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भूपिंदर सिंह लेखक, राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक हैं धर्मशाला का पुलिस मैदान खेल विभाग व पुलिस के बीच होने के कारण यहां पर नया तो कुछ हो नहीं पाया, उल्टा साथ लगती बास्केट फील्ड पर पुलिस के आला अधिकारी की रिहायशी कोठी जरूर बन गई है। पहाड़ पर एक तो मैदान बड़ी कठिनाई से बन पाते

पीके खुराना लेखक, वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार और विचारक हैं जब चुनाव परिणाम किसी एक दल को बहुमत नहीं देते तो या गठबंधन अस्तित्व में आकर सत्ता पर काबिज हो जाता है और फिर गठबंधन में शामिल दलों की आपसी खींचतान के किस्से रोज सामने आते हैं। दूसरी स्थिति में बहुमत के करीब पहुंचा दल सत्तासीन

कुलभूषण उपमन्यु अध्यक्ष, हिमालयन नीति अभियान फूट ही हिंसक वातावरण बनाने वाला कारक तत्त्व है। इस बात को यदि बहस में डाला जाए, तो झगड़ा ही बढ़ता है। इसलिए एक मात्र उपाय आत्म विश्लेषण द्वारा आत्म संशोधन ही है। प्रजातंत्र की परिपक्वता इसी बात पर निर्भर करती है कि राजनीतिक दल और मतदाता कितना जनहितकारी

कुलदीप नैयर लेखक, वरिष्ठ पत्रकार हैं हिंदू व मुसलमानों के आपस में बंटे होने के बावजूद दोनों ने अंग्रेजों को कड़ी चुनौती दी। इसका मतलब यह है कि जब किसी तीसरे पक्ष का मामला आता है, तो उसे बाहर निकाल फेंकने के लिए दोनों हाथ मिला लेते थे। न्यूनाधिक रूप से यह वही है जो

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री लेखक, वरिष्ठ स्तंभकार हैं पिछले सत्तर साल में राजनीतिज्ञों ने अपने चाल, चरित्र और चेहरे के बल पर आम जनता का विश्वास ही नहीं खोया, बल्कि व्यवस्था के प्रति एक निराशा भी उत्पन्न की। सब एक थैली के चट््टे-बट्टे हैं। यह आम भावना बन गई। नरेंद्र मोदी ने अपने कार्यों, व्यक्तित्व

प्रो. एनके सिंह लेखक, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पूर्व चेयरमैन हैं इन सब स्थितियों को ध्यान में रखते हुए तथा अब तक गतिविधियों का जो विकासक्रम चला है, उसे देखते हुए लगता है कि यूपीए को इतनी ज्यादा सीटें मिलने वाली नहीं हैं तथा उसे करीब 86 सीटें मिल सकती हैं। भाजपा तथा उसके

भूपिंदर सिंह लेखक, राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक हैं हिमाचल प्रदेश में अधिकतर खेल संघ अपनी जिला स्तरीय खेल प्रतियोगिता केवल कागजों में ही करवा कर उस मामूली से अनुदान को जरूर प्राप्त कर लेते हैं। फुटबाल, एथलेटिक में कई जिलों में तो आधी-अधूरी जिला स्तरीय खेल प्रतियोगिताओं की खबर अखबारों में जरूर मिल जाती है… खेलों

पीके खुराना लेखक, वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार और विचारक हैं जिन नेताओं ने बेईमानी से देश को लूटा है और अकूत संपत्ति बना ली है, उनके विरुद्ध कार्रवाई होना अच्छा है और जनता सदैव उसका स्वागत करेगी, लेकिन जानबूझ कर बेटी की शादी जैसे समारोह के समय विरोधियों पर छापे डलवा कर अपनी ईमानदारी के गाल

भारत द्वारा अपनाए गए संविधान को लेकर जो बात अंबेडकर को सर्वाधिक परेशान करती थी वह थी इसमें निहित बहुसंख्यकवाद (Majoritarianism)। एक स्थायी हिंदू बहुल राष्ट्र के लिए वह ठीक नहीं समझते थे कि केवल बहुमत-सरकार की प्रणाली उचित थी। दरअसल उन्होंने संविधान सभा को भारत के संविधान के लिए एक पूरी तरह भिन्न व्यवस्था