भूपिंदर सिंह

ओलंपिक व अन्य अंतरराष्ट्रीय स्तर की खेल प्रतियोगिताओं में आज बहुत कड़ी प्रतिस्पर्धा देखने को मिल रही है। जैसे-जैसे प्रौद्योगिकी व चिकित्सा के क्षेत्र में उन्नति हो रही है, वैसे-वैसे उत्तम आहार व उन्नत शारीरिक क्रियाओं से मानव के स्वास्थ्य में काफी ज्यादा सुधार हुआ है। जब स्वास्थ्य में सुधार होगा तो खेल परिणाम स्वाभाविक

भूपिंद्र सिंह राष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रशिक्षक लड़कियों की युवावस्था 17-18 वर्ष की आयु में शुरू हो जाती है, लड़कों में यह एक-दो वर्ष बाद आती है। इस अवस्था तक आते-आते खिलाड़ी अपने-अपने खेल के लिए पूरी तरह तैयार हो गए होते हैं… किसी भी देश की तरक्की व खुशहाली उस देश के नागरिकों की फिटनेस पर

राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक विजेता बनने के लिए दस वर्षों से भी अधिक समय तक खिलाड़ी को समाज से दूर रह कर कठिन परिश्रम करना पड़ता है। इसलिए वह पढ़ाई के साथ-साथ सामाजिक व आर्थिक मोर्चे पर भी पीछे रह जाता है। काफी सोच-विचार के बाद केंद्र व विभिन्न राज्यों की सरकारों ने

पुरुष व महिला वर्ग में इस दौड़ की दूरी दस किलोमीटर व अंडर बीस वर्ष में लड़कों के लिए आठ किलोमीटर व लड़कियों के लिए छह किलोमीटर दौड़ना होता है। इस प्रतियोगिता का ट्रैक अधिकतर ग्रामीण इलाकों की सड़कों व रास्तों का होता है। इस प्रतियोगिता का आयोजन आज तक प्रदेश के विभिन्न जिला व

भारतीय खेल प्राधिकरण खेलो इंडिया के अंतर्गत प्रदेश में उच्च खेल परिणाम दिलाने वाली अकादमियां स्थापित कर रहा है। अच्छा होगा, वहां भी अच्छे स्तर वाले प्रशिक्षकों को  सम्मानजनक वेतनमान पर रखा जाए ताकि प्रदेश के खिलाडि़यों को उच्च स्तर के प्रशिक्षक मिल सकें… राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर  खेल परिणामों में पिछले कई दशकों

हिमाचल प्रदेश में इस समय हर जिला स्तर सहित कई जगह उपमंडल स्तर पर भी इंडोर स्टेडियम बन कर तैयार हैं, मगर उन स्टेडियमों में बनी प्ले फील्ड का उपयोग प्रशिक्षण के लिए खिलाडि़यों को ठीक से करना नहीं मिल रहा है। वहां पर अधिकतर शहर के लाला व अधिकारी अपनी फिटनेस करते हैं… अंतरराष्ट्रीय

केंद्र व केरल सरकार की तर्ज पर प्रशिक्षकों को भी खिलाड़ी की तरह नगद ईनामी राशि व अवार्ड मिलना चाहिए। आप हर विद्यार्थी को फिटनेस के लिए खेल मैदान में ले जाएंगे, उनमें से जरूर कुछ अच्छे खिलाड़ी भी मिलेंगे। प्रतिभा खोज के बाद पढ़ाई के साथ-साथ प्रशिक्षण के लिए अच्छी खेल सुविधाएं मुहैया कराई

खिलाड़ी को तैयार करने में प्रशिक्षक की भूमिका जब बेहद जरूरी है तो फिर हम उसे सामाजिक व आर्थिक रूप से निश्चिंत कर शारीरिक व मानसिक पूरी तरह अपने प्रशिक्षण पर केंद्रित क्यों नहीं होने देते। भर्ती-पदोन्नति नियमों में संशोधन होना चाहिए… जब राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खिलाड़ी करोड़ों लोगों में स्वयं व अपने

भूपिंदर सिंह राष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रशिक्षक पिछले खत्म हुए साल के आखिरी माह में जब आशीष चौधरी दो महीने के यूरोपीय दौरे के बाद वापस एक सप्ताह के लिए घर छुट्टी आया तो खेल मंत्री राकेश पठानिया से मिला और अपनी ट्रेनिंग व ओलंपिक तक की भावी प्रतियोगिताओं के बारे में चर्चा की थी। खेल मंत्री