वैचारिक लेख

एक समय की बात है। ज़ोम्बीद्वीप में एक बुद्धिमान, न्यायप्रिय और संवेदनशील राजा राज्य करता था। देश में राजशाही के बावजूद लोकतंत्र में उसकी गहन आस्था थी। उसने एक संविधान के निर्माण के बाद उसे न केवल लागू करवाया बल्कि उसकी रक्षा के लिए क़ानून भी बनाया। देश का नाम भले ही ज़ोम्बीद्वीप था, परन्तु उसके लोग ज़ोम्बी नहीं थे। देश बहुधर्मी था और सभी धर्मों के लोग आपस में बड़े प्रेम, भाईचारे और सौहार्द से रहते। राजा का एक लडक़ा था। देखने में साधारण होने के बावजूद वह अपने आपको धर्मेन्द्र से कम नहीं समझता। आत्ममुग्धता का शिकार राजकुमार दिन में दस बार कपड़े बदलता। वह स्वभाव से मनमौजी, अक्ल से साधारण और नीयत से बेईमान था। झूठ बोलने में उसे विशेष आनन्द आता। धीरे-धीरे उसने झूठ बोलने में इतनी म

यह अभूतपूर्व खाद्यान्न भंडारण व्यवस्था नए भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए बहुआयामी उपयोगिता देते हुए दिखाई देगी। हम उम्मीद करें कि लोकसभा चुनाव के बाद गठित होने वाली नई सरकार कृषि एवं ग्रामीण विकास के साथ-साथ कृषि सुधारों की डगर पर तेजी से आगे बढ़ेगी...

गोल-गप्पा जबसे खुद को पुरुष मानने लगा है, उसका जीवन औरत के मुंह में फंस गया है। हर वक्त फूला फूला सा रहता है। ढेर सारा खाता है, फिर भी उदास रहता है। इसे निगलने को हर कोई तैयार रहता है। बुद्धिजीवी ने हर बार अपने हालात को गोल गप्पे के करीब पाया। जब भी कोई सेंकता है या गर्माहट के आंचल में उबालता है, यह फूल जाता है। बुद्धिजीवी कब नहीं फूला और कब फूला नहीं समाया। हर बार सरकार के परिवर्तन पर फूला फूला सा रहा। सच मानो यह तो इंदिरा की इमरजेंसी की घोषणा पर भी फूला था, लेकिन फिर इसके अंग, ढंग और रंग जिस तरह फुलाए गए, इसके सामने अपने खोट आ गए। हद यह कि इसने इमरजेंसी का पीछा नहीं छोड़ा। हटी तो भी खुशियां मनाई। इसके पास खुशियां मनाने के कई रिकार्ड हैं। स्वच्छता रैली के बाद या तो गोल गप्पा फूला

भारत में 2030 तक 500 गीगावाट स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। इसे हम प्राप्त कर सकेंगे। किंतु बड़े ऊर्जा पार्क बनाकर स्थानीय संसाधनों पर कुछ जगहों पर ज्यादा दबाव पड़ जाता है, जिससे रोजी-रोटी के संसाधन छिन जाते हैं...

सरकार वामपंथी अतिवाद से प्रभावित क्षेत्रों में सडक़ें बनाने की योजना पर तेजी से काम कर रही है और वर्ष 2022 तक 48877 किलोमीटर सडक़ें बनाने का लक्ष्य रखा गया है। वामपंथी अतिवाद से प्रभावित क्षेत्रों में संचार सेवाओं को मजबूत बनाने के लिए सरकार बड़ी संख्या में मोबाइल टावर लगाने का काम कर रही है...

हर बुजुर्ग के पास अपने कुछ ऐसे अनुभव और सीख होती है जो कि गूगल में भी नहीं मिलती। एकल परिवार में अकेलेपन के शिकार बच्चे कई प्रकार की मानसिक विकृतियों का शिकार हो रहे हैं। बुजुर्ग अपने संघर्ष के बारे में जो बताते थे तो बच्चे प्रोत्साहित होते थे और विषम से विषम परिस्थितियों को संभालने की क्षमता रखते थे। पर आज छोटी-छोटी बातों पर आत्महत्या या दूसरों की हत्या एक आम बात हो चुकी है। बच्चे नशे के जाल में फंस कर जीवन बर्बाद कर रहे हैं...

देखिए जी, मैंने अपनी जिंदगी में या तो ईमानदारी को महत्व दिया है या फिर ब्रीफकेस को। ब्रीफकेस में हम महत्वपूर्ण दस्तावेज रखते हैं। कई बार जल्दी-जल्दी में अंडरवियर और बनियान भी रख लेते हैं और टूथब्रश भी रख लेते हैं।

पिछले कुछ सालों से राहुल गांधी के बयानों को भी इसी गहरी नजर से देखना चाहिए। वह अमरीका के लोगों को बताते रहे हैं कि भारत को पाकिस्तान समर्थक इस्लामी आतंकवादियों से इतना डर नहीं है जितना राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से...

बहुत दिनों तक तो साहित्यकार ढोलकी राम जी तय नहीं कर पाए कि उन्हें साहित्य में डटे रहना चाहिए अथवा आउट हो जाता चाहिए। परंतु उन्हें बाद में ‘केवल्य’ प्राप्त हुआ कि कोई स्वनामधन्य आलोचक उन्हें साहित्य के मैदान में पटखनी देकर चारों खाने चित करे, इससे पूर्व ही स्वयं के तथा साहित्य के हित में इस क्षेत्र को त्याग देना चाहिए। इसलिए एक दिन उन्होंने साहित्य से संन्यास की घोषणा कर दी। ढोलकी राम जी द्वारा साहित्य से पलायन का समाचार जंगल की आग की तरह पूरे शहर में फैल गया। मुझ तक