वैचारिक लेख

पीके खुराना लेखक, वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार और विचारक हैं समस्या यह है कि शालीन विरोध का सरकार पर कोई असर नहीं होता और मंत्रिगण कानून में बदलाव के विपक्ष के किसी सुझाव को मानने के लिए तैयार नहीं होते। परिणामस्वरूप अपनी उपस्थिति जताने तथा जनता और मीडिया का ध्यान आकृष्ट करने के लिए विपक्ष वाकआउट

अदित कंसल लेखक, नालागढ़, सोलन से हैं पुस्तकों, पेंसिल बॉक्स, पानी की बोतल, लंच बॉक्स, प्रोजेक्ट वर्क, स्क्रैप बुक इत्यादि को मिलाकर बस्ते का औसतन भार आठ किलोग्राम तक हो जाता है। प्रातःकालीन व दोपहर को स्कूल बस में चढ़ते-उतरते बच्चों को देखकर प्रतीत होता है कि जैसे ये कुली हों। बस्ते के भार से

  भानु धमीजा सीएमडी, ‘दिव्य हिमाचल’ लेखक, चर्चित किताब ‘व्हाई इंडिया नीड्ज दि प्रेजिडेंशियल सिस्टम’ के रचनाकार हैं वर्ष 1963 में निष्ठावान कांग्रेसी और संविधान सभा के सदस्य केएम मुंशी ने लिखा कि ‘‘अगर मैं फिर से चुन पाऊं तो मैं राष्ट्रपति प्रणाली के पक्ष में वोट दूंगा।’’ पूर्व राष्ट्रपति आर वेंकटरमण ने 1965 में

( बचन सिंह घटवाल लेखक, मस्सल, कांगड़ा से हैं ) युवाओं के सुंदर भविष्य को नशा दीमक की तरह उन्हें चाट रहा है। धूम्रपान व शराब से लेकर हेरोइन, गांजा व नशीले कैप्सूलों के कारोबार का आज जैसे जाल सा बिछ गया है। नशे का आदी नवयुवक अपने शरीर से ऐसे खेलता नजर आ रहा

डा. भरत झुनझुनवाला ( लेखक, आर्थिक विश्लेषक  एवं टिप्पणीकार हैं ) हमें मुक्त व्यापार के मूल सिद्धांत पर पुनर्विचार करना चाहिए। डब्ल्यूटीओ 1995 में लागू हुआ था। तब सोचा गया था कि यह व्यवस्था सभी के लिए लाभदायक सिद्ध होगी। बीते 20 वर्षों में स्पष्ट हो गया है कि मुक्त व्यापार फेल है, चूंकि इसमें

( अनुज कुमार आचार्य लेखक, बैजनाथ से हैं ) घरेलू पर्यटन में वार्षिक 15.5 फीसदी की दर से तेजी आई है, लेकिन शीर्ष 10 राज्यों में हिमाचल अभी भी बहुत पीछे है। प्रदेश में पर्यटकों की तादाद बढे़, इसके लिए बिलिंग की तर्ज पर अनेक पर्यटक स्थलों को विकसित करने की जरूरत है। साथ में

( ललित गर्ग लेखक, स्वतंत्र पत्रकार हैं ) जिस तरह सांसद होने के बावजूद गायकवाड़ ने निम्न स्तर की हरकत करते हुए कर्मचारी की पिटाई करने एवं उसे अपमानित करने का कार्य किया, वह कहीं से भी किसी सांसद के गरिमामय पद के अनुकूल नहीं था। ऐसे कार्य की तो किसी साधारण आदमी से भी

( कर्म सिंह ठाकुर लेखक, सुंदरनगर, मंडी से हैं ) शराब जहां कारोबारियों के लिए भारी-भरकम मुनाफे का सौदा है, वहीं राजनीतिक दलों के लिए सत्ता का मार्ग प्रशस्त करती रही है। दूसरी तरफ सरकारों के लिए आमदनी का प्रमुख स्रोत भी है। लेकिन नशाखोरी से घर-परिवार टूट रहे हों, अपराध बढ़ रहा हो, सड़क

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री  लेखक, वरिष्ठ स्तंभकार हैं जेठमलानी की नजर में मुकदमा लेते समय तो केजरीवाल अमीर थे और फीस देते समय अचानक गरीब हो गए हैं। इसलिए अब वह उनका मुकदमा मुफ्त लड़ेंगे। जेठमलानी की पारखी नजर को मानना पड़ेगा। सारे देश में उन्होंने मुफ्त मुकदमा लड़ने के लिए मुवक्किल भी ढूंढा तो