पाठकों के पत्र

(शगुन हंस, योल ) कभी राजनीति गिने-चुने लोग ही किया करते थे। वजह यह थी कि पहले राजनीति जनसेवा का कार्य समझी जाती थी, पर आज राजनीति बिजनेस बन गई है। पहले किसी चुनाव में किसी क्षेत्र से एक या दो नेता ही मैदान में होते थे, पर आज के दौर में देखें, तो एक

(किशन सिंह गतवाल, सतौन, सिरमौर ) पांवटा से गातू बरास्ता राजबन पथ परिवहन की बस 31 अगस्त, 2017 से अकारण बंद कर दी गई है। इस बस के पहिए सराहां से आगे नहीं चलते। सराहां में जाम पहियों के कारण सवारियों को बड़ी परेशानी झेलनी पड़ती है। बस पास वाले छात्रों और आम सवारियों को

(नारायण सिंह, चलोग, शिमला ) मुख्यमंत्री महोदय, मैं शिमला ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र के चलोग गांव का निवासी हूं। यह आपका विधानसभा क्षेत्र है। रविवार 17 सितंबर को मैं खटनोल से सुन्नी होते हुए शिमला के लिए चली एचआरटीसी की बस में गुल्थानी के पास सवार हुआ। मुझे गुम्मा जाना था। मैं एक सेवानिवृत्त शिक्षक हूं

(किशोरी लाल कौंडल, कलीन, सोलन ) जल, जंगल और जमीन के अस्तित्व के आधार पर ही सारा ब्रह्मांड स्थिर है। ये तीनों ही एक-दूसरे के पूरक हैं। यदि जल, जंगल और जमीन में से किसी एक में भी अस्थिरता आ जाती है, तो भू-मंडल पर असामान्य घटनाएं घटनी शुरू हो जाती हैं और ये मानव

(किशोरी लाल कौंडल, कलीन, सोलन ) जल, जंगल और जमीन के अस्तित्व के आधार पर ही सारा ब्रह्मांड स्थिर है। ये तीनों ही एक-दूसरे के पूरक हैं। यदि जल, जंगल और जमीन में से किसी एक में भी अस्थिरता आ जाती है, तो भू-मंडल पर असामान्य घटनाएं घटनी शुरू हो जाती हैं और ये मानव

(मनीषा चंदराणा (ई-मेल के मार्फत) ) सरकार ने कर्मचारियों का महंगाई भत्ता चार से बढ़ाकर पांच फीसद कर दिया है। दुनिया में भारत ही एक ऐसा देश होगा, जहां सरकार कर्मचारियों पर उनके काम का परीक्षण किए बिना बड़ी मात्रा में खर्च करती है। आखिर अच्छे दिन हमेशा सरकारी कर्मचारियों के ही क्यों आते हैं? 

(डा. शिल्पा जैन सुराणा, वारंगल, तेलंगाना ) देश में पेट्रोल की कीमतें चरम पर पहुंच गई हैं और समय आ गया है कि सरकार इस स्थिति के लिए जिम्मेदारी ले। आज के समय में औसत व्यक्ति के लिए पेट्रोल विलासिता नहीं, बल्कि जरूरत है। महंगाई की दरों पर लगाम तो दूर की बात है, इस

(किशन सिंह गतवाल, सतौन, सिरमौर ) पिछले पचास वर्षों से भारत तिब्बती शरणार्थियों को पनाह दिए हुए है। अब अवैध रूप से भारत में घुसने वाले रोहिंग्या का भार भी संयुक्त राष्ट्र संघ भारत पर लादने की फिराक में है। भारत भूमि शुरू से ही विपदा में फंसे लोगों के लिए पनाहगाह रही है। किसी

(प्रियंका शर्मा, बागबानी एवं वानिकी कालेज, हमीरपुर ) माना दूर है मंजिल, अभी रास्ते धूमिल हैं, खुद पर विश्वास तो रख, चल उठ, एक बार कोशिश तो कर। कदम बढ़ाता मकसद की ओर बढ़, गिर भी गया तो क्या हुआ? हिम्मत रखकर फिर से चल। इरादे हैं अगर तेरे पक्के, रास्ते के पत्थर भी लगेंगे