पीके खुराना

पीके खुराना लेखक, वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार और विचारक हैं जो लोग पहले कहते थे कि मोदी ही अकेले विकल्प हैं और मोदी ये कर देंगे वो कर देंगे, बाद में कहने लग गए कि मोदी अकेला क्या कर लेगा, कुछ और पूछो तो जवाब मिलता है कि कांग्रेस ने क्या किया? बहाना तो यहां तक

पीके खुराना लेखक, वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार और विचारक हैं 15 तारीख को कर्नाटक विधानसभा चुनाव का परिणाम आने के बाद से ही दुखद घटनाक्रम बना, लेकिन ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। जब-जब भी ऐसा हुआ है, तत्कालीन सत्ताधारी दल ने उसका लाभ उठाने की जुगत भिड़ाई है। दल-बदल, बहुत थोड़े अंतराल में ही बार-बार

पीके खुराना लेखक, वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार और विचारक हैं जब चुनाव परिणाम किसी एक दल को बहुमत नहीं देते तो या गठबंधन अस्तित्व में आकर सत्ता पर काबिज हो जाता है और फिर गठबंधन में शामिल दलों की आपसी खींचतान के किस्से रोज सामने आते हैं। दूसरी स्थिति में बहुमत के करीब पहुंचा दल सत्तासीन

पीके खुराना लेखक, वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार और विचारक हैं जिन नेताओं ने बेईमानी से देश को लूटा है और अकूत संपत्ति बना ली है, उनके विरुद्ध कार्रवाई होना अच्छा है और जनता सदैव उसका स्वागत करेगी, लेकिन जानबूझ कर बेटी की शादी जैसे समारोह के समय विरोधियों पर छापे डलवा कर अपनी ईमानदारी के गाल

पीके खुराना लेखक, वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार और विचारक हैं भाजपा में जहां किसी को मनमर्जी से कुछ भी बोलने की इजाजत नहीं है, वहां अब ऐसा क्यों होने लगा है? तो जवाब यह है कि यह भाजपा की रणनीति का हिस्सा है कि बेतुके लेकिन संवेदनशील मुद्दों या नीतिगत विषयों से संबंधित ऊल-जलूल बयान उछाले

पीके खुराना लेखक, वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार और विचारक हैं विपक्ष के पास रचनात्मक विपक्ष की भूमिका को लेकर कोई ‘विजन’ नहीं है। यदि कहीं दंगा हो जाए तो विपक्ष का नेता सहानुभूति जताने के लिए वहां पहुंच जाता है, लेकिन क्या विपक्ष ऐसी कोई कोशिश करता है कि भविष्य में वहां दंगा न हो? यदि

पीके खुराना लेखक, वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार और विचारक हैं एक मजबूत जनतंत्र के लिए हमें अपने जनप्रतिनिधियों पर ‘जनप्रतिनिधि वापसी विधेयक’, ‘गारंटी विधेयक’, ‘जनमत विधेयक’ और ‘जनप्रिय विधेयक’ लाने के लिए दबाव बनाना है। इन कानूनों के अस्तित्व में आने से सरकारी कर्मचारियों एवं जनप्रतिनिधियों पर आवश्यक अंकुश लगेगा, भ्रष्टाचार का अंत होगा, जनता की

पीके खुराना लेखक, वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार और विचारक हैं समाज बंट रहा है।  लोगों में निराशा है। देखना यह बाकी है कि विपक्षी दलों की एकजुटता का भविष्य क्या रहता है। फिर भी यह सच है कि सारी चुनौतियों के बावजूद इस एक सच को नहीं भुलाया जा सकता कि जिस तरह राज्यों में विपक्ष

पीके खुराना लेखक, वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार और विचारक हैं जब समय कठिन होता है तो उत्तेजना की नहीं, बल्कि धैर्य और सम्मति की आवश्यकता होती है। हमारे देश में जनतंत्र की हालत यह है कि शासन-प्रशासन में जनता की भागीदारी कहीं भी नहीं है। देश में जनतंत्र सिर्फ 5 साल बाद आता है, जब लोग