वैचारिक लेख

प्रो. एनके सिंह ( प्रो. एनके सिंह लेखक, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पूर्व चेयरमैन हैं ) एक सामान्य सी अपेक्षा रहती है कि हर संवैधानिक एवं अन्य संस्थान स्वतंत्र व पारदर्शी रूप से कार्य करे। बेशक किसी भी संगठन की ढांचागत व्यवस्था उसमें निष्पक्ष प्रदर्शन की नींव डालती है, लेकिन न्याय के लक्ष्य को

भूपिंदर सिंह ( भूपिंदर सिंह लेखक, राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक हैं ) प्रदेश में महाविद्यालय स्तर की खेलों के लिए सरकार कोई धन नहीं देती है। ये खेल विद्यार्थियों से मिले खुले शुल्क से ही चलाए जाते हैं, जबकि राज्य के अस्सी प्रतिशत 18 से 25 वर्ष के युवा राज्य के महाविद्यालयों में शिक्षा ग्रहण कर

पीके खुराना ( पीके खुराना लेखक, वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार और विचारक हैं ) न केवल पिछड़ों का, बल्कि इन वोट बैंक माने जाने वाले वर्गों का भी अच्छा खासा हिस्सा उन दलों में बंटता है, जिनको इनके खिलाफ माना जाता रहा है। इनमें से बहुत से मतदाता अपने प्रत्याशी अथवा दल की उपलब्धियों और विकास

( किशन चंद चौधरी लेखक, बड़ोह, कांगड़ा से हैं ) हम युवाओं को मादक पदार्थों से दूर रख पाए, तो वे सामाजिक विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान दे पाएंगे। यदि युवा नशे का शिकार हो गए, तो व्यक्तिगत नुकसान के अलावा राष्ट्रीय विकास में भी उनका योगदान शून्य हो जाता है। युवाओं को नशे से दूर

( डा. लाखा राम लेखक, स्वतंत्र पत्रकार हैं ) ‘ग्लोबल वार्मिंग’ से तात्पर्य पृथ्वी के पर्यावरण के तापमान में लगातार बढ़ोतरी से है। हमारी धरती माता सूर्य की किरणों से उष्मा प्राप्त करती है। गौरतलब है कि मनुष्यों, प्राणियों और पौधों को जीवित रहने के लिए कम से कम 16 डिग्री सेल्सियस तापमान की आवश्यकता

( वीरेंद्र पैन्यूली लेखक, स्वतंत्र पत्रकार हैं ) आज विश्व में नदियों के अविरल प्रवाह की बात, धार्मिक कारणों से ही नहीं, वैज्ञानिक व पर्यावरणीय कारणों से भी की जा रही है। कई बने बांधों को तोड़ने की भी योजनाएं बनाई जा रही हैं। कुछ देशों में बांधों को एक निश्चित समय का आयु प्रमाण

( हेमांशु मिश्रा लेखक, पालमपुर से अधिवक्ता हैं ) अमरनाथ एवं वैष्णो देवी यात्रा का संचालन जिस प्रकार जम्मू-कश्मीर की सरकार करती है, वैसे ही हिमानी चामुंडा के लिए धार्मिक यात्रा का संचालन करना चाहिए। साथ ही पालमपुर के इर्द-गिर्द गढ़ माता मंदिर, जाखणी माता, नाला मंदिर घुघर और आशा पुरी माता मंदिर का एक

डा. भरत झुनझुनवाला ( लेखक, आर्थिक विश्लेषक एवं टिप्पणीकार हैं ) वर्तमान में यह एक खुला प्रश्न है कि डिजिटल अर्थव्यवस्था से कर वसूली बढ़ेगी या नहीं। कहावत है कि ताले शरीफों के लिए लगाए जाते हैं। चोर तो ताले को खोलना जानता ही है। इसी प्रकार कच्चे पर्चे कारोबार करने वाले व्यापारियों के लिए

( कंचन शर्मा लेखिका, शिमला से स्वतंत्र पत्रकार हैं ) ‘रिकार्ट’ स्टार्टअप गुरुग्राम के 12 हजार घरों से कचरा उठाता है। इस तरह ‘रिकार्ट’ ने कचरा प्रबंधन के क्षेत्र में एक मिसाल कायम की है। क्यों न हिमाचल के पढ़े-लिखे युवा बेरोजगार कूड़ा प्रबंधन को ‘स्टार्टअप’ अभियान के तहत एक व्यवसाय के रूप में देखें।