वैचारिक लेख

पीके खुराना ( लेखक, वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार और विचारक हैं ) अब स्थिति यह है कि ‘यथा प्रजा, तथा राजा’ की उक्ति सटीक हो गई है। यानी यदि जनता जागरूक नहीं होगी, तो जनप्रतिनिधि भी निकम्मे और भ्रष्ट हो जाएंगे। यह स्वयंसिद्ध है कि ‘आह से आहा’ तक के सफर के लिए जनता को ही

( सतपाल  लेखक, एचपीयू में शोधार्थी हैं ) राजधानी छोटी-छोटी आपदाओं से निपटने में भी सक्षम नहीं है, क्योंकि बर्फबारी, बरसात तो ऐसी आपदाएं है जो निश्चित रूप से आनी ही हैं। शहर के लिए योजना तैयार करने में हमसे कहीं न कहीं चूक हुई है। शिमला में भवनों का निर्माण ऐसी जगहों पर भी

( भारत डोगरा लेखक, पर्यावरणीय मामलों के जानकार हैं ) संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों को बहुत महत्त्वपूर्ण अधिकार दिए गए हैं। उनसे उम्मीद की जाती है कि वे विश्व शांति के प्रति विशेष जिम्मेदारी का परिचय देंगे, पर कड़वी सच्चाई तो यह है कि ये पांच देश-अमरीका, रूस, चीन,

( रविंद्र सिंह भड़वाल लेखक, ‘दिव्य हिमाचल’ से संबद्ध हैं ) सरकार को अब यह समझना चाहिए कि  केवल बड़ी मशीनें स्थापित करना ही औद्योगिकीकरण नहीं है। लघु एवं मध्यम ग्रामोद्योग भी औद्योगिकीकरण  का हिस्सा हैं। इन्हें  बजट में उचित स्थान मिलना ही चाहिए, क्योंकि इनके जरिए उत्पादन और रोजगार दोनों हित सधते हैं… किसी

डा. भरत झुनझुनवाला लेखक, आर्थिक विश्लेषक एवं टिप्पणीकार हैं सरकार की प्राथमिकता देश में कृषि उत्पादों के दामों को नियंत्रण में रखना है। देश की बड़ी आबादी शहर में रहती है। यह खाद्य पदार्थों को खरीद कर खाती है। गांव में रहने वाले कुछ परिवार भी खाद्य पदार्थ खरीद कर खाते हैं। देश की लगभग

इंदु पटियाल लेखिका, कुल्लू से स्वतंत्र पत्रकार हैं हर हिमाचली को संस्कृति के संरक्षण संवर्द्धन में ब्रांड एबेंसेडर की भूमिका निभानी होगी। प्रिटि या कंगना पर करोड़ों लुटाने की क्या जरूरत। प्रदेश सरकार से यह भी अपेक्षा रहेगी कि वह आगामी बजट में पर्यटन क्षेत्र को संवारने के लिए विशेष ध्यान देगी। इससे हमारी समृद्ध

कुलदीप नैयर ( कुलदीप नैयर लेखक, वरिष्ठ पत्रकार हैं ) नागरिकता छीनने संबंधी  कानून 2005 में हुए विस्फोटों के बाद उपजी स्थितियों को ध्यान में रखते हुए 2006 में  लागू किया गया था। इन विस्फोटों में 52 लोगों की मृत्यु हो गई थी और 700 लोग घायल हो गए थे। लागू होने के बाद के

( कुलभूषण उपमन्यु लेखक, हिमालय नीति अभियान के अध्यक्ष हैं ) बढ़ती बेरोजगारी में पशुपालन को स्वरोजगार का माध्यम बनाया जा सकता है। इसके लिए 10 पशु तक की छोटी- छोटी डेयरी इकाइयों को ब्याजमुक्त ऋण दे कर प्रोत्साहित करना चाहिए। दूध की पैदावार बढ़ने के साथ- साथ छोटे- छोटे दूध प्रसंस्करण संयंत्र लगाए जाने

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री ( लेखक, वरिष्ठ स्तंभकार हैं ) बेचारे मनमोहन सिंह अजीब दुविधा में हैं। न तो बैठे रह सकते हैं और न ही शेष कांग्रेसियों के साथ कुएं की ओर जा सकते हैं। प्रधानमंत्री के पद से मुक्त हो जाने के बाद भी उन्हें उन्हीं की संगत में रहना पड़ रहा है,