आस्था

मौन का अर्थ यह नहीं कि होंठ बंद हो गए। मौन का अर्थ है, भीतर भाषा बंद हो गई, भाषा गिर गई। जैसे कोई भाषा ही पता नहीं है। और अगर आदमी स्वस्थ हो, तो जब अकेला हो, उसे भाषा पता नहीं होनी चाहिए। क्योंकि भाषा दूसरे के साथ कम्युनिकेट करने का साधन है, अकेले

भगवती की उपासना के लिए ‘सौंदर्य लहरी’ आद्यशंकराचार्य का साधकों को दिया गया अप्रतिम उपहार है। वाह्य रूप से देखें तो यह एक निष्पाप हृदय द्वारा भगवती की उपासना प्रतीत होती है। गहराई में विचार करने पर साधकों को यह तंत्र के गुह्य रहस्यों का संचय प्रतीत होती है। अपनी काव्यात्मकता के लिए सौंदर्य लहरी

जिला सिरमौर व शिमला की सीमा पर स्थित ऐतिहासिक व धार्मिक स्थल चूड़धार अपने आप में स्वर्ग की दूसरी सीढ़ी है। यहां पहुंचने पर श्रद्धालु अपने आपको जहां स्वर्ग लोक में महसूस करते हैं, वहीं चूड़धार में अमरनाथ यात्रा का भी अनुभव मिलता है। श्री शिरगुल महाराज के इस ऐतिहासिक मंदिर में वर्ष में छह

यहां कृष्ण संग विराजित है सुदामा, दोस्ती को समर्पित है यह मंदिर। भारत में ऐसे न जाने कितने कृष्ण मंदिर हैं जहां कि अपनी अलग विशेषता है। ऐसा ही एक मंदिर मध्य प्रदेश के उज्जैन से कुछ दूरी पर स्थित है। इस मंदिर को नारायण धाम के रूप में जाना जाता है। यह मंदिर कृष्ण

त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र-प्रांत के नासिक जिला में है। यहां के निकटवर्ती ब्रह्म गिरि नामक पर्वत से गोदावरी नदी का उद्गम है। इन्हीं पुण्यतोया गोदावरी के उद्गम-स्थान के समीप त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग अवस्थित है। गौतम ऋषि तथा गोदावरी के प्रार्थनानुसार भगवान शिव इस स्थान में वास करके त्र्यंबकेश्वर नाम से विख्यात हुए। मंदिर के अंदर एक छोटे

मंगलनाथ मंदिर की गिनती भारत के प्रमुख मंदिरों में की जाती है। मंदिर प्रमुख धार्मिक नगरी उज्जैन में स्थित है। इस मंदिर की महिमा अपरंपार है। यहां आकर कोई भक्त निराश नहीं लौटता। यह मंदिर भक्तों की सभी विपदाओं को हर लेता है। इसी कारण इस मंदिर का विशेष महत्त्व है। अपनी कुंडली में मंगल

स्वामी विवेकानंद गतांक से आगे… इसमें मनुष्य एवं अलौकिक पुरुषों के जीवन के उपाख्यान आदि होते हैं। इसमें सूक्ष्म दार्शनिक तत्त्व, मनुष्यों या अतिप्राकृतिक पुरुषों के थोड़े बहुत काल्पिक जीवन के उदाहरणों द्वारा समझाए जाते हैं। तीसरा है, आनुष्ठानिक भाग। यह धर्म का स्थूल भाग है। इसमें पृजा-पद्धति, आचार, अनुष्ठान, विविध शारीरिक अंग-विन्यास, पुष्प, धूप-धूनी,

माघ माह में कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मौनी अमावस्या कहते हैं। मौन का भारतीय साधना परंपरा में विशेष महत्त्व रहा है। मौन की साधना में सिद्ध व्यक्ति को यह परंपरा उच्च दर्जा देती है और मुनि के नाम से पुकारती है।  माघ मास के स्नान का सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण पर्व मौनी अमावस्या ही है।

श्रीश्री रवि शंकर इसलिए कोई बड़ा कार्य करना एक अस्थायी अवस्था है। यदि तुम ऐसा कोई काम अनंत काल के लिए करना स्वीकार करते हो जो तुम्हारी क्षमता से बहुत कम हो, वही पूजा है। छोटी-छोटी चीजें सजगतापूर्वक अनंत काल तक करने की तत्परता तुम्हें अनंत से जोड़ देती है… अनंत के लिए तुम क्या