आस्था

विश्व प्रसिद्ध त्रिपुर सुंदरी मंदिर 14 किमी. दूर तेवर गांव के भेड़ाघाट रोड पर स्थित है। इस मंदिर में मां महाकाली, मां महालक्ष्मी और मां सरस्वती की विशाल मूर्ति एक साथ विराजमान है। प्रमुख आकर्षण होने के अलावा इस मंदिर को काफी पवित्र माना जाता है और यह धार्मिक आस्था का महत्त्वपूर्ण केंद्र है। 11वीं

देवभूमि उत्तराखंड में देवप्रयाग से 35 किलोमीटर दूर स्थित मां चंद्रबदनी मंदिर माता के 52 शक्तिपीठों में से एक है। मां भगवती का यह मंदिर श्रीनगर टिहरी मार्ग पर है। पौराणिक आख्यान के अनुसार भगवान शंकर का सती की मृत देह के प्रति मोह समाप्त करने के लिए भगवान विष्णु ने सती की पार्थिव काया

पोलिश मूल के अमरीकी पुरातात्त्विक पुस्तक विक्रेता विल्फ्रेड एम वॉयनिच द्वारा 1912 में इसका अधिग्रहण किया गया  था। वॉयनिच मैन्युस्क्रिप्ट पूरे 240 पन्नों की एक किताब है, जिसमें ऐसी भाषा व स्क्रिप्ट का इस्तेमाल किया गया है, जिसे शायद ही कोई पढ़ पाए। पूरी किताब रंग-बिरंगी कलाकृति व अजीबो-गरीब रेखाओं से भरी पड़ी है… अगर

हमने प्राकृतिक और अप्राकृतिक घटनाओं में भेद करना सीख लिया। परंतु हमारा प्रश्न मानव के अस्तित्व तक ही सीमित नहीं है। हमारा प्रश्न न ही मनुष्य की वर्तमान और न ही भविष्य की क्षमता को लेकर है। हमारा प्रश्न मनुष्य को भौतिकता के रूपों की श्रेणी में रखता है। प्रश्न कहता है कि क्या हम

झारखंड में भूत-प्रेत भगाने के लिए बच्चियों की शादी कुत्तों से कराई जाती है। भूतों का साया और अशुभ ग्रहों का प्रभाव हटाने के नाम पर बच्चियों की शादी कुत्तों से करवाई जाती है। हालांकि यह शादी सांकेतिक होती है, पर होती है असली हिंदू तरीके और रीति-रिवाज से। लोगों को शादी में आने का

* एक पत्ता पत्थरचट्टा और चार दाने मिसरी पीस कर एक गिलास पानी के साथ खाली पेट पिएं। इससे पथरी से राहत मिलेगी। * दो ग्राम मिसरी, एक ग्राम सूखा धनिया और एक ग्राम सरपगंधा पीस कर  पानी के साथ लेने से हाई ब्लड प्रेशर कंट्रोल होता है। * शरीर में खून की कमी पूरी

वास्तुकला और मूर्तिकला की दृष्टि से खजुराहो के मंदिरों को भारत की सर्वोत्कृष्ट कलाकृतियों में स्थान दिया जाता है। यहां की शृंगारिक मुद्राओं में अंकित मिथुन-मूर्तियों की कला पर संभवतः तांत्रिक प्रभाव है, किंतु कला का जो निरावृत्त और अछूता सौंदर्य इनके अंकन में निहित है, उसकी उपमा नहीं मिलती। मुख्य मंदिर तथा मंडपों के

बाबा हरदेव उपासना के लिए कहीं पहुंचना नहीं होता, यह जहां मनुष्य है, वहीं घटित हो जाती है। बस सद्गुरु की कृपा से अपने से मिटना होता है और जिस दिन मनुष्य बिलकुल नहीं रह जाता, उस दिन उपासना पूरी हो जाती है। इस हालत में सख्ती और अहंकार रूपी बर्फ पिघल जाती है… महात्माओं

शास्त्रानुसार मानव शरीर में 72 हजार नाडि़यां हैं, जिनमें से तीन महत्त्वपूर्ण हैं-इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना। इड़ा नाड़ी नासिका के बाएं छिद्र की ओर रहती है तथा पिंगला नाड़ी दायीं ओर चलती है। इन दोनों के मध्य में सुषुम्ना नाड़ी रहती है। इड़ा को चंद्र अथवा गंगा, पिंगला को सूर्य अथवा यमुना तथा सुषुम्ना को