https://www.artofliving.org/in-hi शांति केवल संघर्ष की अनुपस्थिति नहीं है और न ही कोई ऐसी चीज है जिसे आप बाजार से खरीद लें या कोई उच्च नीति बनाकर प्राप्त लें। इसे अपने भीतर ही पोषित करना होता है। शांति आपका स्वभाव है। शांति की आवश्यकता तीन स्तरों पर होती है। पहला स्तर है- अपने भीतर की शांति;
हमारे पिछले कर्मों के फल इस जीवन में हमारा भाग्य बन जाते हैं और इस जीवन के कर्मों के फल को प्रभावित करते हैं। यही कारण है कि बहुत बार हमारे बनते काम आखिर में किसी छोटे से कारण से भी बिगड़ जाते हैं और बिगड़े हुए काम भी अचानक बन जाते हैं। यह भाग्य का नहीं, कर्मों के फल का खेल है। जब हमारे ऋषियों, मुनियों ने दुनिया को रैन बसेरा करार दिया तो उनका आशय था कि हम समय की कीमत समझें, इस जीवन की कीमत समझें और इस युग की कीमत समझें। यहां तीन बातें समझने वाली हैं। पहली बात, समय की कीमत। दूसरी बात, जीवन की कीमत, और तीसरी बात, युग की कीमत। कहा जाता है कि कलियुग में भक्ति सबसे ज्यादा आसान है। बहुत थोड़े से समय की निश्छल भक्ति भी हमें जीवन-मरण के चक्र से मुक्त कर देने में समर्थ है। य
हमारी तैयारियां हथियारों को स्तरोन्नत करने के साथ-साथ उन आधुनिक मशीनों और हथियारों को चलाने वाले सैनिकों को भी उच्च प्रशिक्षित कर उन्हें हुनरमंद, सक्षम, कुशल तथा योग्य बनाने की होनी चाहिए, जिसे हम अग्निवीर जैसी योजना के दम पर हासिल नहीं कर सकते हैं और इसके लिए नियमित सैनिकों की ही जरूरत रहेगी। केंद्र सरकार को अग्निवीर योजना पर फिर से विचार करना चाहिए...
उत्तर प्रदेश के मदरसों में जो पाठ्यक्रम चल रहे थे, वे धार्मिक थे, परंतु उनमें वैज्ञानिकता का अभाव था। अत: वहां भी पाठ्यक्रम को बदल कर सीबीएसई पाठ्यक्रम लागू किया जा रहा है। वहां भी पढऩे वाले बच्चों का सर्वांगीण विकास हो सकेगा, क्योंकि अब वे मात्र मजहब से जुड़े पाठ्यक्रम नहीं, अपितु एक पूर्ण पाठ्यक्रम पढ़ेंगे जो उनके व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास में सहायक होगा। सिर्फ उत्तर प्रदेश ही नहीं, आंध्र प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, जम्मू-कश्मीर, मिजोरम में भी शिक्षा सुधारों के क्षेत्रों में काम हुआ है...
रॉयल इंडियन एयरफोर्स की स्थापना के समय इसमें केवल चार एयरक्राफ्ट थे और इन्हें संभालने के लिए कुल 6 अधिकारी और 19 जवान थे। आज वायुसेना में डेढ़ लाख से भी अधिक जवान और हजारों एयरक्राफ्ट्स हैं। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात वायुसेना को अलग पहचान मिली और 1950 में रॉयल इंडियन एयरफोर्स का नाम बदलकर इंडियन एयरफोर्स कर दिया गया। एयर मार्शल सुब्रतो मुखर्जी इंडियन एयरफोर्स के पहले भारतीय प्रमुख थे। उनसे पहले तीन ब्रिटिश ही वायुसेना प्रमुख रहे। इंडियन एयरफोर्स का पहला विमान ब्रिटिश कम्पनी वेस्टलैंड द्वारा निर्मित वापिती-2ए था। बहरहाल, भारतीय वायुसेना ने समय के साथ बहुत तेजी से
हम उम्मीद करें कि 3 अक्टूबर को सरकार ने नई पीएम राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) और कृषोन्नति योजना (केवाई) के लिए जो एक लाख करोड़ रुपए से अधिक की धनराशि सुनिश्चित की है, उससे देश के कृषि विकास का नया अध्याय लिखा जाएगा। साथ ही भारत ने गैर बासमती चावल के निर्यात का जो निर्णय लिया है, उससे लाभ होगा...
प्राचीन भारत में विद्याध्ययन केंद्रों की स्थापना तथा गुरु-शिष्य संस्कारों की परंपरा को विस्तार देने में महर्षि वेदव्यास, शौनक, धौम्य, उद्दालक, वैश्म्पायन व बहुश्रुति जैसे प्रतिष्ठित आचार्यों तथा गार्गी, मैत्रेयी व विश्ववारा जैसी ऋषिकाओं ने महत्वपूर्ण योगदान दिया था...
अरबों में हजरत मोहम्मद के उत्तराधिकारी को लेकर विवाद तो उनके देहावसान के तुरंत बाद ही शुरू हो गया था। अरबों के बड़े व ताकतवर कबीलों ने हजरत मोहम्मद (उनका कोई बेटा नहीं था) के दामाद हजरत अली को उत्तराधिकारी, जिसे खलीफा कहा गया, मानने से इन्कार कर दिया। यह स्थान अबू बकर को दिया गया। इसके बाद भी बारी हजरत उमर और उस्मान की ही आई। हजरत अली को दूर ही रखा गया। तीसरे खलीफा के देहांत के बाद अली खलीफा तो बना दिए गए, लेकि
सहज जीवन मार्ग में हमारा जीवन प्रेममय हो जाता है, या यूं कहिए कि हम खुद प्रेममय हो जाते हैं, हम प्रेम की प्रतिमूर्ति बन जाते हैं और इस ब्रह्मांड की हर जड़-चेतन वस्तु से प्रेम करने लगते हैं। अकारण प्रेम करने लगते हैं, बिना किसी लाभ की आशा के प्रेम करने लगते हैं। मनुष्यों से ही नहीं, पशु-पक्षियों से भी, पेड़-पौधों से भी और प्राणहीन मानी जाने वाली वस्तुओं से भी प्रेम करने लगते हैं, पर उनसे अटैच नहीं होते, उनमें मोह नहीं रखते। इसके साथ ही हम हर अवस्था