( राखी वर्मा, नाहन ) रोज ही अखबार में आ जाता है कि सीमा पर दो आतंकी ढेर और सेना का एक जवान शहीद हो गया। आतंकी को मार गिराने में हम अपनी जीत समझें या अपने जवान को शहीद कर के हम हार गए। शहादतों का यह सिलसिला कब से चल रहा है और
पुनर्विचार याचिका ( डा. सत्येंद्र शर्मा, चिंबलहार, पालमपुर ) आईसीजे, का फैसला, उन्हें नहीं मंजूर, क्या शरीफ क्या कुरैशी, सदमे में हैं चूर। चार सौ चालीस वोल्ट की, मिली करारी हार, आज पराजय चाट ली, मुंह की खाई मार। चांटा ऐसा जड़ दिया, सूज गए सब गाल, भौं-भौं करता फिर रहा, हाल बड़ा बेहाल। सबसे
(मार्टिन खोर) साउथ सेंटर के कार्यकारी निरीक्षक हैं सैद्धांतिक तौर पर देखें तो यदि इस वर्ष टीपीपी लागू नहीं हो पाता है तो अमरीकी राष्ट्रपति अगले वर्ष इसे संसद से पारित करवा सकते हैं, लेकिन ऐसा हो पाने की संभावना अत्यंत क्षीण है। अतएव टीपीपीए को इसी अलसाए सत्र में ही पारित करवाना होगा अन्यथा
ताजातरीन मामला लालू यादव और उनके परिवार से जुड़ा है। पटना में 71,214 वर्गमीटर भूखंड पर ‘डिलाइट मॉल’ बनाया जा रहा है। इसकी लागत 750 करोड़ रुपए बताई जाती है। लालू की पत्नी राबड़ी देवी और बेटा तेजस्वी प्रसाद इस मॉल की कंपनी के मालिक हैं। केंद्रीय पर्यावरण, वन मंत्रालय ने 15 मई को मॉल
समर्पण आत्मा हैं हम रचयिता हमारे तुम परमात्मा। तन, तुम्हारा उपहार मन, तुम्हारी कठपुतली गुण, तुम्हारे आशीर्वाद दोष तुम्हारे श्राप बुद्धि, तुम्हारी देन सब कुछ तुम्हारा, तुमने ही दिया, तुम ही लो, श्रेय- हमारी उपलब्धियां का, उत्तरदायित्व विजय- पराजय का, अपर्ण तुम्हे सुख-दुख चिंताएं जैसे अराधना, अपना लेना अंततः भले बुरे, जैसे हैं हम नहीं
(किशन चंद चौधरी) लेखक, सद्द बरग्राम, कांगड़ा से हैं भोजन की बर्बादी रोकने के लिए लोगों के आचार-विचार, व्यवहार में बदलाव लाने से ही हमारी वास्तविक जीत संभव होगी। देश को समृद्ध बनाना है, तो हमें इन बातों पर अमल करना होगा। देश परमाणु शक्ति संपन्न देश बेशक बन जाए, पर यदि उसके लोग भूखे
(कंचन शर्मा, नालागढ़) अभी कुछ दिन पहले ही हिमाचल सरकार ने 700 करोड़ का ऋण उठाया था और अब सरकार फिर 500 करोड़ का कर्ज 10 साल की अवधी के लिए लेगी। यानी कि दूसरे-तीसरे महीने के बाद ऋण लेना ही पड़ रहा है। बिना ऋण लिए सरकार का काम चलने वाला भी नही। वैसे
(मयंक शर्मा, डलहौजी) पहले बिना कम्प्यूटर के ही हमारे बुजुर्ग मौसम की भविष्यवाणी कर देते थे कि अब गर्मियां शुरू हो रही हैं या अगले महीने से बरसात का मौसम आ रहा है। यानी पहले मौसम चक्र अपने नियमानुसार चलता था। हर मौसम प्रकृति ने एक चक्कर मे बांध रखा था। पर आज देख लो
(केसी शर्मा , सूबेदार मेजर (रिटायर्ड), गगल, कांगड़ा) नेताओं के वेतन कहां से कहां तक पहुंच गए, परंतु दिहाड़ीदार की दिहाड़ी मात्र दो या अढ़ाई सौ रुपए ही है। केंद्रीय या राज्य कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग ने कर्मचारियों को काफी लाभ पहुंचाया है। प्रधानमंत्री का कथन है कि सबका साथ सबका विकास। अगर यह