वैचारिक लेख

कुलभूषण उपमन्यु (लेखक, हिमालय नीति अभियान के अध्यक्ष हैं) सौर ऊर्जा का ज्यादा से ज्यादा दोहन देश-प्रदेश के ऊर्जा क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने का काम करेगा। लिहाजा इस बजट में सौर ऊर्जा के प्रचार-प्रसार का मार्ग प्रशस्त होना चाहिए… वर्ष भर में भारत में औसत 300 दिन सूर्य चमकता है। इस कारण यहां सौर ऊर्जा

डा. भरत झुनझुनवाला ( डा. भरत झुनझुनवाला लेखक, आर्थिक विश्लेषक एवं टिप्पणीकार हैं ) मध्यधारा के अर्थशास्त्री ऋण लेकर निवेश करने को अच्छा नहीं मानते हैं। उनकी सोच है कि सरकार ऋण लेगी तो सरकार का वित्तीय घाटा बढ़ेगा और विदेशी निवेशक भाग खड़े होंगे। यह बात सही है, परंतु जिस समय विदेशी निवेशक पहले

( सुरेश कुमार लेखक, ‘दिव्य हिमाचल’ से संबद्ध हैं ) सरकार ने गत वर्ष से पुलिस में भी अनुबंध पर भर्ती करना शुरू कर दी है, जो पुलिस सेवा के प्रति युवाओं के आकर्षण को कम कर सकती है। अनुबंध आधार पर पुलिस में भर्ती हुआ युवा भला 8000 रुपए में अपनी ड्यूटी के प्रति

कुलदीप नैयर ( लेखक, वरिष्ठ पत्रकार हैं ) मौजूदा संदर्भों में भारत को अपना अगला कदम उठाने से पहले देखो और इंतजार करो की नीति का अनुसरण करना चाहिए। इजरायल ने भी कमोबेश ऐसी ही इच्छा जताई है। भारत-पाक के लिए फिलहाल यही उचित होगा कि वे संवाद के टेबल पर आकर महत्त्वपूर्ण मसलों को

( कर्म सिंह ठाकुर लेखक, सुंदरनगर, मंडी से हैं ) पहाड़ी टोपी, शॉल, मफलर, रूमाल के लिए नई मार्केट को खोजना होगा। इससे जहां स्वरोजगार बढ़ेगा, वहीं युवाओं की प्राचीनतम परंपराओं के संरक्षण में अग्रणी भूमिका सुनिश्चित होगी। इसके साथ-साथ युवाओं को ब्रांडेड प्रोडक्टों का विकल्प सुनिश्चित करवाने के लिए आगामी बजट में प्रदेश सरकार

( स्वामी रामस्वरूप लेखक, योल, कांगड़ा से हैं ) आज के युग में भौतिकवाद की ओर आकर्षित होने के कारण सृष्टि रचना एवं मानवदेह के प्रयोजन से प्रायः सभी नर-नारी अनभिज्ञ हो चुके हैं। फलस्वरूप मनुष्य अविद्याग्रस्त होकर संसार के जड़ पदार्थों और इस जड़ शरीर को ही सुख का साधन मान बैठता है, जबकि

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री लेखक, वरिष्ठ स्तंभकार हैं जैसे-जैसे कश्मीर घाटी में सुरक्षा बलों और आतंकवादियों में लड़ाई तेज होती हुई एक निर्णायक मोड़ पर पहुंच रही है, वैसे-वैसे कश्मीरी युवा के नाम की आड़ में, आतंकियों से सहानुभूति रखने वाले सामने आने को विवश हो रहे हैं। इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता

( राजेंद्र ठाकुर लेखक, ‘दिव्य हिमाचल’ से संबद्ध हैं ) हिमाचल के गठन के 69 साल गुजर जाने के बावजूद इस क्षेत्र में अभी तक हमें आधी ही सफलता मिल पाई है। 5.83 लाख हेक्टेयर (कुल कृषि क्षेत्र) की तुलना में हमारा कुल सिंचित क्षेत्र 2.67 लाख हेक्टेयर है। बाकी जमीन वर्षा पर निर्भर है…

प्रो. एनके सिंह प्रो. एनके सिंह लेखक, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पूर्व चेयरमैन हैं पश्चिम बंगाल में किसी मुस्लिम कार्यक्रम के लिए पूजा-पाठ को रोक देना इस बात का संकेत है कि देश में सामान व्यवहार की जरूरत को नए सिरे से परिभाषित किया जाना चाहिए। निश्चय ही सेकुलरिज्म का ढोंग करने वाले दलों