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श्रीश्री रवि शंकर नवरात्र देवी मां के सम्मान में भारत भर में मनाए जाने वाले पर्वों में से मुख्य पर्व है। यह उत्सव अमावस्या के पश्चात शुक्लपक्ष के प्रारंभ का भी प्रतीक है। यह एक विशेष पर्व है, जिसमें पारंपरिक पूजन, नृत्य व संगीत सब सम्मिलित रहते हैं। नवरात्र शब्द दो शब्दों से बना है,

मरणासन्न जेन साधक निनिकावा के पास जेन गुरु इक्यू आए, मैं तुम्हारी  कुछ सहायता करूं ? निनिकावा ने वेदना भरे स्वर में कहा, अकेला आया था, अकेला जा रहा हूं। आप मेरी क्या सहायता कर सकते हैं? इक्यू ने शांत स्वर में जवाब दिया, यह तुम्हारा भ्रम है कि तुम आते और जाते हो। मैं

स्वामी विवेकानंद गतांक से आगे… इतना होने पर भी मैं आपसे कहता हूं कि ईश्वर है, यह ध्रुव सत्य है, हंसी की बात नहीं। वही हमारे जीवन का नियमन कर रहा है और यद्यपि मैं जानता हूं कि जातिसुलभ स्वभाव दोष के कारण ही गुलाम लोग अपनी भलाई करने वालों को ही काट खाने दौड़ते

सर्दियों का मौसम आते ही हम ठंड से बचने के लिए गर्म कपड़ों का इस्तेमाल करते हैं, शरीर को चाहे कितने ही गर्म कपड़ों से ढक लिया जाए, लेकिन शरीर को ठंड से बचाने के लिए अंदरूनी गर्मी की जरूरत होती है। अगर शरीर अंदर से गर्म होगा तो हमें ठंड कम लगेगी और हम

* नाभि में रोजाना सरसों का तेल लगाने से होंठ नहीं फटते और फटे हुए होंठ मुलायम और सुंदर हो जाते हैं। साथ ही नेत्रों की खुजली और खुश्की दूर हो जाती है। * सवेरे मेथी दाना के बारीक चूर्ण की एक चम्मच की मात्रा पानी के साथ फंकी लगाने से घुटनों का दर्द समाप्त

भारतीय खान-पान में तिल का बहुत महत्त्व है। सर्दियों के मौसम में तिल खाने से शरीर को ऊर्जा मिलती है और शरीर सक्रिय रहता है। तिल में कई प्रकार के प्रोटीन, कैल्शियम, बी कांप्लेक्स और कार्बोहाइट्रेड आदि तत्त्व पाए जाते हैं। तिल का सेवन करने से तनाव दूर होता है और मानसिक दुर्बलता नहीं होती।

सर्दियों के मौसम में आपको अपना खास ख्याल रखने की जरूरत होती है। इस मौसम में की जाने वाली जरा सी लापरवाही आपको भारी पड़ सकती है। ऐसे में तमाम बीमारियों वाले इस मौसम में अगर बीमार होने से बचना है, तो हर रोज संतरा खाने की आदत डाल लें। संतरे में बीटा कैरोटिन पर्याप्त

आस्टियोपोरोसिस अर्थात हड्डियों का कमजोर होना ऐसी समस्या है, जिसका उम्रदराज लोगों को अधिक सामना करना पड़ता है। 50 साल की उम्र के बाद हर तीन में एक महिला को यह समस्या होती है। ये समस्या पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक होती है। आंकड़े बताते हैं कि पूरी दुनिया में हर तीन में

कई लोग खांसी को गंभीरता से नहीं लेते या स्वयं ही उपचार करने की कोशिश करते हैं, परंतु क्या आप जानते हैं कि कब खांसी के लिए डाक्टर के पास जाना चाहिए। बेशक हर छोटी-मोटी समस्या के लिए हमें डाक्टर के पास दौड़ना नहीं चाहिए, परंतु खांसी के मामले में अकसर यह तय करना कठिन