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कर्म सिंह ठाकुर लेखक, मंडी से हैं मनुष्य तथा पर्यावरण दोनों परस्पर एक-दूसरे के इतने संबंधित हैं कि उन्हें अलग करना कठिन है। जिस दिन पर्यावरण का अस्तित्व मिट गया, उस दिन मानव जाति का अस्तित्व ही मिट जाएगा। पर्यावरण को बचाने के लिए जागरूकता, सजगता तथा अपने दायित्वों का पूर्ण ईमानदारी से प्रत्येक इनसान

कुलदीप नैयर लेखक, वरिष्ठ पत्रकार हैं कांग्रेस में कुछ ऐसे सदस्य भी हैं जो यह विश्वास कर रहे हैं कि प्रणब आरएसएस के मंच से बहुलतावाद पर कोई प्रभावी संदेश देंगे। इसी तरह की भावनाएं व्यक्त करते हुए कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने कहा है कि हमें यह विश्वास करना चाहिए कि प्रणब मुखर्जी कोई

कर्म सिंह ठाकुर लेखक, मंडी से हैं समाज से नशे को उखाड़ने के लिए सरकार द्वारा सख्त नियमों का निर्वहन व स्वास्थ्य संस्थानों द्वारा नशे के दुष्परिणामों के प्रति निरंतर मुहिम शुरू करनी होगी। एक दिन दिवस मना कर कुछ नहीं होगा, जब तक यह दिवस वर्षभर अपनी मुहिम नहीं चलाएगा… 31 मई, 2018 को

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री लेखक, वरिष्ठ स्तंभकार हैं इन चुनावों का एक संकेत स्पष्ट है। खासकर उत्तर प्रदेश में। वहां भाजपा बनाम सभी शेष दलों के बीच मुकाबला था, लेकिन जीत का अंतर इतना नहीं था, जिसका यह अर्थ निकले कि चुनाव एकतरफा हो गया है। बल्कि अर्थ यह है कि सभी विपक्षी दल एक

प्रो. एनके सिंह लेखक, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पूर्व चेयरमैन हैं मैं मुख्यमंत्री से अपील करना चाहूंगा कि हमें एक ऐसी विमानन नीति बनानी चाहिए, जो राज्य के विकासपरक हितों को समुचित रूप से संबोधित करे। हमें राजनीतिक नजरिए से विमानन नीति को नहीं देखना चाहिए। उचित स्थलों के बारे में सिफारिशें देने के

भूपिंदर सिंह लेखक, राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक हैं इसी तरह राष्ट्रमंडल खेलों के विजेता को डेढ़ करोड़, उपविजेता को 75 लाख, तीसरे स्थान पर आने वाले को पचास लाख रुपए तथा क्वालिफाई कर देश का प्रतिनिधित्व करने पर साढ़े सात लाख रुपए का नकद इनाम खिलाडि़यों को दिया जा रहा है, मगर हिमाचल इस स्तर पर

पीके खुराना लेखक, वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार और विचारक हैं जो लोग पहले कहते थे कि मोदी ही अकेले विकल्प हैं और मोदी ये कर देंगे वो कर देंगे, बाद में कहने लग गए कि मोदी अकेला क्या कर लेगा, कुछ और पूछो तो जवाब मिलता है कि कांग्रेस ने क्या किया? बहाना तो यहां तक

अनुज कुमार आचार्य लेखक, बैजनाथ से हैं आने वाले समय में पानी के लिए जंग अब अवश्यंभावी प्रतीत हो रही है, फिर भी स्वार्थी मानव अपनी प्रवृत्ति से बाज नहीं आ रहा है।  जलविद्युत परियोजनाओं के निर्माण के चलते जलधाराओं का रुख मोड़ने के कारण आज हमारी सदाबहार ब्यास जैसी नदियों की दुर्दशा सबके सामने

डा. भरत झुनझुनवाला लेखक, आर्थिक विश्लेषक एवं टिप्पणीकार हैं जनधन योजना से जितनी रकम बैंकों में जमा हुई है, उसकी लगभग तिहाई रकम ही ऋण के रूप में गरीबों को दी गई है। दो-तिहाई रकम जन धन के माध्यम से उद्यमियों को पहुंचा दी गई। खाद्य सबसिडी की कृपा से गरीब को सस्ता अनाज अवश्य