संपादकीय

नशे के खिलाफ रिकार्ड कायम करके सिरमौर के मोगीनंद स्कूल ने जो परंपरा शुरू की है, उससे शिक्षण संस्थानों की परिभाषा बदल सकती है। इस अभियान के पीछे प्रेरणा के जिस फलक पर अध्यापक वर्ग खड़ा है, उसे भी स्वीकार करना पड़ेगा। नशे के खिलाफ संदेशों का जो काफिला मोगीनंद स्कूल में बना, उसके परिदृश्य

आखिर पाकिस्तान पर भारत की मोदी सरकार की रणनीति क्या है? क्या सर्जिकल स्ट्राइक से पाकिस्तान को सबक सिखाया जाएगा? या पाकिस्तान को दुनिया भर में अलग-थलग कर ‘आतंकी देश’ घोषित कराने की कोशिशें जारी रहेंगी? अथवा मोदी सरकार कुछ खिड़की-दरवाजे खुले रखना चाहती है, ताकि राजनयिक, सांस्कृतिक, नागरिक-दर-नागरिक संबंध बने रहें? एक तरफ आतंकी

सोशल मीडिया नामक जिस समुदाय से हिमाचली नेताओं का याराना बढ़ रहा है, उसकी दरारें व चुनौतियां भी स्पष्ट हैं। राजनीतिक तकनीक के सोशल मीडिया का चुंबक जब टूटता है, तो एक साथ कई चाबुकों जैसा दर्द भी महसूस होगा। अपने कारणों व प्रतीकों के सोशल मीडिया में सियासी हस्तियों का संवाद और शेषांक देखा

प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में खासकर राहुल गांधी को निशाना बनाते हुए कहा था, ‘जुबान संभाल कर रखो, नहीं तो मेरे पास आपकी पूरी जन्मपत्री है। मैं अपने विवेक और मर्यादाओं को छोड़ना नहीं चाहता, लेकिन अगर आप अनाप-शनाप बातें करोगे, तो आपका इतिहास आपको नहीं छोड़ेगा।’ यह भारत सरीखे लोकतांत्रिक देश के प्रधानमंत्री

पर्यटन खूबियों के बीच अगर इसी पर केंद्रित विकास बोर्ड मायूस हो, तो गलती की टोह लेना कठिन कार्य नहीं होगा। जख्मी पर्यटन के सेनापति के रूप में पर्यटन विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष विजय सिंह मनकोटिया का बयान बताता है कि इस उद्योग को समझने में निरंतर उपेक्षा हुई है। बतौर उपाध्यक्ष विजय सिंह मनकोटिया

पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 73 सीटों पर 64 फीसदी से अधिक रिकार्ड मतदान हुआ है। इसके साथ ही समूचे उत्तर प्रदेश में चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इस इलाके में मायावती की पार्टी बसपा सबसे ताकतवर रही है। हालांकि 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने करीब 50.2 फीसदी वोट पाकर सभी सीटों

हिमाचल में इस बार राजनीति अपने अनुमान बदलने की कोशिश कर रही है। यह इसलिए भी क्योंकि देश की राजनीतिक समझ से अलग हिमाचल के अपने पैमाने और प्रयोग रहे हैं। इन्हीं की बदौलत सियासी कसरतें परवान चढ़ीं और नेताओं के परिवार बढ़े, लेकिन इस दस्तूर से बाहर निकलते कुछ युवा अपना कद बता रहे

संसद कोई गली-मोहल्ला या चाल-चौपाल नहीं है कि मनमर्जी भाषा का उपयोग किया जाए या अभद्र, असभ्य, अश्लील भाषा की हदों तक पहुंचा जाए। वाणी, विचार और वक्तव्य के संदर्भ में औसत सांसद ही नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री को भी संयमित रहना लाजिमी है। यह किसी संविधान या नैतिकता के दस्तावेजों में नहीं लिखा है। संसद

आंकड़ों की प्रभावशाली अभिव्यक्ति में हिमाचली कदमों का कामयाब सफर उस हकीकत की मंजिल है, जहां यह प्रदेश आज खड़ा है। पंजाब से उत्तर प्रदेश तक निकली देश की राजनीति जो बटोर रही है, उससे कहीं भिन्न शिलालेख हिमाचल में पहले से दर्ज हैं। प्रभाव के इसी दौर की नुमाइश में प्रदेश की पैरवी का