पाठकों के पत्र

(नीरज मानिकटाहला, यमुनानगर, हरियाणा ) गुरुग्राम के रेयान इंटरनेशनल स्कूल में सात साल के मासूम छात्र की निर्मम हत्या ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। आखिर उस अबोध बच्चे प्रद्युम्न ने किसी का क्या बिगाड़ा था, जिसने अभी जिंदगी के साथ कदमताल मिलाना शुरू ही किया था। निर्दोष बालक की बर्बर हत्या के

(रमेश सर्राफ, झुंझुनू (ई-मेल के मार्फत)) विकास का प्रतीक मानी जाने वाली सड़कें आज विनाश का पर्याय बनती जा रही हैं। देश में आज ऐसा कोई भी दिन नहीं गुजरता, जिस दिन देश के किसी भाग में सड़क हादसा न हो और कई लोगों को जान से हाथ धोना न पड़े। अधिकांशतः सड़क दुर्घटनाओं का

(प्रियंका शर्मा, बागबानी एवं वानिकी कालेज, हमीरपुर ) भ्रष्टाचार हो गया था भारत भर में आम, गरीबों का जीना इसने कर रखा था हराम। जिसे देखो वही भ्रष्टाचार के जाल में फंसा था , हर व्यक्ति का पहिया इस दलदल में धंसा था। कदाचार के खेल में पिसता बस ईमानदार, सिक्कों की खनक में उसकी

(किशन सिंह गतवाल, सतौर, सिरमौर ) भारत के लोग अत्यंत धार्मिक और धर्मभीरु हैं। यही कारण है कि बड़ी सहजता से लोग बाबाओं के जाल में फंसकर ठगी का शिकार बनते रहे हैं। वास्तव में भोले-भाले लोगों की आस्था और धर्मपरायणता से सरेआम छलावा होता है। बड़ी विचित्र सी बात है कि श्रद्धालुओं, विशेषकर महिलाओं

(पूजा, मटौर ) मां-बाप के बाद जहां बच्चा जीवन के लिए उपयोगी ज्ञान ग्रहण करता है, तो वह विद्यालय ही है। अभिभावक जब बच्चों को विद्यालय भेज देते हैं, तो वे कभी उनकी सुरक्षा के प्रति आशंकित नहीं होते। अब अगर उस शिक्षा के मंदिर में ही अपराध होने लगे हैं, तो यह गहन चिंता

(जग्गू नौरिया, जसौर, नगरोटा बगवां ) लिख पाऊं मैं तेरी गाथा, हुनर यह नहीं आता, मां तू दया का सागर है, कोई न तेरे बराबर है। जिह्वा से सबसे पहले, नवजात ‘मां’ ही कह पाता। मां तू ममता की डोर है, असीमित तेरा छोर है। लिखूं तुम पर कविता, पास मेरे वे अल्फाज नहीं, दुनिया

(डीआर अवस्थी, सगूर, बैजनाथ ) अभी कुछ ही समय पहले शराब के ठेकों को बंद करवाने हेतु प्रदेश भर में महिलाओं को सड़कों पर उतरना पड़ा। इसके पीछे महिलाओं का आक्रोश ही नहीं, पीड़ा भी समझी जा सकती थी। परिणामस्वरूप कुछ शराब के ठेके बंद हुए, कुछ की जगह बदल गई। कितना दुखद है कि

(स्वास्तिक ठाकुर, पांगी, चंबा ) अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक लिहाज से पिछला एक सप्ताह भारत के लिए बेहद दिलचस्प रहा है। इस दौरान भारत को दो बेहद संवेदनशील मोर्चों पर कामयाबी मिली है। पहले तो डोकलाम में सड़क निर्माण को लेकर चीन को अपने जिद्दी रुख को बदलना पड़ा। चीन की शुरू से ही रणनीति रही है

(सुरेश कुमार, योल ) वह अकेला ही रिज पर घूमने नकल जाता था। कई बार खोखे वाले के पास खड़ा होकर चाय की चुस्कियां लेते भी देखा। खास होते हुए भी आम लोगों की तरह हाव-भाव। कोई काफिला नहीं, कोई सुरक्षा का तामझाम नहीं। यही खासियत प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री यशवंत सिंह परमार की। दिखावे