आस्था

आपके आसपास और आपके घर में यदि कोई ऐसा बच्चा दिखाई दे जो अकसर चुप रहता हो, अपनी सोच में डुबा रहता हो, अपनी उम्र के सभी बच्चों से और अन्य क्रियाओं से दूर रहता हो, तो आप उस बच्चे की मदद कर सकते हैं। कहीं ऐसा न हो कि वो बच्चा डिप्रेशन का शिकार

आपने अंकुरित अनाज से होने वाले लाभ के बारे में जरूर सुना होगा। कई लोगों को सुबह के नाश्ते में अंकुरित किया हुआ चना खाते हुए भी देखा होगा। क्या आप जानते हैं कि इस तरह से चने को भिगोकर खाना कितना फायदेमंद होता है। इसमें भरपूर मात्रा में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फाइबर, कैल्शियम, मैगनीशियम और  मिनरल्ज

स्वामी विवेकानंद गतांक से आगे… वहां पहुंचकर स्वामी जी को बुखार आ गया। उसी वक्त वराहनगर से उनके पास खबर आई कि उनको कलकत्ता जाना है। वहां आपको बहुत जरूरी काम है, फौरन आ जाइए। इतना सुनते ही वह बुखार में ही कलकत्ता के लिए रवाना हो गए और जाते हुए शरतचंद्र को समझाया कि

नाखून सिर्फ  हाथों और पैरों की खूबसूरती ही नही बढ़ाते, बल्कि इनसे शरीर के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी भी मिलती है। शायद आपने कभी गौर न किया हो स्वास्थ्य सही होने पर नाखूनों का रंग गुलाबी और रंगत चमकदार होती है, जबकि सेहत ठीक न हो तो नाखून का रंग बदल जाता है। ऐसे

स्पष्टतः मूल रूप से शाहजहां द्वारा चुनवाए गए इन दरवाजों को कई बार खुलवाया और फिर से चुनवाया गया है। सन् 1934 में दिल्ली के एक निवासी ने चुनवाए हुए दरवाजे के ऊपर पड़ी एक दरार से झांककर देखा था। उसके भीतर एक वृहद कक्ष था और वहां के दृश्य को देखकर वह हक्का-बक्का रह

यह बिलकुल सत्य है कि भोजन का सेवन स्वास्थ्य के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है। भोजन का सेवन शरीर को पर्याप्त मात्रा में विटामिन, खनिज और प्रोटीन प्रदान करता है। ये पोषक तत्त्व वास्तव में शरीर के स्वास्थ्य और उचित कार्य को बनाए रखने के लिए महत्त्वपूर्ण हैं। किसी भी पोषक तत्त्व की कमी से स्वास्थ्य

हम जानते हैं कि पदार्थ परमाणुओं से बने हैं। परमाणु भी अंतिम स्थिति न होकर उनमें भी इलेक्ट्रान तथा प्रोटॉन आवेश होते हैं। प्रोटॉन परमाणु का केंद्र है और इलेक्ट्रान उस केंद्र के चारों ओर घूमते रहते हैं। यह दोनों अंश छोटे-छोटे टुकड़े नहीं हैं वरन यह धन और ऋण आवेश (इलेक्ट्रिसिटी) हैं, दोनों की

गरिमा : इसका अर्थ है गौरवशाली व्यक्तित्व। इस सिद्धि को प्राप्त करके मनुष्य इतना भारी हो जाता है, अर्थात प्रभावशाली हो जाता है कि कोई उसके पद या स्थान से उसे तिलमात्र हटा नहीं सकता। इसी सिद्धि के द्वारा वीर अंगद ने रावण की सभा में चुनौती देते हुए कहा था कि मेरा पांव कोई

एक के बाद एक सभी राजा-महाराजा एवं राजकुमारों ने ऊपर घूमती हुई एक मछली की आंख पर उसके प्रतिबिंब को नीचे जल में देखकर निशाना साधने का प्रयास किया, किंतु सफलता हाथ न लगी और वे कांतिहीन होकर अपने स्थान में लौट आए। इन असफल लोगों में जरासंध, शल्य, शिशुपाल तथा दुर्योधन, दुःशासन आदि कौरव