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दोस्तों, शाम ढलते ही चमगादड़ दिखते तुम्हारे मन में यह बात जरूर उठती होगी कि आखिर क्या कारण है कि चमगादड़ रात में ही क्यों निकलता है, दिन में क्यों नहीं। दरअसल, चमगादड़ के रात में निकलने के दो कारण हैं। रात के समय भोजन के लिए उसे अन्य पक्षियों की अपेक्षा कम मेहनत करनी

देश में असंख्य डाक्टर और इंजीनियर पैदा करने वाले ‘आकाश इंस्टीच्यूट’ के सीएमडी जेसी चौधरी को दो अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से नवाजा गया है। एक सम्मान ब्रिटिश संसद के ‘हाउस ऑफ  लार्ड्स’ में दिया गया है। दूसरा दुबई में मिला है। यह सम्मान शिक्षा के साथ-साथ अंकशास्त्र और वास्तु के क्षेत्रों में अप्रतिम योगदान के लिए

राजा का नाम वंशावली में आदि वर्मन के नाम से मिलता है। भरमौर के प्राचीन शिलालेखों में इसका नाम दो बार आया है। इन शिलालेखों को उसके प्रपौत्र मेरु वर्मन ने खुदवाया था। आदित्य वर्मन ब्रहापुर का पहला राजा था जिसने सर्वप्रथम अपने नाम के साथ वर्मन उपनाम जोड़ा… गतांक से आगे … इस राजा

सिरमौर के महाराजा राजेंद्र प्रकाश अंतिम समय में भी अपनी रियासत को बचाने का पूरा प्रयास करते और कहते रहे कि इनकी प्रजा रियासत के हस्ताक्षर करने के लिए नहीें मान रही है। उन्होंने सुझाव दिया कि सिरमौर में जनमत संग्रह करवाया जाए जिससे जनता की इच्छा का पता चल जाए। यदि जनता रियासत के

ये पहाड़ी लोक नृत्य  लोक जीवन से संबंधित होकर कोई पृथक सत्ता नहीं रखते। उनकी उपादेयता वहीं तक है, जहां तक वे लोक जीवन की आशाओं  और आकांक्षाओं की पूर्ति करें। लोक नृत्य परंपरा का आकर्षण, प्रभाव शक्ति एवं सजीवता तब तक कायम रहेगी, जब तक वह अपनी मिट्टी की गंध और महिमा को अभिव्यक्ति

प्रशासन की निगरानी (या प्रशासनिक हिसाबदेही) हमारी व्यवस्था में नीति निर्धारित किए जाने के पश्चात विधेयक पास किया जाता है। या धन मंजूर किया जाता है और फिर  उसे कार्यरूप देना प्रशासन का काम है। संसद स्वयं तो  प्रशासन का काम नहीं कर सकती और न  ही मंत्रिगण ऐसा कर सकते हैं। अतः यदि कार्यान्वयन

धर्मेंद्र  : जन्मदिन 8 दिसंबर फगवाड़ा में पंजाब राज्य के कपूरथला जिले में पैदा हुए धर्मेंद्र ने दो बार शादी की और अपनी दोनों पत्नियों को बनाए रखा है। हेमा मालिनी से शादी करने के लिए धर्मेंद्र ने इस्लाम धर्म अपना लिया। उनकी पहली शादी प्रकाश कौर से 19 वर्ष की उम्र में 1954 में

एक आठ साल का लड़का था। विपिन वह चौथी कक्षा में पढ़ता था। वह एक सुलझा हुआ, समझदार एवं प्यारा बच्चा था। उसका प्रकृति के प्रति विशेष लगाव था। पर्यावरण में निरंतर बढ़ता प्रदूषण उसे बहुत चिंतित करता था। वह इसके बारे में अपनी किताबों और कई पत्रिकाओं में पढ़ता, टीवी में भी इस विषय

सांगला अपनी उपजाऊ मिट्टी तथा कमरू किले के लिए प्रसिद्ध है। यहीं पर किन्नौर के राजाओं का राज्याभिषेक होता था। अब इस किले में कामाक्षी मंदिर बनाया गया है। यहां देवी की मूर्ति गुवाहाटी से लाई गई है… गतांक से आगे … जिला सिरमौर हिमाचल प्रदेश की सबसे बड़ी प्राकृतिक झील है इस झील का