आस्था

देशभर में भगवान गणेश के कई प्राचीन और खूबसूरत मंदिर हैं। ऐसा ही एक मंदिर तमिलनाडु के तिरुपथुर तालुक में पिल्लरेपट्टी में स्थित है। यह करपका विनायक मंदिर के नाम से जाना जाता है। माना जाता है कि यहां गणेश भगवान की मूर्ति पर की गई नक्काशी चौथी शताब्दी के आसपास की है। मंदिर का

हिमाचल प्रदेश में लगभग हर देशी महीने में कोई न कोई उत्सव या त्योहार मनाया जाता है। भादों का महीना समाप्त होते ही आश्विन महीना शुरू होता है। इस संक्रांति को जो उत्सव पड़ता है वह है सैर यानी सायर उत्सव… हिमाचल प्रदेश अपनी समृद्ध संस्कृति, विभिन्न मेले, उत्सव और त्योहारों के लिए प्रसिद्ध है।

16 दिनों तक होती है भगवती मां लक्ष्मीजी की विशेष पूजा-अर्चना… भारतीय संस्कृति के सनातन धर्म में देवी-देवताओं का व्रत उपवास रखकर पूजा-अर्चना करने की धार्मिक व पौराणिक मान्यता है। इसी क्रम में भाद्रपद शुक्लपक्ष की अष्टमी तिथि से भगवती मां लक्ष्मी की उपासना का विशेष पर्व प्रारंभ हो जाता है, जो कि आश्विन कृष्णपक्ष

शिव मंदिर में एक मंजिल के ऊपर एक और मंजिल में दो शिवलिंग स्थापित करने का हिंदुओं में रिवाज था, जैसा कि उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर और सोमनाथ मंदिर में देखा जा सकता है। ताजमहल में एक कब्र तहखाने में और एक कब्र उसके ऊपर की मंजिल के कक्ष में है तथा दोनों ही कब्रों

सृष्टि के आरंभ में परमात्मा ने अपनी इच्छा शक्ति से मन (जीवों) को उत्पन्न किया। सृष्टि की हलचल की ओर ध्यान जमाकर देखें तो यह सत्य ही प्रतीत होगा कि इच्छाओं के कारण ही लोग या जीव क्रियाशील हैं, यह इच्छाएं अनेक भागों में बंटी हुई हैं : 1. दीर्घ जीवन की इच्छा, 2. कामेच्छा,

अब इस पात्र के पदार्थ को पानी में घोलकर पी जाएं और पद्मासन की मुद्रा में जीभ को उलटकर तालू से लगाकर ‘घ्ंस’ शब्द का या ‘ओउम’ का लय में उच्चारण करते हुए लिं को उल्टा करके नाभी के नीचे लाएं और पट्टी से हल्का करके बांध दें। इस अवस्था में पहले त्राटक का ध्यान

खाली पेट लहसुन खाने के कई स्वास्थ्यवर्द्धक फायदे होते हैं, लेकिन इसके बारे में पता कुछ ही लोगों को होता है। लहसुन एक चमत्कारी चीज है। इसमें कई तरह के औषधीय गुण होते हैं और अगर आप खाली पेट लहसुन का सेवन करते हैं तो आपको इसके बहुत सारे फायदे होते हैं। एक कली लहसुन

शंकर ने प्रसन्न होकर उसे वर देने की इच्छा की। उसने शंकर से पांच बार कहा कि वह सर्वगुणसंपन्न पति चाहती है। शंकर ने कहा कि अगले जन्म में उसके पांच भरतवंशी पति होंगे क्योंकि उसने पति पाने की कामना पांच बार दोहराई थी। जब पांडव तथा कौरव राजकुमारों की शिक्षा पूर्ण हो गई तो

द्वितीय श्रेणी में वे मंत्र आते हैं जो स्वामी रामकृष्ण परमहंस, श्री चैतन्य महाप्रभु, श्री रामानंद जी एवं कबीर साहिब आदि धर्मगुरुओं ने लोकोपचार के निमित्त बताए हैं। तृतीय श्रेणी के मंत्र पुस्तकों में संग्रहीत होते हैं। इनमें गुरु-तप का प्रभाव नहीं होता, अतः ये निर्जीव कहे जाते हैं। सात्विक, राजसिक तथा तामसिक नाम से