वैचारिक लेख

( आशीष बहल  लेखक, चुवाड़ी, चंबा से हैं ) 2013 में अंतिम बार हिमाचल की तरफ से किन्नौर की शादी की परंपरा को दिखाती झांकी को राजपथ पर दर्शाया गया था। इस बार हिमाचल की तरफ से अपनी ऐतिहासिक विरासत और अद्भुत कला की मिसाल पेश करते हुए चंबा रूमाल के इतिहास को जीवंत कर

भानु धमीजा सीएमडी, ‘दिव्य हिमाचल’ लेखक, चर्चित किताब ‘व्हाई इंडिया नीड्ज दि प्रेजिडेंशियल सिस्टम’ के रचनाकार हैं वर्ष 1963 में न्यायमूर्ति सरकारिया, जिन्हें केंद्र-राज्य संबंधों के अध्ययन को नियुक्त किया गया था ने रिपोर्ट दी कि ‘‘केंद्र शक्ति के नशे में चूर’’ था। यही समय था कि भारत ‘मजबूत’ केंद्रीकृत सरकार के विचार को निकाल

( अजय पराशर लेखक, साहित्यकार एवं  चिंतक हैं ) धर्मशाला को राज्य की दूसरी राजधानी का दर्जा देने की घोषणा का जहां उनके समर्थकों ने स्वागत किया, वहीं विपक्ष को उन पर निशाना साधने का मौका मिल गया। लेकिन कांगड़ा जिला और निचले क्षेत्रों के आम लोगों ने इस घोषणा को हाथोंहाथ लिया है। लोगों

डा. भरत झुनझुनवाला ( लेखक, आर्थिक विश्लेषक एवं टिप्पणीकार हैं ) छोटे उद्योगों की मुख्य समस्या टैक्स दरों की है। इसे सुलझाने के बाद ही अन्य कदमों की सार्थकता है। सरकार को समझना चाहिए कि छोटे उद्योग देश की अर्थव्यवस्था में अहम सार्थक भूमिका निभाते हैं। पर्यावरण सुरक्षा के लिहाज से भी लघु उद्योग, बड़े

( हेमांशु मिश्रा लेखक, पालमपुर से अधिवक्ता हैं ) बिना कैबिनेट की अनुशंसा के और राज्यपाल के आदेशों के, बिना किसी अध्यादेश के और उच्च न्यायालय एवं केंद्र सरकार से बातचीत किए केवल प्रेस विज्ञप्ति में लिखने मात्र से राजधानी की घोषणा जनता के मानस पटल पर उतर नहीं रही है। यही कारण है कि

कुलदीप नैयर लेखक, वरिष्ठ पत्रकार हैं कश्मीर में जायरा वसिम का उदाहरण हमारे सामने हैं। उन्होंने बालीवुड फिल्म में अपने अभिनय के दम पर दर्शकों में गहरी छाप छोड़ी थी और फिल्म निर्माता व निर्देशक अमिर खान ने भी स्वीकार किया कि उनका कार्य सराहनीय था। महबूबा मुफ्ती से जब वसिम मिलीं, तो महबूबा ने

बचन सिंह घटवाल लेखक, मस्सल, कांगड़ा से हैं महाराणा प्रताप झील आज प्रवासी पक्षियों की सबसे बड़ी और सुंदर शरणस्थली के रूप में विकसित हो चुकी है। विगत दस वर्षों की गणना के अनुसार इस वैटलैंड पर प्रवासी पक्षियों की लगभग 415 प्रजातियों ने भ्रमण किया। गत वर्ष इस झील में लगभग 1.20 लाख प्रवासी

( ललित गर्ग लेखक, स्वतंत्र पत्रकार हैं ) गांधी जी ने एक मुट्टी नमक उठाया था, तब उसका वजन कुछ तोले ही नहीं था। उसने राष्ट्र के नमक को जगा दिया था।  पटेल ने जब रियासतों के एकीकरण के दृढ़ संकल्प की हुंकार भरी, तो राजाओं के वे हाथ जो तलवार पकड़े रहते थे, हस्ताक्षरों

( धीरज राणा ‘शाश्वत’ लेखक, नूरपुर, कांगड़ा से हैं ) शराब, सिगरेट, भांग, चरस, हेरोइन, तंबाकू, चिट्टा इत्यादि हमारी युवा पीढ़ी की नसों में जहर घोल रहा है। नशा माफिया पंजाब, जम्मू-कश्मीर तथा अन्य रास्तों से लगातार हिमाचल प्रदेश में अपनी जड़ें जमाने की कोशिश कर रहा है, जिसकी पुष्टि पुलिस विभाग खुद करता आया