आस्था

गद्दी पुरुषों द्वारा पारंपिरक वेशभूषा चोली-डोरा पहनकर डंडारस नृत्य करना भी प्रायः विलुप्त होने की दहलीज पर आ पहुंचा है। मणिमहेश यात्रा धार्मिक यात्रा न होकर पिकनिक स्पॉट ज्यादा बनती जा रही है… आज हर वर्ग के युवा लोग धन एकत्रित करने के चक्कर में अपने संस्कारों से मुंह फेर रहे हैं, जिससे हमारी सांस्कृतिक

स्वामी रामस्वरूप हम यहां विचार करें कि परमेश्वर के अतिरिक्त कोई अन्य कैसे  परमेश्वर एवं सृष्टि के समस्त पदार्थों का ज्ञान दे सकता है। उसी परंपरा के अंतर्गत श्रीकृष्ण महाराज भी संदीपन गुरु से वेदों का ज्ञान लेकर अर्जुन को यहां दे रहे हैं। संपूर्ण गीता में वेदों से लिया हुआ ज्ञान ही दिया गया

* अकसर महान बनने की चाहत में लोग इनसान बनना भूल जाते हैं। * गलती उसी से होती है जो मेहनत से काम करता है, निकम्मों की जिंदगी तो दूसरों की बुराई खोजने में खत्म हो जाती हैं। * देखने का नजरिया सही होना चाहिए, ठीक वैसे ही जैसे स्कूल की पहली घंटी से नफरत

श्रीराम शर्मा दूसरों की सेवा या सहायता करनी है, तो प्रायः उसके लिए मधुर भाषण, नम्रता, दान, उपहार आदि द्वारा ही उसे संतुष्ट किया जाता है। परंतु कई बार इसके विपरीत स्थिति सामने आती है कि सदुद्देश्य होते हुए भी, भावनाएं उच्च, श्रेष्ठ, सात्विक होते हुए भी क्रिया प्रणाली ऐसी कठोर, तीक्ष्ण एवं कटु बनानी

बाबा  हरदेव जब तक मनुष्य में स्वयं होता है असल में यह शक्ति संपन्न नहीं होता, मानो मनुष्य का स्वयं होना शक्ति विपन्न ही होता है, क्योंकि अहंकार केंद्रित होना दीन होना ही होता है। मनुष्य जितना अहंकार से भरा होता है जितनी इसमें ‘मैं’ होती है उतना ही यह दीन होता है और जितना

श्रीश्री रवि शंकर कृष्ण अर्थात सबसे अधिक आकर्षक। वह दिव्यता जो सबसे अधिक आकर्षक है, वह शक्ति जो सब कुछ अपनी ओर खींच लेती है। कृष्ण वह निराकार केंद्र है जो सर्वव्यापी है। कोई भी आकर्षण, कहीं से भी हो वह कृष्ण से ही है। प्रायः मनुष्य आकर्षण के मूल सत्व को नहीं देख पाते

स्वामी विवेकानंद गतांक से आगे…  उनके संपर्क में आने वाले मानो उनसे अपने दीप जला लेते हैं। इससे प्रथम दीप की कोई हानि नहीं होती। फिर भी वह अपना प्रकाश दूसरे दीपों को पहुंचाता है। करोड़ों दीप जल जाते हैं, पर प्रथम दीप अनंद ज्योति से जगमगाता रहता है। प्रथम दीप गुरु है और जो

पटाखों के स्मॉग से खांसी, फेफड़े संबंधी दिक्कतें, आंखों में इन्फेक्शन, अस्थमा, अटैक, गले में इन्फेक्शन, हार्ट संबंधी दिक्कतें, हाई ब्लड प्रेशर, नाक की एलर्जी, ब्रोंकाइटिस और निमोनिया जैसी समस्याओं के होने का खतरा बढ़ जाता है… हर साल दीपावली के मौके पर लोग कुछ दिन पहले ही पटाखे जलाना शुरू कर देते हैं। दीपावाली

श्री गुरु रविदास महाराज जी के अवतार धारण करने पर उनके माता-पिता, रिश्तेदार व सभी लोगों ने बहुत खुशियां मनाई। गुरु रविदास महाराज जी के फूफा जी जिनका नाम मीतू था व भागलपुर गांव के रहने वाले थे। वह चमड़े के खिलौने बनाने का कार्य करते थे। गुरु रविदास जी की बुआ का नाम रतनी