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भारत द्वारा अपनाए गए संविधान को लेकर जो बात अंबेडकर को सर्वाधिक परेशान करती थी वह थी इसमें निहित बहुसंख्यकवाद (Majoritarianism)। एक स्थायी हिंदू बहुल राष्ट्र के लिए वह ठीक नहीं समझते थे कि केवल बहुमत-सरकार की प्रणाली उचित थी। दरअसल उन्होंने संविधान सभा को भारत के संविधान के लिए एक पूरी तरह भिन्न व्यवस्था

डा. भरत झुनझुनवाला लेखक, आर्थिक विश्लेषक एवं टिप्पणीकार हैं वर्तमान दूसरे शंकराचार्य, देश की सबसे बड़ी ट्रेड यूनियन अथवा सबसे बड़ा व्यापारिक संगठन-इन सस्थाओं के अध्यक्षों का कालेजियम बनाया जा सकता है। इस कालेजियम को जिम्मेदारी दी जाए कि वह सुप्रीम कोर्ट के जजों की नियुक्ति करे। ऐसा करने से सुप्रीम कोर्ट के जजों की

कुलभूषण उपमन्यु अध्यक्ष, हिमालयन नीति अभियान तेज ढलानों और वनस्पति की कमी के चलते बारिश के पानी का भू-जल में संचय की चुनौती के साथ सतही जल को रोकना और प्रयोग कर पाना दूसरी बड़ी चुनौती है। ग्लेशियर जल में होती कमी के चलते बारिश के पानी को अन्य तरीकों से रोकना जरूरी है। पर्वतीय

कुलदीप नैयर लेखक, वरिष्ठ पत्रकार हैं ऐसा लगता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन-निर्देशित सीमा को स्वीकार कर लिया है। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी तर्क कर सकती है कि उसने वह स्वीकार किया है जो कानूनी तौर पर वास्तव में है। जिसका ऐतिहासिक क्षण के रूप में स्वागत किया जा रहा है, वह वास्तव

बीरबल शर्मा लेखक, मंडी से हैं पहली मई को जब पूरी दुनिया मजदूर दिवस मना रही थी, तो हिमाचल प्रदेश के पर्यटक स्थल कसौली में अदालत के आदेशों का पालन करने मौके पर पहुंची एक टीम की प्रमुख सहायक नगर योजनाकार ‘शैल बाला शर्मा’ को जिस तरह से नारायणी गेस्ट हाउस के मालिक ने गोलियों

भूपिंदर सिंह लेखक, राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक हैं राज्य में धर्मशाला व बिलासपुर खेल छात्रावासों के कारण कबड्डी में हिमाचल को राष्ट्रीय ही नहीं अपितु अंतरराष्ट्रीय स्तर के विजेता खिलाड़ी मिले हैं। इस सबके पीछे खेल छात्रावासों में नियुक्त प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण कार्यक्रम का बहुत प्रभाव रहा है… हिमाचल प्रदेश में खिलाड़ी बनाने के लिए तो खेल

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री लेखक, वरिष्ठ स्तंभकार हैं एक वक्त ऐसा आया जब अंग्रेजों को महसूस हुआ कि जिन्ना को भारत की राजनीति में उतारा जाए। कई साल बाद वे जब लंदन से लौटे, तो वे बिल्कुल बदले हुए थे। स्वभाव और मानसिकता में नहीं, वह तो उनका पूर्ववत ही था, लेकिन अपनी राजनीति और

प्रो. एनके सिंह लेखक, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पूर्व चेयरमैन हैं सत्ता के खिलाफ लिखने या बोलने के खिलाफ किसी को भी गिरफ्तार नहीं किया गया था, न ही किसी पर कोई पाबंदी लगाई गई थी। दूसरी ओर जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र राष्ट्र विरोधी नारे लगाने में संलिप्त रहे। उन्होंने भारतीय संसद

पीके खुराना लेखक, वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार और विचारक हैं भाजपा में जहां किसी को मनमर्जी से कुछ भी बोलने की इजाजत नहीं है, वहां अब ऐसा क्यों होने लगा है? तो जवाब यह है कि यह भाजपा की रणनीति का हिस्सा है कि बेतुके लेकिन संवेदनशील मुद्दों या नीतिगत विषयों से संबंधित ऊल-जलूल बयान उछाले