आस्था

ओशो जिन लोगों ने रिश्तों को चुना, वे सांसारिक कहे गए और जिन्होंने अकेलेपन को चुना वो अलौकिक संत कहलाए। पर दोनों पीडि़त हैं क्योंकि दोनों अधूरे हैं और अधूरा होना हमेशा तकलीफ भरा होता है। पूरा होने के लिए स्वस्थ और खुश रहना पड़ता है,जबकि अधूरा होना तकलीफ भरा इसलिए है, क्योंकि दूसरे आधे

* बच्चों को गर्म पानी में गुड़, जीरा और कालीमिर्च का मिश्रण दें। सर्दी, खांसी और गले में खराश होने पर यह असरदार है। * बच्चे को 1-2 ग्राम भुनी हुई हल्दी का चूर्ण शहद के साथ दिन में तीन चार बार चटाने से सर्दी तथा खांसी ठीक हो जाती है। * लहसुन की कली

शरीफा पौष्टिक तत्त्वों और सेहत से भरपूर एक स्वादिष्ट फल है। शरीफा मीठा फल है। इसमें कैलोरी की मात्रा अत्यधिक होती है इसलिए मधुमेह और मोटे लोगों को यह फल नहीं खाना चाहिए। यह आयरन, विटामिन सी, विटमिन बी कांप्लेक्स, मैगनीशियम और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है । यह फल अल्सर, एसिडिटी और पित्त के

तेजो महालय उर्फ  ताजमहल को नागनाथेश्वर के नाम से जाना जाता था, क्योंकि उसके जलहरी को नाग के द्वारा लपेटा हुआ जैसा बनाया गया था। यह मंदिर विशालकाय महल क्षेत्र में था। आगरा को प्राचीनकाल में अंगिरा कहते थे, क्योंकि यह ऋषि अंगिरा की तपोभूमि थी। अंगिरा ऋषि भगवान शिव के उपासक थे। बहुत प्राचीन

जेन कहानियां जेन गुरु हाकुइन ने अपने शिष्यों के आगे चाय बेचने वाली वृद्धा स्त्री की जेन की समझ की बड़ी सराहना की। शिष्यों को विश्वास नहीं हुआ, तो हाकुइन ने उन्हें उस वृद्धा स्त्री के पास भेज दिया। वृद्धा स्त्री उन्हें दूर से देख कर ही समझ जाती कि वे चाय पीने आ रहे

स्वामी रामस्वरूप सामवेद मंत्र 594 में ईश्वर कहता है ‘अहम अमृतस्य नाम’ अर्थात मैं (परमेश्वर) अमृत का स्त्रोत हूं। भाव है कि परमेश्वर अमृत स्वरूप अर्थात अविनाशी तत्त्व है और साधक को अमृत अर्थात मोक्ष का आनंद देने वाला है… गतांक से आगे… श्रीकृष्ण महाराज उसी प्रकार ईश्वर के स्वरूप में मग्न हुए, परमेश्वर की

* रोज के छोटे-छोटे सुधार आश्चर्यजनक परिणाम की ओर ले जाते हैं * सबसे अच्छा मनुष्य वह है, जो अपनी प्रगति के लिए सबसे अधिक श्रम करता है * दुनिया की हर चीज ठोकर लगने से टूट जाती है, एक कामयाबी ही है, जो ठोकर खा कर ही मिलती है * जिंदगी जीना आसान नहीं

8 सितंबर रविवार, भाद्रपद, शुक्लपक्ष, दशमी 9 सितंबर सोमवार, भाद्रपद, शुक्लपक्ष, एकादशी, पदमा एकादशी व्रत 10 सितंबर मंगलवार, भाद्रपद, शुक्लपक्ष, द्वादशी, श्री वामन जयंती 11 सितंबर बुधवार, भाद्रपद, शुक्लपक्ष, त्रयोदशी, पंचक प्रारंभ, प्रदोष व्रत 12 सितंबर बृहस्पतिवार, भाद्रपद, शुक्लपक्ष, चतुर्दशी, अनंत चतुर्दशी 13 सितंबर शुक्रवार,भाद्रपद, शुक्लपक्ष, चतुर्दशी, पूर्णिमा का श्राद्ध 14 सितंबर शनिवार, भाद्रपद, शुक्लपक्ष,

सद्गुरु  जग्गी वासुदेव हमारे वेद आज की किताबों की तरह नहीं हैं। न ही उनके विषय हमारे पुराणों की तरह मनगढ़ंत हैं। वे कोई नैतिक धर्म संहिता भी नहीं हैं, जिसकी किसी एक ने या कुछ निश्चित लोगों ने मिल कर रचना की हो। वे बाहरी और आंतरिक दोनों तरह के खोजों की एक शृंखला