जब हम टीवी देखते हैं, तो काफी हद तक दिमाग टीवी में उलझ जाता है और अपनी व्यक्तिगत बातों से हट जाता है, और सबसे बढ़ कर यह कि इस बात पर विश्वास होना चाहिए कि कोई भी टेंशन जीवन से बढ़ कर नहीं, टेंशन आनी-जानी है, यह जीवन का हिस्सा है। इसे खुद पर सवार नहीं करना चाहिए। इनसान से शक्तिशाली कोई नहीं, वो दुनिया में हर असंभव को संभव कर सकता है। याद रहे आज के दौर में, हर आदमी के लिए सबसे बड़ा तनाव होता है पारिवारिक तनाव। तनाव का परिणाम तो हमेशा बुरा और विनाशकारी ही होता है...
मौजूदा ऋण पर ब्याज भुगतान पहले से ही सबसे बड़ा संघीय व्यय है, जो रक्षा और स्वास्थ्य व्यय के लगभग बराबर है। आने वाले वर्षों में यह परिदृश्य और भी खराब हो सकता है। हालांकि समय-समय पर बढ़ते ऋण के कारण, अमरीकियों को इसकी अनिवार्यता का एहसास हो गया है...
इन दिनों भारत के विकास से संबंधित प्रकाशित हो रही रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि अब भारत में सस्ते कर्ज से आर्थिक रफ्तार बढ़ेगी। पिछले दिनों भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा पेश करते हुए रेपो रेट में 50 आधार अंकों यानी 0.50 प्रतिशत की कटौती का ऐलान किया है। अब रेपो रेट 6 प्रतिशत से घटकर 5.5 प्रतिशत हो गई है। इस वर्ष 2025 में फरवरी से अब तक लगातार तीसरी बार रेपो रेट में कटौती हुई है। इसके साथ ही रिजर्व बैंक ने नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में भी एक प्रतिशत की बड़ी कटौती करते हुए इसे तीन प्रतिशत के स्तर पर ला दिया है। रिजर्व बैं
दुर्भाग्यवश, आज अनेक स्वार्थी तत्व झूठे विमर्शों के माध्यम से आपदाओं के असली कारणों को ढकने का प्रयत्न कर रहे हैं। वे न तो अवैध खनन की बात करते हैं, न जंगलों की अंधाधुंध कटाई की, न ही निर्माण गतिविधियों के पर्यावरणीय प्रभाव की। प्रदेशवासियों को ऐसे भ्रामक विमर्शों की पहचान करनी चाहिए और उनका तर्कसंगत प्रत्युत्तर देना चाहिए, ताकि समाज में डर, भ्रम या अन्याय की भावना न जन्मे। यह उत्तरदायित्व केवल सरकार या विशेषज्ञों का नहीं, बल्कि प्रत्येक जागरूक नागरिक का है कि वह सत्य की पक्षधरता करे और ऐसे प्रयासों को विफल बनाए जो केवल सनसनी के लिए दोषारोपण की संस्कृति को बढ़ाते हैं...
बंजारों का भारतीय इतिहास में गौरवशाली स्थान है। वे निरन्तर विदेशी हमलावरों अरबों, तुर्कों, मुगलों (एटीएम) और बाद में अंग्रेजों से भी लोहा लेते रहे। एटीएम का मुकाबला करने के कारण ही क्षत्रियों को घर-बार छोडक़र बंजारों का जीवन जीना पड़ा। अंग्रेजों ने तो बंजारों को क्रिमिनल ट्रायब्ज ही घोषित कर दिया था। लेकिन इसे देश का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि आज इतिहास की पाठ्य पुस्तकों में बंजारों के इतिहास का कहीं जिक्र ही नहीं मिलता। बंजारे पूरे देश में निरन्तर घूमते रहते हैं। देश के एक कोने को दूसरे कोने से जोड़े रखने की ऐतिहासिक प्रक्रिया। इसी प्रक्रिया से उनमें होता है अदम्य साहस का संचार। बंजारे भारत की आत्मा हैं। भाटों की पुरानी पोथियों में अनेक बंजारों की वंशावलियां भी मिल जाती हैं। आम तौर पर बंजारे गोर या गौर, जिसे कहीं कहीं गौड़ भी लिखते हैं, वंश के माने जाते हैं। यह वंश राजा भोज से जुड़ता है। राजा भोज, परमार वंश से ताल्लुक रखते थे। आशा की जानी चाहिए कि नई राष्ट्रीय
वक्त बनाने के लिए खुद को व्यवस्थित करना होता है, अपना आलस्य छोडऩा होता है। सफलता आसान नहीं होती। सफलता अपनी कीमत मांगती है। सफलता आपकी सारी ऊर्जा चाहती है, सारा ध्यान चाहती है। निकम्मा आदमी किसी काम का नहीं। जो आदतन परजीवी बने रहते हैं, दूसरों की मदद के तलबगार बने रहते हैं, वे ही असफल होते हैं। सपनों की पूर्ति के लिए काम करते समय कुछ घबराहट का होना, थोड़ा-बहुत डर, सामान्य सी बात है। और यह वस्तुत: अच्छा है क्योंकि संयमित डर के कारण हम सभी आवश्यक सावधानियां बरतते हैं जिससे असफलता की आशंका कम हो जाती है। मैं इसे संयमित डर कहता हूं
भारत-अमेरिका मुक्त व्यापार समझौते पर 2017 से ही चर्चा चल रही है। लेकिन अभी तक इस समझौते को मूर्त रूप नहीं मिल पाया है। कई बार तो यह समझौता इतना नजदीक नजर आता था कि मीडिया ने एफटीए के मुख्य तत्वों की घोषणा भी कर दी थी, लेकिन अचानक कुछ बाधाएं सामने आतीं और एफटीए ठंडे बस्ते में चला जाता। आखिरी बार ऐसी घटना 2020 में हुई थी। मीडिया में खबरें आ रही थीं कि भारत-अमेरिका एफटीए पर हस्ताक्षर होने वाले हैं और यूनाइटेड स्टेट्स ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव (यूएसटीआर) का भारत दौरा प्रस्तावित था, लेकिन अचानक हमें पता चला कि यूएसटीआर ने अपना भारत दौरा रद्द कर दिया है और तब से भारत-अमेरिका एफटीए पर कोई चर्चा नहीं हुई। हाल ही में इस एफटीए, तो कभी सीमित एफटीए के बारे में खबरें फिर से आना शुरू हुई। पिछले चार महीनों में
खासकर ठेकेदारी प्रथा के चलते डंपिंग कार्य में भारी कोताही बरती जा रही है। बांध प्रबंधन में भी लापरवाही देखने में आई है। कहीं बाढ़ के समय बांध के गेट ही नहीं खुलते हैं और कहीं बाढ़ नियंत्रण के लिए बांध में समय रहते, बाढ़ के पानी को रोकने योग्य जगह ही समय पर पानी छोड़ कर खाली नहीं की जाती...
भारत वैश्विक प्रौद्योगिकी दौड़ में एक निर्णायक चौराहे पर खड़ा है जिसके पास बड़े डेटा में अद्वितीय श्रेष्ठता है। डेटा परिसंपत्ति की शक्ति के बल पर देश वैश्विक प्रौद्योगिकी और नवाचार के शीर्ष स्तर पर पहुंचने की संभावना को साकार कर सकता है। निश्चित रूप से देश से गरीबी के तेजी से घटने और अर्थव्यवस्था के तेजी से बढऩे के सुकून के बावजूद हमें अभी आम आदमी के कल्याण और प्रतिव्यक्ति आय बढ़ाने के लिए मीलों चलना होगा। यद्यपि भारत 140 करोड़ से अधिक जनसंख्या की कुल आमदनी के आधार पर जापान को पीछे छोडक़र दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिए तैयार है, लेकिन आत्मसंतुष्ट नहीं होना है...