आस्था

ओशो वैराग्य का अर्थ, जहां न राग रह गया, न विराग रह गया। जहां न किसी चीज का आकर्षण है, न विकर्षण है। न किसी चीज के प्रति खिंचाव है, न विपरीत भागना है। जहां न किसी चीज का बुलावा है, न विरोध है। जहां व्यक्ति स्थिर हुआ, सम हुआ, जहां पक्ष और विपक्ष एक

स्वामी विवेकानंद गतांक से आगे... क्रिकेट खिलाडिय़ों में भी उस समय अच्छा नाम था। दो साल तक रायपुर में रहने की वजह से नरेंद्र पढ़ाई में पिछड़ गया था इसलिए स्कूल में एडमिशन लेने में परेशानी हो रही थी। मगर शिक्षकों की विशेष कोशिश पर उसे दाखिला मिल गया। उसने अपनी कठोर मेहनत के बल

अमरूद भारत में मिलने वाला एक साधारण फल है। लगभग अधिकांश घरों या ग्रामीण इलाकों में इसके पेड़ मिल जाते हैं। पौष्टिकता से भरपूर अमरूद को संस्कृत में अमृतफल कहते हैं। अमरूद में विटामिन सी, विटामिन ए, विटामिन बी2, ई और के, फाइबर, कैल्शियम, आयरन तत्त्व काफी मात्रा में मौजूद होते हैं। इसीलिए तो अमरूद

जरूरत से ज्यादा काम करने से दिमाग व शरीर के थकने, जल्दबाजी में खाना खाने और जंक फूड पर ज्यादा निर्भरता से लाइफस्टाइल में इस तरह की गड़बडिय़ा पैदा होती हैं। अनिद्रा कई कारणों से मनुष्य पर प्रभाव डाल सकती है। यह व्यक्ति की मानसिक और शारीरिक सेहत को खराब कर सकती है… आप सोना चाहते

स्वामी रामस्वरूप यह सारे रहस्य या तो वेद विद्या द्वारा प्रकट होते अर्थात वेदाध्ययन के पश्चात ज्ञात होते हैं अथवा कोई जीवित ब्रह्मलीन योगी ही इन रहस्यों पर प्रकाश डालता है… गतांक से आगे… सामवेद मंत्र 276 एवं यजुर्वेद मंत्र 33/39,40 में कहा कि (सूर्य) सर्वव्यापक, सर्वप्रकाशक परमेश्वर (महां असि) आप सबसे महान है। संपूर्ण

श्रीश्री रवि शंकर जब आपके पास एक बड़ा लक्ष्य होता है, जिस पर आप काम कर रहे होते हैं, तब मन घटनाओं में नहीं फंसता है और आप प्रसन्न रहते हैं। आप जितना अधिक प्रतिबद्ध होते हैं, तब आपको कोई काम करने के लिए अधिक क्षमता प्राप्त होती है। जितना आप कर सकते हैं, उससे

श्रीराम शर्मा आत्मा परमात्मा का अंश है। जिन भोगों से शरीर को आनंद मिलता है। उन्हीं से आत्मा को भी मिले आवश्यक नहीं। जिस क्षण से हम इस दुनिया में आते हैं, उससे लेकर मृत्यु तक आत्मा हमारे शरीर में उपस्थित है। शरीर के भिन्न-भिन्न अवयवों की क्षमता विशेषता एवं क्रियाकलाप के बारे में बहुत

* आपके संस्कार ही आपके व्यक्तित्व निर्माण के लिए सबसे ज्यादा उत्तरदायी होते हैं * कभी-कभी हमें उन लोगों से शिक्षा मिलती है, जिन्हें हम अभिमानवश अज्ञानी समझते हैं * काम करने से पहले सोचना बुद्धिमानी, काम करते हुए सोचना सतर्कता और काम करने के बाद सोचना मूर्खता है * मेहनत करने से दरद्रिता नहीं

बाबा हरदेव गतांक से आगे… सद्गुरु अपने शिष्य को भ्रम जाल से निकाल कर जीवन की वास्तविकता से परिचित कराते हैं। संपूर्ण अवतार बाणी में शहनशाह जी फरमाते हैं। अलख निरंजन अंतर्यामी गुर पूरा है जानणहार, कहे अवतार बिन गुर पूरे हो नहीं सकदा बेड़ा पार। जो गुरसिख गुरु की आज्ञानुसार जीवन व्यतीत करते हैं