भूपिंदर सिंह

हिमाचल प्रदेश सरकार का युवा सेवाएं एवं खेल विभाग अभी तक करोड़ों रुपए से बने इस खेल ढांचे के रखरखाव में नाकामयाब रहा है। उसके पास न तो चौकीदार हैं और न ही मैदान कर्मचारी, पर्याप्त प्रशिक्षकों की बात तो बहुत दूर की बात है। नई खेल नीति में लिखा है कि सरकार विभिन्न खेल संघों, पूर्व खिलाडिय़ों व प्रशिक्षकों से इन सुविधाओं का उपयोग कराने के लिए खेल अकादमियों का गठन कराएगी और अच्छे प्रशिक्षकों को खेल विभाग में कम से कम पांच वर्षों के लिए अनुबंधित करेगी, इस प

सही प्रबंधन मिले, इसके लिए नियमित जिला खेल अधिकारियों, उपनिदेशकों, अन्य अधिकारियों की नियुक्ति बेहद जरूरी है… राज्य में पिछली भाजपा सरकार के पूरे कार्यकाल में सुनते रहे कि सरकार नयी खेल नीति बना कर हिमाचल प्रदेश की खेलों को बहुत ऊंचाई देगी, मगर पांच साल में केवल खेल नीति ही कागजों तक आई। नयी

खेल सुविधाओं के लिए पलायन करने वालों को भी जब अपने ही राज्य में रह कर अपना प्रशिक्षण कार्यक्रम पूरा करने के लिए सुविधा मिलेगी, तो वह फिर क्यों अपना प्रदेश छोड़ेंगे। बात चाहे शिक्षा निदेशालय की हो या किसी भी संस्थान की, अब हिमाचल प्रदेश में उचित मूल्य चुका कर घटिया किस्म का खेल सामान खरीद कर करोड़ों रुपए की बंदरबांट को बंद करके असली खेल सामान खरीदना हो

कम से कम बीस मिनटों तक तेज चलने, दौडऩे व शारीरिक क्रियाओं के करने से रक्त वाहिकाओं में रक्त संचार तेज हो जाता है। उससे हर मसल को उपयुक्त मात्रा में प्राणवायु मिलने से उसका समुचित विकास होता है। आज के विद्यार्थी को अगर कल का अच्छा नाग

योग के नियमों का पालन करने के बाद अगर यौगिक क्रियाओं को किया जाता है तो मानव में शारीरिक व मानसिक स्तर पर आश्चर्यजनक रूप से अलौकिकता का सुधार होता है। आज आधुनिकता की इस अंधी दौड़ में इनसान को अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देना जरूरी हो जाता है। आज जब मनुष्य के पास हर

शिक्षा मंत्रालय जब अपने यहां नियुक्त अध्यापकों को प्रशिक्षण चलाने के लिए प्रोत्साहित करेगा तो अच्छे परिणाम आएंगे...

इस उम्र तक जहां फिटनेस कार्यक्रम हर विद्यार्थी को जरूरी है, वहीं आगे चल कर सामान्य फिटनेस हर नागरिक के लिए भी जरूरी है… पिछले वर्षों में पूरा विश्व कोरोना महामारी के कारण अस्त व्यस्त रहा है। इस कारण लोगों का ध्यान खानपान व फिटनेस पर केन्द्रित हुआ है, मगर उतना नहीं जिससे संपूर्ण स्वास्थ्य

सही प्रबंधन मिले, इसके लिए नियमित जिला खेल अधिकारियों, उपनिदेशकों, प्रशिक्षकों व अन्य अधिकारियों की नियुक्ति बेहद जरूरी है। खिलाड़ी को तैयार करने में प्रशिक्षक की भूमिका जब बेहद जरूरी है तो फिर हम उसे सामाजिक व आर्थिक रूप से निश्चिंत कर शारीरिक व मानसिक पूरी तरह अपने प्रशिक्षण पर केन्द्रित क्यों नहीं होने देते…

हजारों साल पहले भारतीय शोधकर्ताओं ने यौगिक क्रियाओं से होने वाले लाभों को समझ लिया था जो आज की चिकित्सा व खेल विज्ञान में योग का प्रयोग खूब हो रहा है। योग के नियमों का पालन करने के बाद अगर यौगिक क्रियाओं को किया जाता है तो मानव में शारीरिक व मानसिक स्तर पर आश्चर्यजनक