पंजाबी में एक कहावत है ‘डिगी खोते तों ग़ुस्सा घुमार ते’। अर्थात कोई औरत गधे पर से गिर पड़ी तो वह सारा ग़ुस्सा कुम्हार पर निकालने लगी। इन राजवंशों के सिंहासन भारत के लोगों के नकारने से हिल रहे हैं और ये ग़ुस्सा नरेन्द्र मोदी पर निकाल रहे हैं। इस बार यह ग़ुस्सा भारतीय संसद
सही प्रबंधन मिले, इसके लिए नियमित जिला खेल अधिकारियों, उपनिदेशकों, प्रशिक्षकों व अन्य अधिकारियों की नियुक्ति बेहद जरूरी है। खिलाड़ी को तैयार करने में प्रशिक्षक की भूमिका जब बेहद जरूरी है तो फिर हम उसे सामाजिक व आर्थिक रूप से निश्चिंत कर शारीरिक व मानसिक पूरी तरह अपने प्रशिक्षण पर केन्द्रित क्यों नहीं होने देते…
हमें अपने जीवन में ऐसे बहुत से लोगों से पाला पड़ता है जो मामूली सी बात पर भी झगडऩा शुरू कर देते हैं। कभी स्थितियां विकट होती हैं और हमें समझ नहीं आता कि क्या करें या कभी हमारे पास कई ऐसे विकल्प होते हैं जिनमें से सबसे लाभदायक विकल्प चुनना आसान नहीं होता, और
स्मरण रहे प्रकृति संरक्षण का अलख जगाने वाली किंकरी देवी ने स्वीडन की ‘ग्रेटा थनबर्ग’ की तरह पर्यावरण पर एक भाषण देकर सुर्खियां नहीं बटोरी थी, मगर खनन माफिया से लडऩे के लिए पहाड़ की उस विख्यात पर्यावरणविद के पास पहाड़ जैसा हौसला व फौलादी जिगर जरूर था जिसके आगे खनन माफिया घुटने टेकने को
हालांकि अगले चार महीनों में जिस तेजी से ये नोट बैंकों में जमा होंगे, वो एक बार फिर से 2016 में हुई नोटबंदी की यादों को ताजा कर सकते हैं। ये सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी का 1.3 फीसदी और मार्च महीने के आखिर तक सर्कुलेशन यानी चलन में रही नकदी का 10.8 फीसदी है।
यह फोरलेन प्रदेश के लोगों के लिए वरदान साबित होगा। आवश्यकता है कि यह सभी के लिए सुगम, आनंददायक तथा सुरक्षित हो… हिमाचल प्रदेश में कीरतपुर-मनाली फोरलेन हाईवे लगभग बन कर तैयार है। कुछ ही समय बाद औपचारिक एवं आधिकारिक रूप से इसका लोकार्पण कर प्रदेश के लोगों को समर्पित किया जाएगा। जहां यह नेशनल
मोदी सरकार की यात्रा बहुत सहज नहीं थी, क्योंकि इसे भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन, कृषि कानूनों को लागू करने, विमुद्रीकरण, नागरिकता संशोधन अधिनियम पर अपने फैसले के विरोध का सामना करना पड़ा था… जब भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने मई 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सत्ता संभाली, तो
इससे पहले कि आस्था की नदियां प्रदूषण के अजाब से उत्तर प्रदेश की ‘कर्मनाशा’ नदी की तरह श्रापित होकर अपवित्र हो जाएं, ऋषि वाल्मीकि की ‘तमसा’ की तरह मृतप्राय: हो जाएं, अमृतमयी ‘सरस्वती’ नदी की तरह लुप्त हो जाएं, पवित्र नदियां प्रदूषण मुक्त होनी चाहिए…. सनातन संस्कृति के धार्मिक ग्रंथों, वेदों व उपनिषदों में मानव
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट में भी कहा गया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की बढ़ी हुई अनिश्चितताओं के बीच भारत का मजबूत आर्थिक प्रदर्शन दुनिया में भारत की अहमियत बढ़ा रहा है। वर्ष 2023 में कुल वैश्विक विकास में भारत 15 फीसदी से भी अधिक का योगदान देगा… इन दिनों प्रकाशित हो रही