आस्था

संसार में प्रत्येक व्यक्ति ज्ञानी है, प्रत्येक व्यक्ति ज्ञान चाहता है, प्रत्येक व्यक्ति अपने को ज्ञानी समझता है, इसीलिए ज्ञान को नहीं प्राप्त कर पाता है। क्योंकि ज्ञानी को ज्ञान की क्या आवश्यकता है, ज्ञान की आवश्यकता तो अज्ञानी को होती है, जो व्यक्ति अपने को अज्ञानी समझता है उसे ही ज्ञान की प्राप्ति हो पाती है। संसार में प्रत्येक व्यक्ति भक्त है, प्रत्येक व्यक्ति भक्ति चाहता है, प्रत्येक व्यक्ति

भामिनि तू मेरी प्रिय भक्त है, मैं तुम्हें नवधा भक्ति कहता हूं ध्यान से सुनो नवधा भगति कहउं तेहि पाहीं। सावधान सुनु धरू मन माहीं। भगवान राम ने नौ प्रकार की भक्ति का वर्णन किया और उसकी सेवा को प्रवान किया। वहां के ऋषि-मुनि शबरी के स्पर्श से दूर रहते थे। शबरी भक्त के इस अपमान को भगवान राम सहन नहीं कर सके। संयोगवश उस क्षेत्र के एक मात्र पीने के पानी के स्रोत पंपासर में कीटाणु आ ग

श्रीश्री रवि शंकर स्वाभाविक रहने का अर्थ है कि स्वयं को, दूसरों को और आपके आसपास की सभी वस्तुओं को वे जैसे हैं वैसा ही स्वीकार किया जाना। आपने उसे बोझ के जैसे नहीं परंतु समझ के साथ स्वीकार किया है कि वह ऐसा है। जब आप यह सोचते हैं या महसूस करते हैं कि यह ऐसा होना चाहिए या वैसा होना चाहिए, तो फिर आप अपने सही स्वभाव में नहीं रहते, फिर आप अपनी सीमाओं के संपर्क में आ जाते हैं। वह सीमा है, स्वाभाविक और सुखी नहीं रहने की सीमा। गलतियों का ज्ञान आपको तब मिलता है जब आप मासूम होते हैं। जो भी गलती हो जाए उसके लिए आप अपने आप को पापी न समझें क्योंकि उस वर्तमान क्षण में आप फि

स्वामी रामस्वरूप यजुर्वेेद मंत्र 13/46 में कहा है कि वह परमेश्वर अद्भुत स्वरूप है और योगियों के हृदय में सदा प्रकाशित रहता है। जिस प्रकार परमेश्वर अद्भुत है, उसी प्रकार उसको जानने वाले योगी भी अद्भुत हैं...

हेस्टी साहब की यह बात किसी उपलब्धि से कम नहीं थी। नरेंद्र के अंदर बचपन से ही धर्मभावना विद्यमान थी। तरुण होने पर वे उसी की प्रेरणा से अखंड ब्रह्मचर्य का पालन, साधना-भजन एवं कठोर तप में मग्र रहने लगे। नरेंद्र ध्यानमग्र रहते हुए व बिना सोए कितनी ही रातें इसी तरह गुजारने लगे। धर्मलाभ की आकांक्षा से उन्होंने ब्रह्मसमाज में आना-जाना शुरू कर दिया और समाज की प्रार्थना में शामिल होकर खुशी का अनुभव करते। लेकिन उपासना आदि के बारे में वो समाज के दूसरे सदस्यों से सहमत न हो सके। बुद्धिमान दृढ़वेत्ता नरेंद्र दूसरे के विचारों को स्वयं विचार किए बिना सहज ही मान लेने वाले न थे, इसलिए जब भी कोई मनुष्य अपना मत मानने के लिए युक्तियां पेश करता, तो वे पाश्चात्य संदेहवाली दार्शनिकों की युक्तियों को अपनी असाधारण

बदलते मौसम में संक्रमण तेजी से फैलता है और बैक्टीरिया आदि जीवाणु और रोगाणुओं के पनपने की क्षमता भी अधिक हो जाती है। इसका मुख्य कारण है वातावरण और जलवायु में बदलाव। ऐसे में सर्दी, जुकाम व वायरल जैसे रोग आसानी से शरीर को घेर लेते हैं… मौसम के उतार-चढ़ाव को हल्के में न लें,

इस उम्र में बच्चों को ऐसा फूड्स खाने को देना चाहिए, जो उनके शरीर की कमजोरी को दूर करने के साथ एनर्जी भी दे। टीनएज बच्चों को तली-भुनी चीजों के साथ प्रोसेस्ड फूड्स हरगिज नहीं देना चाहिए। इस तरह के फूड्स बच्चों की सेहत को नुकसान पहुंचाने के साथ उनके वजन को भी बढ़ाते हैं…

* रोजाना सुबह तुलसी के 5-7 पत्तों को चबा कर खाने से मसूड़ों के दर्द से आराम मिलता है। * अजवायन को तवे पर भून कर पीस लें और इसमें सेंधा नमक मिलाकर गर्म पानी के साथ सेवन करने से पेट की जलन शांत होती है। * कपूर को बारीक पीस कर अंगुली से दांतों

डिमेंशिया एक गंभीर मानसिक समस्या है। इसमें कई तरह की मानसिक स्थितियां शामिल होती हैं। इसमें सोचने-समझने की क्षमता खो देना, अतार्किक बातें करना और रोजमर्रा के कामकाज में परेशानी महसूस करना आदि शामिल है। डिमेंशिया होने पर व्यक्ति दूसरों पर पूरी तरह से निर्भर हो जाता है। इस स्थिति में वह खुद से कुछ