प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (पीएमईएसी) द्वारा हाल ही में जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार 1950 से लेकर 2015 तक कुल जनसंख्या में बहुसंख्यक हिंदू आबादी की हिस्सेदारी में 7.82 प्रतिशत की कमी आई है, जबकि मुस्लिम आबादी की हिस्सेदारी में 43.15 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि कई अन्य देशों में भी, जहां बहुसंख्यक आबादी

क्रिकेट कमेंटेटर आकाश चोपड़ा ने स्वीकार किया है कि अगर गौतम गंभीर को टीम इंडिया का नया हेड कोच नियुक्त किया जाता है, तो यह कोई गलत विकल्प नहीं होगा। हालांकि, उन्होंने ये भी माना है कि जब तक टीम में सीनियर खिलाड़ी ज्यादा होंगे, तो उनके लिए मुश्किल होगी, क्योंकि वह बड़े भाई वाली स्टाइल वाले कोच नहीं हैं, वह एक स्ट्रिक्ट फादर वाली स्टाइल के कोच हैं। राहुल द्रवि

मैदानी इलाकों में तपती गर्मी से बचने के लिए अब सैलानी भारी संख्या में कुल्लू-मनाली का रुख करने लगे है। ऐसे में लंबे समय के बाद मनाली फिर से पैक होने लगी है। सैलानियों की बढ़ती संख्या के चलते पर्यटन कारोबार ने भी पंख पकडऩे शुरू कर दिए हैं। मनाली सहित जिला कुल्लू से सभी बेहतरीन पर्यटन स्थलों पर सैलानियों की आवाजाही के चलते अब जहां मनाली के होटल पैक हुए हैं। वहीं होम स्टे भी लगभग पैक चल रहे हैं। जिला कुल्लू की अगर बात करें तो एक सप्ताह में तीन लाख से अधिक लोगों ने अटल टनल रोहतां

वह सहज ही मित्र बना लेते हैं। राजीव गांधी ने ही उन्हें 1986 में हिमाचल युवा कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया था और लगभग एक दशक तक, यानी वर्ष 1995 तक वह इस पद पर बने रहे। अपनी वैयक्तिक खूबियों के चलते उन्होंने राजीव गांधी का दिल जीत लिया और फिर पीछे मुड़ कर नहीं देखा...

शिमला जिला के एक क्षेत्र में 17 साल की नाबालिग लडक़ी के साथ दुराचार का मामला सामने आया है। दो सगे भाइयों पर नाबालिग से दुष्कर्म का आरोप लगा है। एक आरोपी 43 साल का है और दूसरा आरोपी 24 साल का है। तीसरे शख्स ने पीडि़ता को आरोपियों तक पहुंचाया। पुलिस ने तीनों...

जय मां चामुंडा, कीजिए सुबह की शुरुआत माता की पवित्र आरती के साथ 21 मई 2024

राहत इन्दौरी साहिब ने जब अपनी गज़़ल में यह शे’र कहा होगा, ‘लगेगी आग तो आएंगे घर कई जद में, यहां पे सिर्फ हमारा मकान थोड़ी है’, तब शायद उनको यह एहसास नहीं रहा होगा कि विरोधाभासों से भरे इस देश में कभी लोगों की जान बचाने के लिए कोरोना के इंजेक्शन ही उनकी जान जाने का सबब बन जाएंगे। लेकिन जिस देश में दूध में पानी मिलाने वाली कहावतें न केवल सिर चढ़ कर बोलती हों, बल्कि आम जनमानस में फल-फूल भी रही हों, वहां अगर कोरोना से पार पाने वाले इंजेक्शन पानी साबित हों तो

चुनाव की भाषा में अमर्यादित होती परिपाटी और सियासी उच्चारण में तार-तार होता हिमाचली चरित्र। मंडी की गलियों से शुरू हुआ उम्मीदवारों का भाषायी उन्माद अंत आते-आते पूरे प्रदेश में सिरफिरा हो गया। भाषा और भाषण में अंतत: राजनीतिक कंगाली का आलम यह है कि कोई विपक्ष की खिल्ली उड़ा रहा है, तो कहीं सत्ता को कोसने की शब्दावली में जहर भरा है। जो भी हो, भाषा ने हमारी चारित्रिक पहचान डुबो दी है। बावजूद इसके पहली बार हर उम्मीदवार जनता से अपने संवाद की नजदीकी के लिए, स्थानी

लोकतंत्र का महापर्व चल रहा है। देश की बागडोर सौंपने के लिए कुछ राज्यों ने मतदान कर दिया है और अब कुछ ही राज्यों में मतदान शेष है। हिमाचल प्रदेश की ठंडी वादियों में भी आम चुनाव की हो रही है गर्मागर्म राजनीति, लेकिन हमें अपने ठंडे दिमाग से सोचकर करना है अपने कीमती वोट का प्रयोग। आम चुनाव में वैसे तो राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय मुद्दे चलते हैं। जहां तक हिमाचल प्रदेश की बात है, यहां बहुत से मुद्दे हैं, उन पर अभी भी गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है।