वैचारिक लेख

प्रताप सिंह पटियाल लेखक, बिलासपुर से हैं 18 सितंबर, 2016 को भारतीय सेना के उड़ी स्थित स्थानीय मुख्यालय पर आतंकी हमले में 18 भारतीय जवान शहीद हो गए थे। जाहिर सी बात है कि अपने शहीद जवानों की शहादत का बदला लेना जरूरी था। इसलिए भारतीय सेना के विशेष दस्ते की 29 सितंबर, 2016 को

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री लेखक, वरिष्ठ स्तंभकार हैं कुरान शरीफ पढ़ने और समझने का दावा मौलाना का भी था और फराह ने भी कुरान-ए-पाक को समझ लिया होगा, तभी वे उसे उद्धृत कर रही थीं। मौलाना कुछ समय तो तर्क देते रहे, लेकिन जब फराह के तर्कों के सामने उनके तर्क लेटने लगे तो वे

डा. शंकर वासिष्ठ लेखक, सोलन से  हैं एग्रीमेंट के समय दोनों ओर कुछ शर्तें भी रखी गई होंगी, जो सामाजिक व्यवस्था को सुचारू रखती हों, परंतु कार्य प्रारंभ होते ही वे शर्तें तथा सामाजिक जीवन की मूलभूत आवश्यकताएं सभी कुछ बड़ी-बड़ी मशीनों की आवाजाही, खनन व हर प्रकार के प्रदूषण की तहों में समा गई…

डा. विनोद गुलियानी लेखक, बैजनाथ से  हैं इसमें कोई दो राय नहीं हे कि देशभर में स्वच्छता अभियान को गति देने में प्रधानमंत्री मोदी का योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा, परंतु इस भौतिक सफाई से कहीं अधिक देश को मानसिक सफाई वांछित है। इस मानसिक सफाई में देश का हर विभाग आता है। इन सारे विभागों

प्रो. एनके सिंह लेखक, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पूर्व चेयरमैन हैं हिंदुत्व के दुर्भावनापूर्ण प्रयोग का अधिक बुरा उदाहरण कांगे्रस नेता शशि थरूर ने पेश किया है जिन्होंने भारतीय जनता पार्टी की आलोचना करने के लिए अपने ट्वीट में कहा कि अगर अगले चुनाव में वह जीतती है तो भारत हिंदू पाकिस्तान बन जाएगा।

अनुज कुमार आचार्य लेखक, बैजनाथ से हैं भारत में सरकारी इदारों में भ्रष्टाचार का इतिहास वर्षों पुराना रहा है। अपने स्वार्थ एवं महत्त्वाकांक्षाओं की पूर्ति हेतु नैतिक मूल्यों एवं आदर्शों से समझौता कर सुख-सुविधाओं की पूर्ति और धन लाभ हेतु अनैतिक आचरण के नित नए किस्से अखबारों एवं इलेक्ट्रानिक मीडिया की सुर्खियां बने रहते हैं।

भूपिंदर सिंह लेखक, राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक हैं देश व प्रदेश में खेल प्रतियोगिताएं आयोजित करवाने वाले तीन संस्थान हैं। देश में खेल मंत्रालय से मान्यता प्राप्त खेल महासंघ ही उस खेल के प्रचार, प्रसार, नियम व प्रतियोगिता आयोजन के लिए अधिकृत व मान्य है। उसके अतिरिक्त अगर और कोई खेल प्रतियोगिता होगी तो उससे कोई

पीके खुराना लेखक, वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार और विचारक हैं मीडिया एक जिम्मेदार संस्था है, उसके बावजूद पेड न्यूज, फेक न्यूज, पत्रकारों और उपसंपादकों का अधूरा ज्ञान, अधिकांश मीडिया घरानों में प्रशिक्षण का नितांत अभाव, स्ट्रिंगर प्रथा आदि ऐसी कई बीमारियां हैं, जिनके कारण मीडिया की विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं। दारुल-कजा के मामले में

रविंद्र सिंह भड़वाल लेखक, नूरपुर से हैं शहरों में फैलने वाली अव्यवस्था का दूसरा सबसे बड़ा कारण यहां होने वाला अनधिकृत निर्माण है। तमाम नियमों को ताक पर रखकर किया जाने वाला यह अवैध निर्माण न केवल सरकारी संपदा को हड़प रहा है, बल्कि इन कब्जे वाले स्थलों पर अव्यवस्थित ढंग से होने वाले निर्माण