वैचारिक लेख

संदीप अवस्थी लेखक, मंडी से हैं हमें ध्यान में रखना होगा कि पर्यटन क्षेत्र में सुरक्षा पर्यटकों की प्राथमिकता में रहती है। कोई पर्यटक हिमाचल से जख्म लेकर वापस लौटे, तो वह दोबारा हिमाचल क्यों आना चाहेगा। लिहाजा यदि हम वास्तव में पर्यटन राज्य बनने के लिए गंभीर हैं, तो पर्यटकों की सुरक्षा की खातिर

कुलदीप नैयर लेखक, वरिष्ठ पत्रकार हैं एक क्षण के लिए मान भी लें कि जाधव भारत का जासूस है, लेकिन वह कैसी जासूसी कर सकता था। आज उपग्रहों के आने से तकनीक इतनी विकसित हो चुकी है कि आप गाडि़यों की नंबर प्लेट पर लिखे अंकों तक को आकाश से पढ़ सकते हैं। इसलिए जाधव

बचन सिंह घटवाल लेखक, मस्सल, कांगड़ा से हैं कर्मचारी वर्ग से अगर सही काम लेना है, तो जरूरी है कि उसके वेतन-भत्तों का ख्याल रखा जाए। अगर कर्मी अपनी आर्थिक उलझनों में ही उलझा रहेगा, तो  वह अपना पूरा ध्यान अपने काम पर नहीं लगा पाएगा। सरकार ने बेशक देरी से यह फैसला लिया है,

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री लेखक, वरिष्ठ स्तंभकार हैं जम्मू-कश्मीर में जगमोहन राज्यपाल थे, तो उन्होंने कश्मीर घाटी में भी सुशासन की ओर काम करना शुरू कर दिया था। उससे आम जनता को विश्वास होने लगा था कि उनके मन में भी घाटी में कुछ करने की आशा है। लेकिन इससे वहां

नीलम सूद लेखिका, पालमपुर से हैं बीते लंबे समय से दो राजनीतिक परिवारों के अहं एवं एक-दूसरे को भ्रष्ट साबित करने की लड़ाई  निरंतर जारी रहने से विकास कार्यों पर से मौजूदा सरकार का ध्यान हटा है। उसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ा है, वहीं दूसरी तरफ जेपी नड्डा का राज्य की राजनीति से बाहर

प्रो. एनके सिंह लेखक, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पूर्व चेयरमैन हैं विभिन्न राजनीतिक दल अपनी रणनीति की विवेचना करने के बजाय अब तक पूरी तरह से नाकाम रहे महागठबंधन के पीछे आंखें मूंदकर कदमताल करते रहे हैं। मोदी के विजय रथ को रोकने के लिए संगठित संघर्ष एक आशाहीन तरीका है। इस तरह का

भूपिंदर सिंह लेखक, राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक हैं हिमाचल शिक्षा के क्षेत्र में देश के अग्रणी राज्यों में आता है, तो हमें खेल तथा अन्य युवा गतिविधियों में भी विद्यार्थियों को शिक्षा संस्थान में फलने-फूलने का पूरा-पूरा मौका देकर अच्छे शिक्षक होने का परिचय देना होगा, नहीं तो हमारी शिक्षा को रट्टे की शिक्षा के दर्जे

पीके खुराना पीके खुराना लेखक, वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार और विचारक हैं जिन इलाकों में चरमपंथी गतिविधियां न हों, वहां आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल पावर एक्ट की जरूरत नहीं है। समय की मांग है कि प्रशासन लोगों से ज्यादा रू-ब-रू हो, उनके सुख-दुख में शामिल हो और अलगाववादियों की गतिविधियों, खासकर सोशल मीडिया की गतिविधियों पर गहरी

विजय शर्मा लेखक, हमीरपुर से हैं सरकारी इंजीनियरिंग, मेडिकल और तकनीकी शिक्षण संस्थानों की कमी के चलते प्रदेश में निजी गैर मान्यता प्राप्त शिक्षण संस्थान कुकरमुत्तों की तरह उग आए हैं। ये युवाओं के साथ छल कर रहे  हैं और जाने-अनजाने शासन-प्रशासन उसका भागीदार है। ऐसे संस्थानों एवं इन्हें चलाने वालों के खिलाफ कठोर कदम