने के लिए वैदिक और सांस्कृतिक शिक्षा के महत्व को नकारा नहीं जा सकता। यूं भी वैदिक शिक्षा सुशासन के सिद्धांतों का स्टोर हाऊस है। इन सिद्धांतों को शिक्षा में
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के बजट का 65 फीसदी हिस्सा केंद्रीय विश्वविद्यालयों और उनके कॉलेजों को मिलता है, जबकि राज्य विश्वविद्यालयों और उनके संबद्ध कॉलेजों को शेष 35 फीसदी ही प्राप्त होता है। वर्तमान में विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में प्रोफेसरों की जिम्मेदारी और प्रदर्शन को सुनिश्चित करने के लिए कोई तंत्र मौजूद नहीं है। इसकी बजाय विदेशी विश्वविद्यालयों में कॉलेज फैकल्टी के प्रदर्शन
आधुनिक जीवन में हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में बहुत सारे बदलाव हुए हैं। हम तकनीक के उन्नत दौर में रहते हुए बहुत सुखी हैं, लेकिन अभी भी बहुत से लोग शिक्षा और सूचना से वंचित हैं। इस समस्या का समाधान है डिजिटल लाइब्रेरी। इसे ठीक से चलाया जाए तो यह एक सामाजिक क्रांति का काम कर सकता है। नि
कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के छात्र प्रबंधन की जिम्मेदारी है कि वे कॉलेज के छात्रों की मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं की शीघ्र पहचान करें और उनमें हस्तक्षेप करें। जैसे-जैसे समाज विकसित हो रहा है, कॉलेज के छात्रों को अधिक जटिल वातावरण का सामना करना पड़ रहा है। एक ओर, स्नातकों की संख्या में लगातार वृद्धि ने कॉलेज के छात्रों पर काम खोजने के लिए अधिक दबाव डाला है। दूसरी ओर, विज्ञान और प्रौद्योगिकी में प्र
उद्योग और अनुसंधान संगठनों के संभावित सहयोगियों की पहचान करके परिसरों में अनुसंधान को बढ़ावा देने, परियोजना प्रस्तावों में मदद करने और समय सीमा के पालन की निगरानी करने के लिए भी गाइड लाइन नियामक संस्थान पहले जारी कर चुका है। इसके अलावा रिसर्च को लेकर कई स्तरों पर प्रयास किए जा रहे हैं। उच्च शिक्षा किसी भी व्यक्ति, समाज और राष्ट्र के विकास की धुरी होती है। उच्च शिक्षा के बिना कोई भी राष्ट्र, समाज या व्यक्ति प्रगति नहीं कर सकता है। उच्च शिक्षा ही एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा व्यक्ति, समाज या देश का